बाड़मेर जैसलमेर में आचार सहिंता के बावजूद वार्डों में भामाशाह शिविर
आदर्श आचार सहिंता का उल्लंघन : शिविर में कमल का सिंबल भी और मुख्यमंत्री सभापति उषा जैन के फोटो का लगा बैनर
बाड़मेर नगरनिकाय चुनाव को लेकर मंगलवार को आचार सहिंता लग चुकी है, लेकिन बाड़मेर शहर में भामाशाह योजना के तहत शिविर का आयोजन जारी है। बुधवार को शहर के वार्ड संख्या 12 में मुख्यमंत्री भामाशाह शिविर का आयोजन हुआ, जिसमें सुबह से लोगों को भीड़ रही। योजना के बैनर पर मुख्यमंत्री सभापति का बैनर भी लगा था। यह आचार संहिता का उल्लंघन है, यह योजना लोगों को सीधे लाभ पहुंचाने वाली है। इस योजना के शिविर में काम करने वाले कार्मिक सीधे चुनाव प्रक्रिया से जुड़े हैं।
नगर परिषद चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के साथ लगी आचार संहिता के कारण ऐसे सीधे लाभ पहुंचाने वाले शिविर या कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जा सकता। अगर शिविर आयोजित होते है तो आचार संहिता का उल्लंघन है। बाड़मेर में आचार संहिता के लगने के बावजूद वार्ड संख्या 12 हमीरपुरा में बुधवार को मुख्यमंत्री भामाशाह शिविर का आयोजन हुआ। उसमें सुबह 8 बजे से लोगों की भारी भीड़ कार्ड बनाने के लिए कतार में लगी नजर आई। इतना ही नहीं शिविर में योजना के बैनर पोस्टरों पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सभापति उषा जैन के फोटो भी लगे हुए थे।
भामाशाहयोजना का सिंबल है फूल:
भामाशाहयोजना शिविर का सिंबल भी कमल का फूल है, हालांकि यह भाजपा के चुनाव चिन्ह से भिन्न है। शिविर के दौरान भी लगे बैनरों पर यह सिंबल लगा नजर आया। चुनाव आचार सहिंता के अनुसार किसी सरकारी कार्यक्रम में किसी पार्टी से मिलता जुलता चिन्ह को इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव के दौरान बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी होने का कारण शहर में लगी हाथी की मूर्तियों का कपड़ों से ढक दिया गया था।
बाड़मेर. भामाशाहशिविर में लगे बैनर पर मुख्यमंत्री सभापति का फोटो था, लेकिन कार्मिकों को जब मीडिया की भनक लगी तो उसे मोड़ कर लगा दिया। शिविर में उमड़ी लोगों की भीड़।
नए आदेश नहीं मिले हैं
^मंगलवारको हमने सरकार के माध्यम से चुनाव आयोग को फाइल भेजी थी कि शिविरों का आयोजन करना है या नहीं। बुधवार तक हमारे पास कोई आदेश नहीं आए थे। इसलिए शिविर का आयोजन हुआ। अब चुनाव आयोग अगर बंद करने के लिए कहेगा तो हम बंद कर देंगे।
हरभानमीणा, एडीएम,बाड़मेर।
इनका कहना है
राजस्थानराज्य निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन आयुक्त राम लुभाया का कहना है कि चुनाव की घोषणा होने के बाद राज्य सरकार ने भामाशाह शिविरों के आयोजन को लेकर मार्गदर्शन मांगा था। इस पर आयोग की ओर से भामाशाह शिविरों के आयोजनों को लेकर मनाही कर दी गई थी। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि इन शिविरों में काम करने वाले कार्मिक ही चुनाव से संबंधित कामों में लगाए जाते हैं। अगर वे शिविरों में व्यस्त रहेंगे तो चुनाव का काम भी प्रभावित हो सकता है और शिविर में लगने वाला स्टाफ के चुनाव में लगने से संबंधित लोगों को फायदे का अंदेशा है। बुधवार को भामाशाह शिविर के आयोजन को लेकर नगर परिषद के आयुक्त धर्मपाल जाट से बात करनी चाही तो, फोन नहीं उठाया गया। वहीं एसडीएम मुकेश चौधरी ने बताया कि भामाशाह शिविरों को जारी रखना है या बंद करने हैं, इस संबंध में आयोग से नई गाइड लाइन नहीं मिली है।
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