नई दिल्ली: भारतीय उपमहाद्वीप में आतंकवादी संगठन अल कायदा की ब्रांच खुलने के बाद खबरें आई थीं कि इसका चीफ मौलाना आसिम उमर पाकिस्तानी मूल का शख्स है, लेकिन इस मामले में मिली नई जानकारी से भारतीय जासूसी एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। एजेंसियों को शक है भारतीय उपमहाद्वीप का अल कायदा चीफ उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। यह भी माना जा रहा है कि यह शख्स देवबंद स्थित दारुल उलूम से तालीम लेने के बाद 1990 में भारत से बाहर चला गया था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, यूपी पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भारत में 1990 के दशक में आतंकी संगठन सिमी से जुड़े कई लोगों से इस बारे में पूछताछ की है। एजेंसियां इन लोगों से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या उस वक्त कोई भारतीय नागरिक विदेश गया था? एक इंटेलिजेंस अधिकारी के मुताबिक, अभी तक एजेंसी को कोई ठोस सूचना नहीं मिली है, लेकिन टुकड़ों में जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक, मौलाना आसिम उमर भारतीय हो सकता है।
90 के दशक में पहुंचा पाकिस्तान
अखबार ने पाकिस्तानी सूत्रों के हवाले से बताया है कि मौलाना उमर 90 के दशक में पाकिस्तान पहुंचा था। इसके बाद उसने कराची स्थित मजहबी तालीम देने वाली संस्था जामिया उलूम-ए- इस्लामिया में पढ़ाई शुरू की। इस संस्था से मौलाना मसूद अजहर और दूसरे बड़े आतंकवादी निकल चुके हैं। संस्था की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि भारत समेत करीब 60 देशों के स्टूडेंट्स यहां तालीम ले चुके हैं। मौलाना आसिम उमर को आतंकवाद का ककहरा निजामुद्दीन शमजई नाम के धर्मगुरु ने सिखाया, जिसे तालिबान का करीबी माना जाता है।
और गहराया शक
पाकिस्तान के बहुत सारे पत्रकार @Pak_witness नाम का टि्वटर हैंडल फॉलो करते हैं। यह पाकिस्तान में चल रहे इस्लामिक आंदोलनों से जुड़ी जानकारी हासिल करने का एक प्रभावी जरिया माना जाता है। उमर के नए अल कायदा चीफ घोषित होने के बाद इस अकाउंट से ट्वीट करके उसके बारे में बताया गया था कि वह भारत में दारुल उलूम देवबंद से ग्रैजुएट है और कराची के कई मदरसों में भी पढ़ा चुका है।
क्या कहना है दारुल उलूम का
दारुल उलूम के प्रवक्ता मौलाना अशरफ उस्मानी ने कहा कि तस्वीरों की गैरमौजूदगी और उस शख्स की यहां रहने की संभावित तारीख की जानकारी न होने से इस बारे में पुष्टि या इनकार करना मुश्किल है कि वह कभी स्टूडेंट था या नहीं। उस्मानी के मुताबिक, उनके यहां हजारों स्टूडेंट आते हैं। इसके अलावा, जो बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, उनकी भी पूरी जानकारी दर्ज नहीं होती।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, यूपी पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने भारत में 1990 के दशक में आतंकी संगठन सिमी से जुड़े कई लोगों से इस बारे में पूछताछ की है। एजेंसियां इन लोगों से यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या उस वक्त कोई भारतीय नागरिक विदेश गया था? एक इंटेलिजेंस अधिकारी के मुताबिक, अभी तक एजेंसी को कोई ठोस सूचना नहीं मिली है, लेकिन टुकड़ों में जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक, मौलाना आसिम उमर भारतीय हो सकता है।
90 के दशक में पहुंचा पाकिस्तान
अखबार ने पाकिस्तानी सूत्रों के हवाले से बताया है कि मौलाना उमर 90 के दशक में पाकिस्तान पहुंचा था। इसके बाद उसने कराची स्थित मजहबी तालीम देने वाली संस्था जामिया उलूम-ए- इस्लामिया में पढ़ाई शुरू की। इस संस्था से मौलाना मसूद अजहर और दूसरे बड़े आतंकवादी निकल चुके हैं। संस्था की वेबसाइट पर दावा किया गया है कि भारत समेत करीब 60 देशों के स्टूडेंट्स यहां तालीम ले चुके हैं। मौलाना आसिम उमर को आतंकवाद का ककहरा निजामुद्दीन शमजई नाम के धर्मगुरु ने सिखाया, जिसे तालिबान का करीबी माना जाता है।
और गहराया शक
पाकिस्तान के बहुत सारे पत्रकार @Pak_witness नाम का टि्वटर हैंडल फॉलो करते हैं। यह पाकिस्तान में चल रहे इस्लामिक आंदोलनों से जुड़ी जानकारी हासिल करने का एक प्रभावी जरिया माना जाता है। उमर के नए अल कायदा चीफ घोषित होने के बाद इस अकाउंट से ट्वीट करके उसके बारे में बताया गया था कि वह भारत में दारुल उलूम देवबंद से ग्रैजुएट है और कराची के कई मदरसों में भी पढ़ा चुका है।
क्या कहना है दारुल उलूम का
दारुल उलूम के प्रवक्ता मौलाना अशरफ उस्मानी ने कहा कि तस्वीरों की गैरमौजूदगी और उस शख्स की यहां रहने की संभावित तारीख की जानकारी न होने से इस बारे में पुष्टि या इनकार करना मुश्किल है कि वह कभी स्टूडेंट था या नहीं। उस्मानी के मुताबिक, उनके यहां हजारों स्टूडेंट आते हैं। इसके अलावा, जो बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, उनकी भी पूरी जानकारी दर्ज नहीं होती।
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