नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गंगा सफाई पर मोदी सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इसके साथ ही पवित्र नदी को प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इक ाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई में कहा गया कि गंगा की सफाई प्रमुख मुद्दा है और इसे प्राथमिकता से किया जाना चाहिए। मामले की अगले सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी।
न्यायालय ने गंगा नदी को प्रदूषित करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, "आपकी पूरी कहानी विफ लता, हताशा और त्रासदी भरी है।"
न्यायालय ने केन्द्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की आलोचना भी की और नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल से प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ क ार्रवाई करने को कहा।
गंगा के किनारे लगभग 200 औद्योगिक इकाइयां है। न्यायालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल को इस संबंध में प्रत्येक छह महीने में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हंै।
इससे पिछली सुनवाई में न्यायालय ने कहा था कि अगर गंगा में औद्योगिक इकाइयों का कचरा गिरना रूक जाए तो नदी 30 प्रतिशत स्वयं ही साफ हो जाएगी। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहते हैं।
न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण रोकने के जिम्मेदार लोगों द्धारा अपना कर्तव्य पूरा नहीं करने की सजा दी जानी चाहिए। -
न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर की अध्यक्षता में इस मामले की सुनवाई में कहा गया कि गंगा की सफाई प्रमुख मुद्दा है और इसे प्राथमिकता से किया जाना चाहिए। मामले की अगले सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी।
न्यायालय ने गंगा नदी को प्रदूषित करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, "आपकी पूरी कहानी विफ लता, हताशा और त्रासदी भरी है।"
न्यायालय ने केन्द्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों की आलोचना भी की और नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल से प्रदूषित करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ क ार्रवाई करने को कहा।
गंगा के किनारे लगभग 200 औद्योगिक इकाइयां है। न्यायालय ने नेशनल ग्रीन ट्रिव्यूनल को इस संबंध में प्रत्येक छह महीने में रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हंै।
इससे पिछली सुनवाई में न्यायालय ने कहा था कि अगर गंगा में औद्योगिक इकाइयों का कचरा गिरना रूक जाए तो नदी 30 प्रतिशत स्वयं ही साफ हो जाएगी। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहते हैं।
न्यायालय ने कहा था कि प्रदूषण रोकने के जिम्मेदार लोगों द्धारा अपना कर्तव्य पूरा नहीं करने की सजा दी जानी चाहिए। -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें