ओस्लो। शांति के नोबल पुरस्कार के लिए इस वर्ष भारत के कैलाश सत्यार्थी तथा पाकिस्तान की मलाला युसूफजई को चुना गया है। द नॉर्वेजियन नोबल कमेटी ने यह घोषणा करते हुए कहा कि उन्हें यह पुरस्कार बच्चों तथा युवा लोगों के लिए संघर्ष करने और उन्हें शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि कैलाश सत्यार्थी बचपन बचाओ अभियान से जुड़े हुए हैं। वह भारत में बच्चों के अधिकार के लिए लड़ रहें हैं। उन्होंने बच्चों के अपहरण कर उन्हें बंधुआ मजदूर बनाने और उनका शोषण करने के खिलाफ जंग छेड़ी जिसमें उन्हें बहुत बार खतरों का भी सामना करना पड़ा। इसी तरह मलाला युसुफजई ने पाकिस्तान में लड़कियों की पढ़ाई के लिए आंदोलन छेड़ा जिसका विरोध करते हुए तालिबान ने उन पर हमला भी किया, हालांकि वह बाल-बाल बच गई।
आश्चर्यजनक रूप से नोबल पुरस्कार समिति ने कहा कि एक हिन्दू और एक मुस्लिम, एक भारतीय और एक पाकिस्तान को इस पुरस्कार के लिए चुनना अदभुत है। दो बिल्कुल भिन्न बैकग्राउंडस से आने वाले कैलाश सत्यार्थी तथा मलाला युसुफजई ने एक ही उद्देश्य को लेकर लड़ाई लड़ी और जान की जोखिम उठाकर भी लड़कियों और बच्चों को पढ़ाई का अधिकार दिलाने का संघर्ष किया। -
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