भीलवाड़ा। पॉलीटेक्निक शिक्षा में अंग्रेजी से दूर भागने वाले विद्यार्थियों के लिए अब हिन्दी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होंगी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस प्रस्ताव को सेंट्रल एजुकेशन एडवाइजरी बोर्ड ऑफ एजुकेशन ने स्वीकृति दे दी है। पाठ्यक्रम को हिन्दी एवं क्षेत्रीय भाष्ााओं में विकसित करने का जिम्मा एआईसीटीई को दिया गया है।
गौरतलब है कि देश में इंजीनियरिंग एवं मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रमों को भी हिन्दी भाष्ाा में विकसित करने का काम शुरू हो चुका है। पॉलीटेक्निक शिक्षा के लिए बाजार में हिन्दी भाषा में पुस्तकें पर्याप्त नहीं हैं। हिन्दी भाषी छात्रों को इससे परेशानी आती थी।
आती थी परेशानी
एआईसीटीई अब हिन्दी समेत अन्य क्षेत्रीय भाष्ााओं के मुताबिक पॉलीटेक्निक के पाठ्यक्रम को विकसित करेगी। इसके अलावा एआइसीटीई को अंग्रेजी की वे किताबें जिनका कॉपीराइट हो चुका है और जो बाजार में आसानी से उपलब्ध है, उन्हें एनसीईआरटी के सहयोग से हिन्दी एवं अन्य भाष्ााओं में अनुवादित करना होगा।
एमएचआरडी के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलना राजस्थान बोर्ड के ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों के लिए सबसे ज्यादा हितकर होगा। क्योंकि 12वीं कक्षा तक पूरा पाठ्यक्रम हिन्दी में होता है। इसमें अंग्रेजी सिर्फ एक विष्ाय के रूप में होती है। ऎसे में विद्यार्थियों को परेशानी होती है। -
गौरतलब है कि देश में इंजीनियरिंग एवं मेडिकल शिक्षा के पाठ्यक्रमों को भी हिन्दी भाष्ाा में विकसित करने का काम शुरू हो चुका है। पॉलीटेक्निक शिक्षा के लिए बाजार में हिन्दी भाषा में पुस्तकें पर्याप्त नहीं हैं। हिन्दी भाषी छात्रों को इससे परेशानी आती थी।
आती थी परेशानी
एआईसीटीई अब हिन्दी समेत अन्य क्षेत्रीय भाष्ााओं के मुताबिक पॉलीटेक्निक के पाठ्यक्रम को विकसित करेगी। इसके अलावा एआइसीटीई को अंग्रेजी की वे किताबें जिनका कॉपीराइट हो चुका है और जो बाजार में आसानी से उपलब्ध है, उन्हें एनसीईआरटी के सहयोग से हिन्दी एवं अन्य भाष्ााओं में अनुवादित करना होगा।
एमएचआरडी के प्रस्ताव को स्वीकृति मिलना राजस्थान बोर्ड के ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थियों के लिए सबसे ज्यादा हितकर होगा। क्योंकि 12वीं कक्षा तक पूरा पाठ्यक्रम हिन्दी में होता है। इसमें अंग्रेजी सिर्फ एक विष्ाय के रूप में होती है। ऎसे में विद्यार्थियों को परेशानी होती है। -
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