बुधवार, 8 अक्तूबर 2014

कच्छ में मिली 5000 साल पुरानी हड़प्पाकालीन विशाल बावड़ी

अहमदाबाद। कच्छ के धोरावीरा में करीब 5000 साल पुरानी विशाल हड़प्पाकालीन बावड़ी (सीढ़ीनुमा विशाल कुआं) खोजी गई है। यह बावड़ी मोहनजोदाड़ो के विशाल स्नानागार से करीब तीन गुना बड़ी बताई जा रही है। इसे देश में अब तक खोजे गए जलाशयों में सबसे ज्यादा विशाल और भव्य बताया जा रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण संस्थान (ASI) और आईआईटी-गांधीनगर द्वारा मिलकर किए जा रहे उत्खनन के दौरान इस बावड़ी को खोजा गया। इतना ही नहीं, यह बावड़ी हाल ही में विश्व धरोहर में शामिल की गई रानी की वाव से भी बड़ी बताई जा रही है। 
 कच्छ में मिली 5000 साल पुरानी हड़प्पाकालीन विशाल बावड़ी
आईआईटी गांधीनगर के विजिटिंग फैकल्टी और ASI के पुरातत्वविद वी.एन. प्रभाकर ने बताया कि यह आयताकार बावड़ी 73.4 मीटर लंबी, 29.3 मीटर चौड़ी और 10 मीटर गहरी है। वहीं, मोहनजोदाड़ो का विशाल स्नानागार 12 मीटर लंबा, 7 मीटर चौड़ा और 2.4 मीटर गहरा है। रानी की वाव 64 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी तथा 27 मीटर गहरी है। 
 कच्छ में खोजी गई 5000 साल पुरानी हड़प्पाकालीन विशाल बावड़ी
रानी की वाव को मिल चुका है विश्व धरोहर का दर्जा
गुजरात के पाटण में स्थित रानी की वाव को जून 2014 में विश्व धरोहर में शामिल किया गया था। 11वीं सदी में निर्मित इस वाव को यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने भारत में स्थित सभी वाव (सीढ़ीनुमा कुआं) की रानी का भी खिताब दिया था। सात मंजिला यह वाव मारू-गुर्जर शैली को दर्शाती है। इसे भी भारतीय पुरातत्व सर्वे ने खोजा था। रानी की वाव को विश्व धरोहर का दर्जा दिए जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट करके खुशी जताई थी। गुजरात के पाटण जिले में स्थित "रानी की वाव" को 22 जून 2014 को यूनिस्को ने विश्व धरोहर में शामिल किया था। 


चांपानेर-पावागढ़ का किला
कच्छ में मिली 5000 साल पुरानी हड़प्पाकालीन विशाल बावड़ी
2004 में गुजार के पंचमहाल जिले में स्थित चांपानेर-पावागढ़ किले को यूनेस्को ने विश्व विरासत सूची में शामिल किया था।

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