जयपुर। नाम- आफिया सिद्दीकी, उम्र- 42 साल, जन्म स्थान- पाकिस्तान का शहर कराची, शिक्षा- अमेरिका में न्यूरोसाइंस की पढ़ाई की, फिर 2001 में पी एचडी।
इस पहचान से आपको अंदाजा हो गया होगा कि आफिया ने उच्चस्तरीय शिक्षा हासिल की हुई है और काफी पढ़ी लिखी है। लेकिन अगर आप उसका दूसरा नाम सुनेंगे तो एक बार शरीर में सिहरन पैदा हो जाएगी।
आतंकवाद की दुनिया में हाफिया को "लेडी अल कायदा" के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा उसके दो नाम और हैं- "कैदी नंबर 650" और "ग्रे लेडी ऑफ बगराम"।
2003 के शुरूआत में वह अमेरिका से पाकिस्तान लौट आई। मार्च 2003 में आफिया का नाम आतंकी संगठन अलकायदा के लिए वित्तीय मदद पहुंचाने में सामने आया। जिसके बाद से वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई की वांटेड लिस्ट में आ गई। उसने अलकायदा आतंकी खलिद शेख मोहम्मद को मदद की थी।
खलिद शेख मोहम्मद उसके दूसरे पति का चाचा था। उसे 9/11 के आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। उसने पुलिस पूछताछ में आफिया के नाम का जिक्र किया था।
आफिया के खतरनाक इरादे
जुलाई 2008 में अफगानिस्तान के गजनी इलाके से गिरफ्तार होने से पहले तक आफिया अपने तीन बच्चों के साथ पांच साल से अधिक समय तक गायब रही। लेकिन जब अमेरिकी जवानों ने उसे पकड़ा तो उसके पास से बम बनाने के लिए लिखे गए नोट्स वाले दस्तावेज और 900 ग्राम सोडियम सायनाइड भरे डिब्बे मिले थे। उन दस्तावेजों में अमेरिकी ड्रोन्स को मार गिराने वाले उपकरण, पारंपरिक बम, व्यापक जन संहार के हथियार बनाने की विधि लिखी थी।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आफिया के इरादे कितने खतरनाक थे।
86 साल कैद की सजा
उसे सितंबर 2008 में अमेरिका के न्यूयार्क केंद्रीय जिला कोर्ट में पेश किया गया। उस पर हत्या का प्रयास करने और गजनी में अमेरिकी अधिकारियों पर हमला क रने का अरोप लगा। लेकिन आफिया ने सभी आरोपों से इनकार कर दिया।
लगभग 18 महीने तक जेल में रखे जाने के बाद आफिया को 2010 में दोषी करार दिया गया। कोर्ट ने उसे 86 साल कैद की सजा सुनाई। कोर्ट में पूरी सुनवाई के दौरान पाकिस्तान सरकार ने आफिया की मदद की। उसको सजा सुनाए जाने पर पाकिस्तान में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए।
आफिया का परिवार
आफिया कराची के मुहाजिर समुदाय की है। उसके पिता मोहम्मद सलाय सिद्दीकी ब्रिटेन में प्रशिक्षित न्यूरो सर्जन थे, जबकि उसकी मां पाकिस्तान की सियासत में दखल रखती थी। वह अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी है। उसकी बहन फौजिया न्यूरोलॉजिस्ट है।
आफिया ने कराची के अमजद मोहम्मद खान से 1995 में निकाह किया। फिर दोनों मैसाचुसेट्स में रहने लगे।
ऎसे हुआ अमेरिका को शक
उसके पति खान ने पुलिस को बताया था कि अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद आफिया अमेरिका छोड़ने का दबाव डाल रही थी। उसका कहना था कि उसके बच्चे यहां सुरक्षित नहीं रहेंगे। वह अफगानिस्तान में जाकर मुजाहिद्दीन के लिए आयुर्वेदिक उपचार का काम करना चाहती थी।
मई 2002 में एफबीआई ने आफिया और उसके पति से 10 हजार डॉलर के खरीदे गए नाइट विजन उपकरणों, सुरक्षा कवच और सेना संबंधी जानकारी वाली किताब खरीदने को लेकर सवाल किए थे। ये सब सामान ऑनलाइन खरीदे गए थे।
आईएसआईएस से आफिया कनेक्शन
अगस्त 2014 में आईएसआईएस के आतंकियों ने अमेरिकी फोटो पत्रकार जेम्स फोले की इराक में हत्या कर दी और उसके परिवार को लिखे ई मेल में इस बात का जिक्र किया था कि आफिया "मुसलमानों की बहन" है। उन्होंने अमेरिका से आफिया को छोड़ने पर अपने कैद में रखे गए विदेशियों को छोड़ने की बात कही थी। उन विदेशी कैदियों में अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं। -
इस पहचान से आपको अंदाजा हो गया होगा कि आफिया ने उच्चस्तरीय शिक्षा हासिल की हुई है और काफी पढ़ी लिखी है। लेकिन अगर आप उसका दूसरा नाम सुनेंगे तो एक बार शरीर में सिहरन पैदा हो जाएगी।
आतंकवाद की दुनिया में हाफिया को "लेडी अल कायदा" के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा उसके दो नाम और हैं- "कैदी नंबर 650" और "ग्रे लेडी ऑफ बगराम"।
2003 के शुरूआत में वह अमेरिका से पाकिस्तान लौट आई। मार्च 2003 में आफिया का नाम आतंकी संगठन अलकायदा के लिए वित्तीय मदद पहुंचाने में सामने आया। जिसके बाद से वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई की वांटेड लिस्ट में आ गई। उसने अलकायदा आतंकी खलिद शेख मोहम्मद को मदद की थी।
खलिद शेख मोहम्मद उसके दूसरे पति का चाचा था। उसे 9/11 के आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता है। उसने पुलिस पूछताछ में आफिया के नाम का जिक्र किया था।
आफिया के खतरनाक इरादे
जुलाई 2008 में अफगानिस्तान के गजनी इलाके से गिरफ्तार होने से पहले तक आफिया अपने तीन बच्चों के साथ पांच साल से अधिक समय तक गायब रही। लेकिन जब अमेरिकी जवानों ने उसे पकड़ा तो उसके पास से बम बनाने के लिए लिखे गए नोट्स वाले दस्तावेज और 900 ग्राम सोडियम सायनाइड भरे डिब्बे मिले थे। उन दस्तावेजों में अमेरिकी ड्रोन्स को मार गिराने वाले उपकरण, पारंपरिक बम, व्यापक जन संहार के हथियार बनाने की विधि लिखी थी।
इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि आफिया के इरादे कितने खतरनाक थे।
86 साल कैद की सजा
उसे सितंबर 2008 में अमेरिका के न्यूयार्क केंद्रीय जिला कोर्ट में पेश किया गया। उस पर हत्या का प्रयास करने और गजनी में अमेरिकी अधिकारियों पर हमला क रने का अरोप लगा। लेकिन आफिया ने सभी आरोपों से इनकार कर दिया।
लगभग 18 महीने तक जेल में रखे जाने के बाद आफिया को 2010 में दोषी करार दिया गया। कोर्ट ने उसे 86 साल कैद की सजा सुनाई। कोर्ट में पूरी सुनवाई के दौरान पाकिस्तान सरकार ने आफिया की मदद की। उसको सजा सुनाए जाने पर पाकिस्तान में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हुए।
आफिया का परिवार
आफिया कराची के मुहाजिर समुदाय की है। उसके पिता मोहम्मद सलाय सिद्दीकी ब्रिटेन में प्रशिक्षित न्यूरो सर्जन थे, जबकि उसकी मां पाकिस्तान की सियासत में दखल रखती थी। वह अपने तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी है। उसकी बहन फौजिया न्यूरोलॉजिस्ट है।
आफिया ने कराची के अमजद मोहम्मद खान से 1995 में निकाह किया। फिर दोनों मैसाचुसेट्स में रहने लगे।
ऎसे हुआ अमेरिका को शक
उसके पति खान ने पुलिस को बताया था कि अमेरिका पर आतंकी हमले के बाद आफिया अमेरिका छोड़ने का दबाव डाल रही थी। उसका कहना था कि उसके बच्चे यहां सुरक्षित नहीं रहेंगे। वह अफगानिस्तान में जाकर मुजाहिद्दीन के लिए आयुर्वेदिक उपचार का काम करना चाहती थी।
मई 2002 में एफबीआई ने आफिया और उसके पति से 10 हजार डॉलर के खरीदे गए नाइट विजन उपकरणों, सुरक्षा कवच और सेना संबंधी जानकारी वाली किताब खरीदने को लेकर सवाल किए थे। ये सब सामान ऑनलाइन खरीदे गए थे।
आईएसआईएस से आफिया कनेक्शन
अगस्त 2014 में आईएसआईएस के आतंकियों ने अमेरिकी फोटो पत्रकार जेम्स फोले की इराक में हत्या कर दी और उसके परिवार को लिखे ई मेल में इस बात का जिक्र किया था कि आफिया "मुसलमानों की बहन" है। उन्होंने अमेरिका से आफिया को छोड़ने पर अपने कैद में रखे गए विदेशियों को छोड़ने की बात कही थी। उन विदेशी कैदियों में अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं। -
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