नई दिल्ली : बदायूं हत्याकांड के मामले में एक नया मोड़ आ गया है क्योंकि हैदराबाद स्थिति सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायगनोस्टिक्स (सीडीएफडी) ने उन दोनों नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की बात को खारिज कर दिया है जिनके शव पेड़ से लटके हुए पाए गए थे।
सीबीआई सूत्रों ने कहा कि इस प्रतिष्ठित सरकारी प्रयोगशाला से यह महत्वपूर्ण जानकारी मिलने के बाद दोनों चचेरी बहनों की हत्या से पहले यौन उत्पीड़न की बात को लेकर कई संदेह अब दूर हो गए हैं तथा अब शक की सुई के बच्चियों के परिवार के सदस्यों की ओर चली गई है।
सूत्रों ने कहा कि वे इसे झूठी शान के नाम पर हत्या का मामला मानने से इंकार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बच्चियों पर यौन हमले की आशंका को खारिज किया गया है और इस रहस्यमयी हत्या के मामले में एक राय बनाने के लिए इस रिपोर्ट को तीन सदस्यीय चिकित्सा दल के पास भेजा जाएगा।
सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि यौन हमले की आशंका के खारिज होने, आरोपियों के लाइ-डिटेक्टर टेस्ट पास कर जाने और गवाहों के बयानों में तालमेल के अभाव से अब संदेह परिवार के सदस्यों पर चला गया है। सूत्रों ने कहा कि वे इस मामले में झूठी शान के नाम पर की गई हत्या के पहलू से इंकार नहीं कर रहे, लेकिन अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने कहा कि अब शवों को कब्र से बाहर नहीं निकाला जाएगा क्योंकि सीडीएफडी ने पर्याप्त फोरेंसिक सबूत मिले हैं जिनसे मामले में फायदा हो सकता है। सूत्रों ने कहा कि पांचों आरोपियों पप्पू, अवधेश और उर्वेश (तीनों भाई) तथा कांस्टेबल क्षत्रपाल यादव एवं सर्वेश यादव की जमानत याचिकाओं का विरोध नहीं किया जाएगा क्योंकि इनके खिलाफ सीबीआई के पास कोई स्पष्ट सबूत नहीं है।
कानून के मुताबिक अगर सीबीआई 90 दिनों के भीतर आरोप पत्र दाखिल नहीं कर पाती है तो आरोपी जमानत ले सकता है। इस मामले में तीन महीने की मियाद 28 अगस्त को पूरा हो रही है। इसी साल मई में बदायूं में एक पेड़ से दो चचेरी बहनों के शव लटके हुए पाए गए थे। इस मामले को लेकर काफी चर्चा हुई थी और कानून व्यवस्था को लेकर समाजवादी पार्टी की खासी आलोचना हुई थी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ए एल बनर्जी ने दावा किया था कि एक लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ और अपराध के पीछे के कारण संपत्ति विवाद हो सकता है।
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