सोमवार, 4 अगस्त 2014

बाड़मेर खाप का हुक्म पति से हो जुदा ,नहीं तो हुक्का पानी बंद

बाड़मेर खाप का हुक्म पति से हो जुदा ,नहीं तो हुक्का पानी बंद 
बाड़मेर आजादी के 67 साल बित जाने के बाद भी समाज मे खाप पंचायत के तुगलकी फरमान जारी है। कहने को तो इन बड़े खाप पंचायतो के फरमानो को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए गये है लेकिन इन कानूनो का खौफ समाज के जाति पंच पंचो मे भी नजर नही आता है जिसके चलते समाज के ठेकेदार प्रेमी जोड़ो या गरीब लोगो पर आये दिन जुर्म कर रहे है। ऐसी ही कहानी बाड़मेर जिले के शिव थाना क्षेत्र के कानासर गांव निवासी संगीता और उनके पति नारायणदास की है जहां पर खाप पंचायत ने संगीता को उनके पति से अलग करने को लेकर उनका हुक्का पानी बंद कर दिया है वो आज न्याय की आस लगाए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रघुनाथ गर्ग से गुहार लगाई है।  

 

दर असल संगीता और उसकी बहिन दोनो की शादी आज से पांच साल पूर्व शिव क्षेत्र के कानासर गांव मे हुई। लेकिन संगीता की बहिन ने अपने पति को नपुंसक बताते हुए छोड़ दिया जिसके बाद समाज के पंचो ने बहिन की सजा देते हुए संगीता के पति नारायणदास पर संगीता को छोड़ने के लिए दबाव बनाया तो संगीता के पति नारायणदास ने ऐसा करने से इनकार कर दिया तो खाप पंचायत ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए संगीता और उनके पति नारायणदास का हुक्का पानी बंद कर समाज से बहिस्कृत कर दिया। पीडि़ता संगीता ने बताया की बहिन की सजा हमे क्यो दी जा रही है और हमने खाप पंचायत के डर से कानासर गांव छोड़कर जोधपुर मे किराए के मकान मे शरण ली मगर फिर भी खाप पंचायत द्वारा जान से मारने की धमकियां मिलने लगी। थक हार कर पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है।

  

 -खाप पंचायत के तुगलकी फरमान के बाद संगीता के पति नारायणदास से बात की तो उन्होने कहा की संगीता की बहिन की सजा मुझे और मेरी पत्नि संगीता को दे रहे है और समाज के पंच हमे संगीता से अलग करवाने चाहते है मेरे मना करने पर खाप पंचायत ने हुक्का पानी बंद कर समाज से बहिष्कृत कर दिया जिससे आज हम कही आ जा नही सकते है। पंचो ने 1 लाख रुपये की भी मांग की मगर हमारे पास पैसे नही होने के कारण दे नही पा रहे है। अभी भी समाज के पंचो द्वारा धमकियां दी जा रही है।
 

इस पूरे मामले के बाद एएसपी रघुनाथ गर्ग से बात करनी चाही तो उन्होने मिटिंग मे होने का हवाला देकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया जिससे संदेहस्पद स्थिति पैदा करता है की आखिर पुलिस अधिकारी मामले को दबाने मे क्यो लगे हुए है। अब सवाल ये उठता है की आखिर संगीता की बहिन की सजा संगीता और उसके पति को क्यो मिल रही है। लेकिन इसका किसी के पास जवाब नही है अब जरूरत है ऐसे समाज के पंचो के खिलाफ कार्रवाही करने की। अब देखने वाली बात ये होगी की पुलिस प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर समाज के ठेकेदारो को सलाखो के पिछे भेजते है या नही ये आने वाला वक्त बताऐगा। या ऐसे ही संगीता और उसका पति नारायणदास दर दर की ठोकरे खाने को मजबुर होगी।

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