श्री क्षत्रिय युवक संघ कार्य करने हेतु प्रेरणा कार्यक्रम का आयोजन
हम सभी संघ से कई वर्षो से जुड़े हे संघ से परिचित हे संघ हमें अपना मानता हे पर आवश्यकता हे हमें संघ को अपना मने संघ की पीड़ा हमारी पीड़ा हो जाये क्योकि संघ की पीड़ा प्राणी मात्र की पीड़ा व ईश्वर की चाह हे अतः यदि ईश्वर की तरफ कदम बढ़ाना हे तो सेवा व कर्म करना पड़ेगा और वो कर्म हे क्षत्रिय युवक संघ की शाखा शिविर साहित्य अध्ययन साहित्य रचना आदि इन सभी के माध्यम से हम संघ से बने जुड़ाव को सतत एवं स्थयी बना सकते हे संघ चाहता हे की पूरा विश्व क्षत्रिय बन जाय तो इससे पूरी पृथ्वी किसी प्रकार की आराजकता नही रहेगी !और व्ही हे क्षत्रिय राज्य व्यवस्था जिसे 'राम राज्य' की संज्ञा दी गई हे !
अतः आज इस अवसर पर आहवन करना चाहूंगा की अपने भीतर ऐसी लगन लगा दो, अगन जला दो जो आपको बेचन कर दे संघ कार्य किये बगैर चेन व राहत की अनुभूति ही ना हो ! समय प्रतिकूल हे परिस्थितियों विपरीत हे घर परिवार व् परिवेश सभी हमारी साधना को अधोगामी बनाती हे अधोगमन पतन का मार्ग हे सरल हे पर ऊध्र्वगामी साधना कष्टदायक हे पर इसी से लक्ष्य की तरफ बढ़ा जा सकता हे प्रतिकूल प्रवाह में भी अपनी रह न भटके व्ही क्षत्रिय हे और हमें भी क्षत्रिय बनना हे ! इस अवसर पर देवीसिंह जी माडपुरा,रामसिंहजी माडपुरा, पदमसिंहजी, प्रकाशसिंहजी, स्वरूपसिंहजी, चन्दनसिंहजी,प्रेमसिंहजी,कंवराजसिंह रानीगाँव,महिपालसिंह चूली, मूलसिंह जी काठाडी, सोहनसिंह ,गोविंदसिंह, किशनसिंह चूली, आदि सहित लगभग 200 स्वयसेवक कार्यकर्ता उपस्थित रहे !
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