नई दिल्ली। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश एसके गंगेले पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली ग्लावियर की पूर्व अतिरिक्त जिला एवं सेशन जज ने दावा किया है कि तीन अन्य जजों को उसकी कोर्ट में रोज मर्रा की बैठकों में हस्तक्षेप कर कथित उत्पीड़न के लिए उकसाया गया था।
एक अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा और अन्य न्यायाधीशों को भेजी आठ पन्नों की शिकायत में महिला जज ने आरोप लगाया है कि उसका उत्पीड़न उस वक्त और बढ़ गया था जब दो न्यायाधीशों का अप्रेल 2014 में ग्वालियर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था। न्यायाधीश गेंगेले ने उन दोनों न्यायाधीशों को यातना देने के लिए इस्तेमाल किया था। सवालों के घेरे में आया तीसरा जज डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि गेंगेले के निर्देश पर दो जजों ने उसकी अदालतों का असामान्य तरीके से बार बार निरीक्षण शुरू कर दिया। ये जज कोर्ट शुरू होने के कुछ मिनट बाद,नियमित और कुछ घंटों के भीतर निरीक्षण शुरू कर देते थे। यहां तक की लंच के दो मिनट पहले,लंच के एक मिनट बाद और कोर्ट की राइजिंग के पांच मिनट पहले भी निरीक्षण करते थे।
महिला जज का दावा है कि निरीक्षण के बावजूद उसकी कोई गलती नहीं पाई गई। बैकलॉग को पूरा करने के लिए उसने अदालत का समय बढ़ा दिया था। महिला जज का आरोप है कि इन जजों का इरादा उस वक्त स्पष्ट हो गया जब वह ऑफिस के लिए फुल टाइम चपरासी के अनुरोध को लेकर एक जज से मिली थी। बकौल महिला जज,उस न्यायाधीश ने मुझसे कहा कि मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो गंगेले से मिल लो। इससे मेरे अनावश्यक उत्पीड़न की वजह स्पष्ट हो गई।
मेरे वरिष्ठ मेरे संकल्प को तोड़ने और मुझे दबाने और झुकाने के लिए ऎसा कर रहे थे। इसके बावजूद मैंने गंभीरता के साथ अपना काम जारी रखा और गंगेले की दुष्ट डिमांग की गुफा में नहीं फंसने का फैसला किया। अपनी शिकायत में महिला जज ने दावा किया है कि वह अपने पति के साथ हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ के मौजूदा न्यायाधीश से मिली थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि वे गंगेले से बात करेंगे।
सिधी ट्रांसफर किए जाने के बाद 15 जुलाई को महिला जज ने इस्तीफा दे दिया था। महिला जज का आरोप है कि तीन जजों के कारण उसका ट्रांसफर किया गया था। महिला जज ने दावा किया कि तीनों न्यायाधीशों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निराधार,तुच्छ और दुर्भावनापूर्ण रिपोर्टिग की। जब रजिस्ट्रार ऑफ जनरल ने आठ महीने की मियाद बढ़ाने से इनकार कर दिया तो महिला जज के पास गंगेले के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उस वक्त गंगेले प्रशासन के इंचार्ज थे।
महिला जज ने आरोप लगाया कि गंगेले ने उससे कहा कि मेरी आकांक्षाओं को पूरा नहीं करने और बार भी उनके बंगले पर अकेले नहीं आने के कारण ट्रांसफर किया जा रहा है। महिला जज ने दावा किया है कि जबलपुर पीठ के जज ने सलाह दी थी कि अन्य जिले में ट्रांसफर पर पुर्नविचार के लिए अन्य अभिवेदन फाइल करें। महिला जज को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास नियुक्ति की मांग करने की भी सलाह दी गई थी।
महिला जज का दूसरा अभिवेदन भी खारिज कर दिया गया और मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर ने नियुक्ति से इनकार कर दिया। ऎसा इसलिए हुआ क्योंकि अपराधकर्ता बहुत शक्तिशाली था। पीठ का प्रशासनिक जज होने के कारण वह मुझे हानि पहुंचा सकता था। मुझे सुनवाई का भी मौका नहीं मिला। उस जज के बारे में कल्पना कीजिए जो विशाखा समिति का हिस्सा होने के बावजूद न्याय नहीं पा रही थी। -
एक अंग्रेजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा और अन्य न्यायाधीशों को भेजी आठ पन्नों की शिकायत में महिला जज ने आरोप लगाया है कि उसका उत्पीड़न उस वक्त और बढ़ गया था जब दो न्यायाधीशों का अप्रेल 2014 में ग्वालियर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रांसफर किया गया था। न्यायाधीश गेंगेले ने उन दोनों न्यायाधीशों को यातना देने के लिए इस्तेमाल किया था। सवालों के घेरे में आया तीसरा जज डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार है।
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि गेंगेले के निर्देश पर दो जजों ने उसकी अदालतों का असामान्य तरीके से बार बार निरीक्षण शुरू कर दिया। ये जज कोर्ट शुरू होने के कुछ मिनट बाद,नियमित और कुछ घंटों के भीतर निरीक्षण शुरू कर देते थे। यहां तक की लंच के दो मिनट पहले,लंच के एक मिनट बाद और कोर्ट की राइजिंग के पांच मिनट पहले भी निरीक्षण करते थे।
महिला जज का दावा है कि निरीक्षण के बावजूद उसकी कोई गलती नहीं पाई गई। बैकलॉग को पूरा करने के लिए उसने अदालत का समय बढ़ा दिया था। महिला जज का आरोप है कि इन जजों का इरादा उस वक्त स्पष्ट हो गया जब वह ऑफिस के लिए फुल टाइम चपरासी के अनुरोध को लेकर एक जज से मिली थी। बकौल महिला जज,उस न्यायाधीश ने मुझसे कहा कि मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता। अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो गंगेले से मिल लो। इससे मेरे अनावश्यक उत्पीड़न की वजह स्पष्ट हो गई।
मेरे वरिष्ठ मेरे संकल्प को तोड़ने और मुझे दबाने और झुकाने के लिए ऎसा कर रहे थे। इसके बावजूद मैंने गंभीरता के साथ अपना काम जारी रखा और गंगेले की दुष्ट डिमांग की गुफा में नहीं फंसने का फैसला किया। अपनी शिकायत में महिला जज ने दावा किया है कि वह अपने पति के साथ हाईकोर्ट की जबलपुर पीठ के मौजूदा न्यायाधीश से मिली थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि वे गंगेले से बात करेंगे।
सिधी ट्रांसफर किए जाने के बाद 15 जुलाई को महिला जज ने इस्तीफा दे दिया था। महिला जज का आरोप है कि तीन जजों के कारण उसका ट्रांसफर किया गया था। महिला जज ने दावा किया कि तीनों न्यायाधीशों ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निराधार,तुच्छ और दुर्भावनापूर्ण रिपोर्टिग की। जब रजिस्ट्रार ऑफ जनरल ने आठ महीने की मियाद बढ़ाने से इनकार कर दिया तो महिला जज के पास गंगेले के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उस वक्त गंगेले प्रशासन के इंचार्ज थे।
महिला जज ने आरोप लगाया कि गंगेले ने उससे कहा कि मेरी आकांक्षाओं को पूरा नहीं करने और बार भी उनके बंगले पर अकेले नहीं आने के कारण ट्रांसफर किया जा रहा है। महिला जज ने दावा किया है कि जबलपुर पीठ के जज ने सलाह दी थी कि अन्य जिले में ट्रांसफर पर पुर्नविचार के लिए अन्य अभिवेदन फाइल करें। महिला जज को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास नियुक्ति की मांग करने की भी सलाह दी गई थी।
महिला जज का दूसरा अभिवेदन भी खारिज कर दिया गया और मुख्य न्यायाधीश के दफ्तर ने नियुक्ति से इनकार कर दिया। ऎसा इसलिए हुआ क्योंकि अपराधकर्ता बहुत शक्तिशाली था। पीठ का प्रशासनिक जज होने के कारण वह मुझे हानि पहुंचा सकता था। मुझे सुनवाई का भी मौका नहीं मिला। उस जज के बारे में कल्पना कीजिए जो विशाखा समिति का हिस्सा होने के बावजूद न्याय नहीं पा रही थी। -
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