राजस्थान का मारवाड क्षेत्र इन दिनों लोक देवता बाबा राम रामदेव की भक्ति के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है। प्रदेश में लगने वाले लख्खी मेलों में बाबा रामदेव का मेला पहले स्थान पर आता है। यह मेला पूरे भाद्र माह चलता है और 25-30 लाख लोग देश के कौन-कौने से रामदेवरा आकर बाबा रामेदव के दर्शन करते हैं।
इन दिनों मारवाड़ की हर सड़क, शहर व कस्बा बाबा के जातरूओं से भरा हुआ है और रेल्वे स्टेशनों पर तो बाबा के भक्तों के कारण खडे होने की जगह मिलना मुश्किल हो रही है। यही नहीं ट्रेनों का भी यही हाल नजर आता है। बाबा के पैदल जातरूओं के जत्थे अपने हाथों में सात रंगों वाली बाबा की ध्वजा लेकर मारवाड़ की सड़कों पर चलते हुए रामदेवरा पहुंचने को लालायित नजर आ रहे हैं।
मारवाड़वासी भी बाबा के भक्तों की सेवा सत्कार के लिए पलकें बिछाए हुए हैं तथा हर सड़क मार्ग पर एक दो किलोमीटर की दूरी पर नि:शुल्क राम रसोडे, विश्रामस्थल एवं चाय पान की स्टालें खोल दी है जिनका बाबा के जातरू लाभ उठा रहे हैं।
रामदेव को सभी धर्मों के लोग समाननरूप से पूजते हैं। हिन्दू एवं अन्य धर्म वाले इसे बाबा रामदेव तथा मुस्लिम धर्म वाले इन्हें रामसापीर के नाम से मानते हैं। लोग बाबा सेअनेक मिन्नतें मांगते हैं और उनके पूरी होने पर लोग उसके दरबार में माथा टेकने अवश्य आते हैं।
राजस्थान के हर जिले से जातरू आते हैं इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों के लोग रामदेवरा आते हैं। अपने समय काल में बाबा रामेदव ने छूआछूत का विरोध करते हुए अनुसूचित जाति की एक लड़की डालीबाई को अपने साथ घर में रखा। वह बाबा के अनन्य भक्तों में से एक थी।
वर्तमान में भी बाबा के मंदिर के पास डालीबाई का मंदिर बताया जाता है। छूआछूत का विरोधी होने के कारण ही बाबा के भक्तों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग अधिक माने जाते हैं। वैसे तो बाबा का मेला एक माह तक चलता है लेकिन भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की दूज एवं दसम का विशेष महत्व माना जाता है।
जोधपुर शहर स्थित मसूरियां पहाड़ी पर रामदेव के गुरू बालिकनाथ की समाधी स्थल पर दूज को विशाल मेला लगता है जबकि दसम को रामदेवरा में बाबा की समाधी स्थसल पर भारी मेला रहता है।
यह मान्यता रही है कि बाबा के गुरू की समाधी के दर्शन किए बिना ही रामदेवरा जाने वाले जातरू को इच्छित लाभ नहीं मिल पाता है। इस कारण लोग पहले मसूरिया आते हैं और बाद में रामदेवरा पहुंचते हैं।
मसूरिया मंदिर में 27 अगस्त को मंगला एवं सांध्य आरती 151 दीयों से की जाएगी तथा सुबह 11 बजे ध्वजारोहण की रस्म होगी। इस दिन मंदिर में झूलों से विशेष सजावट की जाएगी तथा बालिकनाथ की समाधी एवं रामदेव का आभूषणों से शृंगार किया जाएगा।
इसी पहाड़ी के नीचे परचा नाडी बनी हुई है और इसमें स्नान करने से कई प्रकार की व्याधियों से छुटकारा मिलने के कारण बड़ा महत्व माना जाता है। जिला प्रशासन एवं रेलवे व रोडवेज प्रशासन ने भी भक्तों के लिए सुविधाओं का विशेष इंतजाम किया है।
पुलिस प्रशासन ने अधिसूचना जारी कर रामदेव मेले के दौरान जोधपुर कमिश्नरेट क्षेत्र से गुजरने वाले वाहनों की गति सीमा निर्धारित की है। इसके तहत राजमागोंü एवं राज्य उच्च मागोंü तथा ग्र्रामीण सड़क मागोंü पर चलने वाले भारी वाहन के लिए 40 एवं हल्के वाहनों की अधिकतम गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा तय की है।
यह आदेश 27 अगस्त से चार सितम्बर तक प्रभावी रहेंगे। इसके अलावा रेल्वे ने जोधपुर रामदेवरा के लिए तीन विशेष मेला रेलगाडियों का संचालन किया है तथा रोेडवेज प्रशासन ने हर आधे घंटे से जोधपुर रेल्वे स्टेशन से रामदेवरा के लिए विशेष बस सेवाएं संचालित की जा रही है। -
इन दिनों मारवाड़ की हर सड़क, शहर व कस्बा बाबा के जातरूओं से भरा हुआ है और रेल्वे स्टेशनों पर तो बाबा के भक्तों के कारण खडे होने की जगह मिलना मुश्किल हो रही है। यही नहीं ट्रेनों का भी यही हाल नजर आता है। बाबा के पैदल जातरूओं के जत्थे अपने हाथों में सात रंगों वाली बाबा की ध्वजा लेकर मारवाड़ की सड़कों पर चलते हुए रामदेवरा पहुंचने को लालायित नजर आ रहे हैं।
मारवाड़वासी भी बाबा के भक्तों की सेवा सत्कार के लिए पलकें बिछाए हुए हैं तथा हर सड़क मार्ग पर एक दो किलोमीटर की दूरी पर नि:शुल्क राम रसोडे, विश्रामस्थल एवं चाय पान की स्टालें खोल दी है जिनका बाबा के जातरू लाभ उठा रहे हैं।
रामदेव को सभी धर्मों के लोग समाननरूप से पूजते हैं। हिन्दू एवं अन्य धर्म वाले इसे बाबा रामदेव तथा मुस्लिम धर्म वाले इन्हें रामसापीर के नाम से मानते हैं। लोग बाबा सेअनेक मिन्नतें मांगते हैं और उनके पूरी होने पर लोग उसके दरबार में माथा टेकने अवश्य आते हैं।
राजस्थान के हर जिले से जातरू आते हैं इसके अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब सहित अन्य राज्यों के लोग रामदेवरा आते हैं। अपने समय काल में बाबा रामेदव ने छूआछूत का विरोध करते हुए अनुसूचित जाति की एक लड़की डालीबाई को अपने साथ घर में रखा। वह बाबा के अनन्य भक्तों में से एक थी।
वर्तमान में भी बाबा के मंदिर के पास डालीबाई का मंदिर बताया जाता है। छूआछूत का विरोधी होने के कारण ही बाबा के भक्तों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोग अधिक माने जाते हैं। वैसे तो बाबा का मेला एक माह तक चलता है लेकिन भाद्र माह के शुक्ल पक्ष की दूज एवं दसम का विशेष महत्व माना जाता है।
जोधपुर शहर स्थित मसूरियां पहाड़ी पर रामदेव के गुरू बालिकनाथ की समाधी स्थल पर दूज को विशाल मेला लगता है जबकि दसम को रामदेवरा में बाबा की समाधी स्थसल पर भारी मेला रहता है।
यह मान्यता रही है कि बाबा के गुरू की समाधी के दर्शन किए बिना ही रामदेवरा जाने वाले जातरू को इच्छित लाभ नहीं मिल पाता है। इस कारण लोग पहले मसूरिया आते हैं और बाद में रामदेवरा पहुंचते हैं।
मसूरिया मंदिर में 27 अगस्त को मंगला एवं सांध्य आरती 151 दीयों से की जाएगी तथा सुबह 11 बजे ध्वजारोहण की रस्म होगी। इस दिन मंदिर में झूलों से विशेष सजावट की जाएगी तथा बालिकनाथ की समाधी एवं रामदेव का आभूषणों से शृंगार किया जाएगा।
इसी पहाड़ी के नीचे परचा नाडी बनी हुई है और इसमें स्नान करने से कई प्रकार की व्याधियों से छुटकारा मिलने के कारण बड़ा महत्व माना जाता है। जिला प्रशासन एवं रेलवे व रोडवेज प्रशासन ने भी भक्तों के लिए सुविधाओं का विशेष इंतजाम किया है।
पुलिस प्रशासन ने अधिसूचना जारी कर रामदेव मेले के दौरान जोधपुर कमिश्नरेट क्षेत्र से गुजरने वाले वाहनों की गति सीमा निर्धारित की है। इसके तहत राजमागोंü एवं राज्य उच्च मागोंü तथा ग्र्रामीण सड़क मागोंü पर चलने वाले भारी वाहन के लिए 40 एवं हल्के वाहनों की अधिकतम गति सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा तय की है।
यह आदेश 27 अगस्त से चार सितम्बर तक प्रभावी रहेंगे। इसके अलावा रेल्वे ने जोधपुर रामदेवरा के लिए तीन विशेष मेला रेलगाडियों का संचालन किया है तथा रोेडवेज प्रशासन ने हर आधे घंटे से जोधपुर रेल्वे स्टेशन से रामदेवरा के लिए विशेष बस सेवाएं संचालित की जा रही है। -
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