लंदन। लंबे समय से मेडिकल की दुनिया को लोहा दे रहा कैंसर अब कमजोर पड़ सकता है।
वैज्ञानिकों ने कैंसर को मात देने के लिए एक दमदार आर्टिफिशियल मॉलेक्यूल तैयार कर लिया है।
वैज्ञानिक लंबे समय से इस मॉलेक्यूल को तैयार करने में लगे थे। अथक परिश्रम के बाद वैज्ञानिकों को आखिरकार कामयाबी मिल ही गई।
ये ऎंटि कैंसर मॉलेक्यूल वैसे ही काम करते हैं, जैसे कि शरीर में कुदरती तौर पर मौजूद पेप्टाइड कैंसर और इन्फेक्शन को रोकने में अपनी भूमिका निभाते हैं।
लैब टेस्ट में कोलन कैंसर की कोशिकाओं को रोकने में ये आर्टिफिशल मॉलेक्यूल अपनी क्षमता दिखा चुके हैं।
ब्रिटेन की वॉरविक यूनिवर्सिटी के प्रफेसर पीटर स्कॉट और ब्रैडफर्ड के इंस्टिट्यूट फॉर कैंसर थेरेपेटिक्स के प्रफेसर रोजर फिलिप्स की टीम ने ऎसा तरीका खोजा है।
जिसके जरिए इन पेप्टाइड्स को न सिर्फ मिनट भर में, बल्कि बिना महंगी मशीनों के इस्तेमाल के बड़ी तादाद में पैदा किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने कैंसर को मात देने के लिए एक दमदार आर्टिफिशियल मॉलेक्यूल तैयार कर लिया है।
वैज्ञानिक लंबे समय से इस मॉलेक्यूल को तैयार करने में लगे थे। अथक परिश्रम के बाद वैज्ञानिकों को आखिरकार कामयाबी मिल ही गई।
ये ऎंटि कैंसर मॉलेक्यूल वैसे ही काम करते हैं, जैसे कि शरीर में कुदरती तौर पर मौजूद पेप्टाइड कैंसर और इन्फेक्शन को रोकने में अपनी भूमिका निभाते हैं।
लैब टेस्ट में कोलन कैंसर की कोशिकाओं को रोकने में ये आर्टिफिशल मॉलेक्यूल अपनी क्षमता दिखा चुके हैं।
ब्रिटेन की वॉरविक यूनिवर्सिटी के प्रफेसर पीटर स्कॉट और ब्रैडफर्ड के इंस्टिट्यूट फॉर कैंसर थेरेपेटिक्स के प्रफेसर रोजर फिलिप्स की टीम ने ऎसा तरीका खोजा है।
जिसके जरिए इन पेप्टाइड्स को न सिर्फ मिनट भर में, बल्कि बिना महंगी मशीनों के इस्तेमाल के बड़ी तादाद में पैदा किया जा सकता है।
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