गुरुवार, 7 अगस्त 2014

गौरान के दफ्तर से ही आउट हुआ था पर्चा!








अजमेर। आरएएस भर्ती परीक्षा का पेपर राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) से ही लीक हुआ था। अब शक की सूई आयोग अध्यक्ष हबीब खान गौरान के दफ्तर पर जा टिकी है। स्पेशल ऑपरेशन गु्रप (एसओजी) का मानना है कि प्रश्न पत्र कहां छपेगा, यह जानकारी सिर्फ गौरान को थी और पर्चा आउट करने वाले गिरोह के सरगना तक आयोग से ही पहुंची थी।

आयोग के तीन और कर्मचारी हैं, जो यह जानकारी हासिल करने के करीब पहुंच सकते हैं। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी किशोर ठठेरा, सुरेश कुमार और एक गोपनीय शाखा का कर्मचारी। किशोर और सुरेश गौरान के सहचर हैं और उनकी निजी फाइलों तक पहुंच रखते हैं। एसओजी इसे ही केंद्र में रखा है। एसओजी ने आयोग से प्रिंटिंग फर्म के विषय में जानकारी तलब की हैं।

प्रिंटिंग फर्मो पर मेहरबान रहे गौरान : प्रारंभिक जांच के मुताबिक आयोग अध्यक्ष गौरान प्रिंटिंग फर्मो पर खासे मेहरबान रहे हैं। मनमर्जी से अतिरिक्त प्रश्न पत्र छपवाकर प्रिंटिंग फर्मो को उपकृत किया गया है। बाद में प्रश्न पत्र रद्दी हो गए। इससे प्रिंटिंग फर्मो के तो वारे-न्यारे हुए, लेकिन आयोग को करोड़ों का नुकसान हुआ।

मुश्किल पहचान

प्रिंटिंग फर्म प्रश्न पत्र छापती जरूर है, लेकिन वह भी यह दावे के साथ नहीं कह सकती कि इसका उपयोग किस राज्य में और किस परीक्षा में किया जाएगा, क्योंकि प्रश्न पत्र पर न तो आयोग का नाम होता है न ही परीक्षा का। ऎसे में वह एक सामान्य प्रश्न पत्र की तरह नजर आता है। परीक्षा के संबंध में आयोग से कोई भी सटीक जानकारी न मिलने तक उसका दुरूपयोग मुश्किल है।

प्रिंटिंग पे्रस का नाम अत्यन्त गोपनीय रखा जाता है। यह प्रक्रिया अध्यक्ष की निगरानी में शुरू होकर वहीं खत्म हो जाती है। एसओजी के सवालों का जल्द जवाब देंगे। नरेश कुमार ठकराल, सचिव, राजस्थान लोक सेवा आयोग

गोपनीय प्रक्रिया

आयोग अध्यक्ष गोपनीय पत्र लिख प्रिंटिंग फर्म को प्रश्न पत्र छापने का ऑर्डर देते हैं। फर्म का नाम इतना गोपनीय रखा जाता है कि उसे भुगतान के लिए आयोग सचिव तक को लिखे पत्र में भी प्रिंटिंग फर्म का नाम नहीं होता। सिर्फ परीक्षा का नाम, प्रश्न पत्रों की संख्या और भुगतान की राशि बताई जाती है। इसके आधार पर ही सचिव कोषागार से भुगतान लेकर गोपनीय विभाग के खाते में जमा कराते हैं।

जुड़ती कडियां

गोपनीय शाखा के अनुभाग अधिकारी आयोग अध्यक्ष के निर्देश पर भुगतान का चैक या ड्राफ्ट बना देते हैं। यह जरूरी नहीं कि ड्राफ्ट फर्म के नाम बनाया जाए। अध्यक्ष चाहें तो फर्म को नकद भुगतान भी किया जा सकता है। हालांकि कुछ समय से नकद की बजाय ड्राफ्ट से ही भुगतान किया जा रहा है। ऎसे में शक की सूई गोपनीय शाखा के कर्मचारी पर भी घूम रही है।
-  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें