जयपुर। पूरे देश में गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जा रही है। मंदिरों में भक्तों की कतारें लगी हुई है।
राजस्थान के सवाईमधोपुर जिले से 12 किलोमीटर दूर रणथंभौर किले में हजारों साल पुराना त्रिनेत्र गणेश का मंदिर है।
मान्यता है कि कृष्ण-रूक्मणी विवाह का पहला निमंत्रण इन्हें ही भेजा गया था। इसके बाद से लोग अपने पुत्र और पुत्रियों की शादी का निमंत्रण सबसे पहले गणेश जी को भेजते हैं।
इस मंदिर में राजस्थान और हरियाणा सबसे ज्यादा भक्त गण आते हैं। ये लोग दुनिया मे कहीं भी रहते हों अपने परिवार में होने वाली शादी का पहला निमंत्रण पत्र इन गणेश जी को ही भिजवाते हैं।
पोस्टमैन लाता है कार्ड्स
मजे की बात यह है कि इन पत्रों को जो कि सैकडों की संख्या मे होते हैं, पोस्ट्मैन (डाकिया) इस दुर्गम किले की ऊंचाई पर जंगली रास्तों से होता हुआ नित्य पहुंचाता है, और वहां पर एक पुजारी इन सभी पत्रों को गणेश जी को बाकायदा पढ़ कर सुनाता है। कई लोग पत्रों द्वारा ही अपनी व्यथा भगवान को लिख भेजते हैं, और कहते हैं कि गणेश जी उनकी व्यथा पत्र द्वारा सुनकर दूर कर देते हैं।
हजारों महिलाओं ने किया जौहर
रणथंभौर का किला चौहान राजपूतों ने 944 ई. में बनवाया था। 1192 ई से 17वीं शताब्दी तक मुगलों ने इस पर कब्जा रखा। ऎसा कहा जाता है कि यहां 11381 में हजारों राजपूत महिलाओं ने मुगलों से बचने के लिए जौहर किया था।
17वीं शताब्दी में जयपुर के कछवाहा महाराजों के आधिपत्य में यह किला आया तब से लेकर स्वतंत्रता के समय तक रणथंभौर जयपुर स्टेट के आधीन था।
इस किले की परिधि करीब 7 किमी है इस किले के अंदर रामलला जी, गणेशजी, और शिव जी का मंदिर है। किले के नाम पर ही राष्ट्रीय उद्यान का नाम रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान रखा गया।
राजस्थान के सवाईमधोपुर जिले से 12 किलोमीटर दूर रणथंभौर किले में हजारों साल पुराना त्रिनेत्र गणेश का मंदिर है।
मान्यता है कि कृष्ण-रूक्मणी विवाह का पहला निमंत्रण इन्हें ही भेजा गया था। इसके बाद से लोग अपने पुत्र और पुत्रियों की शादी का निमंत्रण सबसे पहले गणेश जी को भेजते हैं।
इस मंदिर में राजस्थान और हरियाणा सबसे ज्यादा भक्त गण आते हैं। ये लोग दुनिया मे कहीं भी रहते हों अपने परिवार में होने वाली शादी का पहला निमंत्रण पत्र इन गणेश जी को ही भिजवाते हैं।
पोस्टमैन लाता है कार्ड्स
मजे की बात यह है कि इन पत्रों को जो कि सैकडों की संख्या मे होते हैं, पोस्ट्मैन (डाकिया) इस दुर्गम किले की ऊंचाई पर जंगली रास्तों से होता हुआ नित्य पहुंचाता है, और वहां पर एक पुजारी इन सभी पत्रों को गणेश जी को बाकायदा पढ़ कर सुनाता है। कई लोग पत्रों द्वारा ही अपनी व्यथा भगवान को लिख भेजते हैं, और कहते हैं कि गणेश जी उनकी व्यथा पत्र द्वारा सुनकर दूर कर देते हैं।
हजारों महिलाओं ने किया जौहर
रणथंभौर का किला चौहान राजपूतों ने 944 ई. में बनवाया था। 1192 ई से 17वीं शताब्दी तक मुगलों ने इस पर कब्जा रखा। ऎसा कहा जाता है कि यहां 11381 में हजारों राजपूत महिलाओं ने मुगलों से बचने के लिए जौहर किया था।
17वीं शताब्दी में जयपुर के कछवाहा महाराजों के आधिपत्य में यह किला आया तब से लेकर स्वतंत्रता के समय तक रणथंभौर जयपुर स्टेट के आधीन था।
इस किले की परिधि करीब 7 किमी है इस किले के अंदर रामलला जी, गणेशजी, और शिव जी का मंदिर है। किले के नाम पर ही राष्ट्रीय उद्यान का नाम रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान रखा गया।
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