नई दिल्ली। दहेज विरोधी कानून के दुरूपयोग की शिकायतों के चलते केन्द्र सरकार अधिनियम में ऎसे दण्डनीय प्रावधान जोड़ने पर विचार कर रही है जिसमें झूठे आरोप लगाने वालों को सजा मिल सके या उन पर जुर्माना लगाया जा सके। महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय दहेज रोकनाथ अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों को भी और कड़ा करने पर विचार कर रही है। साथ ही मंत्रालय दहेज की परिभाषा को और विस्तारित करने पर विचार कर रही है।
मंत्रालय के ध्यान में दहेज विरोधी कानून के दुरूपयोग की घटनाएं सामने आई है। कुछ मामलों में महिलाओं ने अन्य कारणों से अपने पति और ससुराल वालों को गलत तरीके से फंसा दिया। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अगर आरोप झूठे साबित होते हैं तो मामला बंद होना चाहिए,इसलिए कुछ प्रावधानों में बदलाव करने पर विचार चल रहा है ताकि कानून का दुरूपयोग करने वालों को सजा मिल सके या उन पर जुर्माना लगाया जा सके।
अधिकारी ने बताया कि संशोधनों में दहेज की परिभाषा को और व्यापक किया जाएगा। शादी के संबंध में,शादी के पहले दिए जाने वाले,शादी के वक्त,शादी के बाद कभी भी जैसे शब्दों में बदलाव कर दहेज की परिभाषा को व्यापक बनाया जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि तुरंत राहत के लिए घरेलू हिंसा कानून के प्रावधानों को दहेज विरोधी कानून से जोड़े जाने का भी प्रस्ताव है। शादी में दिए और लिए जाने वाले उपहारों की सूची की जानकारी को अनिवार्य किया जाएगा।
अगर सूची नहीं दी जाती है तो न केवल दुल्हे और दुल्हन बल्कि उनके माता-पिता को भी तीन साल तक की सजा या जुर्माना लग सकता है। अधिकारी ने बताया कि उपहारों की सूची को अनिवार्य किए जाने के बाद इस तरह के दावों पर लगाम लगेगी जिनमें शादी से पहले दिए जाने वाले उपहारों को भी दहेज बता दिया जाता है। इसके अलावा एक नया क्लॉज भी शामिल किया जा सकता है। इसमें असंतुष्ट या खिन्न महिला को यह अवसर मिलेगा कि जहां अपराध हुआ है वहां केस फाइल कर पाए या जहां वह अस्थायी या स्थायी रूप से रहती है।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी दहेज रोकथाम अधिनियम 2009 में संशोधन के लिए सिफारिशें की है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकारों को निर्देश दिया था कि पुलिस को निर्देश दिए जाएं कि आईपीसी की धारा 498 ए के तहत दर्ज होने वाले मामले में तुरंत गिरफ्तारी ना हो। गिरफ्तारी तभी हो जब जांच अधिकारी संतुष्ट हो जाए। गिरफ्तारी आपराधिक दंड संहिता की धारा 41 के तहत तय मानक के हिसाब से हो। निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने असंतुष्ट पत्नियों की ओर से अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज विरोधी कानून के दुरूपयोग पर गहरी चिंता प्रकट की थी। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि दहेज विरोधी कानून का उपयोग ससुराल वालों को प्रताडित करने के लिए कि या जा रहा है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें