रविवार, 13 जुलाई 2014

ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी गंगा



त्तरकाशी जनपद में 3140 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है गंगोत्री धाम। यह आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण नदी गंगा (भागीरथी) का उद्गम स्थल भी है। गंगाजी ज्ञान की अधिष्ठात्री यानी साक्षात् सरस्वती स्वरूपा हैं। ज्ञान जीव में वैराग्य का भाव जगाता है। इसलिए यमुनाजी के बाद गंगा दर्शन को जरूरी बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि 18वीं सदी में गोरखा कैप्टन अमर सिंह थापा ने आदि गुरु शंकराचार्य के सम्मान में गंगोत्री मंदिर का निर्माण करवाया। इसकी ऊंचाई लगभग 20 फीट है।

राजा माधोसिंह ने 1935 में इस मंदिर का पुनरुद्धार किया। यही वजह है कि मंदिर की बनावट में राजस्थानी शैली की झलक मिलती है। गंगाजी यहां केवल 44 फीट चौड़ी हैं, जबकि गहराई है लगभग तीन फीट। गंगोत्री से 19 किमी आगे 3892 मीटर की ऊंचाई पर गोमुख ग्लेशियर है। यही गंगाजी की उत्पत्ति का स्थान है, लेकिन मार्ग इतना दुर्गम है कि प्रत्येक यात्री वहां तक नहीं जा सकता।

गंगोत्री धाम


मौसम: ग्रीष्मकाल में दिन के समय सुहावना और रात में सर्द। न्यूनतम तापमान 6.0 डिग्री और अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस। शीतकाल में सितंबर से नवंबर तक दिन के समय सुहावना, रात के समय अधिक ठंडा। दिसंबर से मार्च तक हिमाच्छादित। तापमान शून्य से कम।

वेशभूषा: मई से जुलाई तक हल्के ऊनी वस्त्र व सितंबर से नवंबर तक भारी ऊनी वस्त्र।

यात्री सुविधा: गंगोत्री और यात्रा मार्ग के समस्त प्रमुख स्थानों पर जीएमवीएन यात्री विश्राम गृह, निजी विश्राम गृह व धर्मशालाएं।

वायु मार्ग: देहरादून स्थित जौलीग्रांट हवाई अड्डा।

रेल मार्ग: ऋषिकेश और देहरादून।

सड़क मार्ग: ऋषिकेश से उत्तरकाशी की दूरी 255 किमी।

कैसे पहुंचें: ऋषिकेश से चंबा व उत्तरकाशी होते हुए

मोटर मार्ग से गंगोत्री पहुंचते हैं। यमुनोत्री धाम के दर्शन के बाद बड़कोट-धरासू मोटर मार्ग से उत्तरकाशी पहुंचे

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