शुक्रवार, 11 जुलाई 2014

बी.एस.एफ के फ्यूल कोटे में की गई कटौती से अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हालात बिगड़े



पश्चिमी सरहद से विष्व के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक बल बी.एस.एफ के फ्यूल कोटे में की गई कटौती से अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हालात बिगड़े। जवानो को नहाने का संकट। आॅपरेषनल व प्रषासनिक ड्यूटिया प्रभावित। वाहनो की आवाजाही पर पड़ा असर।

गत केंद्र सरकार द्वारा खर्चो में कटौती का दुहाई देकर बांग्लादेष पाकिस्तान की सीमा पर तैनात विष्व के सबसे बड़े अर्द्धसैनिक दल फ्यूल के अलोटमैंट में भारी कटौती की गई हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हालात बिगड़ते जा रहे हैं जहां आॅपरेषनल ड्यूटिया प्रभावित हो रही हैं, वही रषद व प्रषासनिक व्यवस्थाओं के लिए वाहनो के परिचालन में की गई कटौती से पूरा सिस्टम गड़बड़ाता  जा रहा हैं। बताया जाता हैं केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा तेल बचत अभियान मुहिम के तहत आदेष निकाल कर पूरे देष में तैनात बी.एस.एफ मुख्यालयो को 37 प्रतिषत की तेल कटौती होने के बारे में सूचना दी हैं, इस आदेष के बाद गृह मंत्रालय के बाद बी.एस.एफ को उनकी सामान्य मांग के मुकाबले 37 प्रतिषत तेल कम मिलना शुरु हो गया हैं। राजस्थान, गुजरात, बंगाल व नोर्थ ईस्ट के क्षेत्रों में विषम परिस्थितिया व कठिन हालातो में टफ ड्यूटी में इतनी भारी भरकम तेल कटौती होने से बी.एस.एफ की बोर्डर गार्डिंग के क्रिया कलापो में काफी असर पड़ना शुरु हो गया हैं साथ ही प्रषासनिक व रषद आदि अन्य गतिविधियों पर तेल कटौती का असर साफ देखा जा रहा हैं तथा बी.एस.एफ की रोजमरा की प्रषासनिक आवाजाही प्रभावित होना शुरु हो गई हैं। इसके अलावा इस तेल कटौती से गर्मी के मौसम में रेगिस्तानी इलाको में पानी के टेंकरो की आवाजाही में भी कटौती करनी पड़ रही हैं। जवानो को पीने का पानी ही बड़ी मुष्किल से मिल पा रहा हैं जबकि इस गर्मी व आंधी में वे तीन दिन बाद नहा पा रहे हैं यानि हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।


रेगिस्तानी इलाको में दर्जनो सीमा चैकिया हैं जहां पर प्रतिदिन वाटर टेंकर 50 से 60 किलोमीटर तक का सफर वाटर पोउंट से लेकर सीमा तक करते हैं, साथ ही सीमा चैकियों के आसपास ऐसी सैकड़ो आवारा पषु व गायें हैं जिनकी पीने के पानी का आसरा यह बी.एस.एफ की सीमा चैकियां हैं जहां पर जवान इन निरीह पषुओं को पानी उनलब्ध करवाते हैं। वाटर टेंकर की आवाजाही में कटौती होने से तो इन पषुओं पर पीने के पानी का भारी संकट उत्पन्न हो गया हैं तथा कई स्थानों पर पशुओं के मरने की भी जानकारी मिल रही हैं।

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