बीकानेर। यह सुनने में भले ही अजीब लगे लेकिन हकीकत है। चिकित्सकों की ओर से राजसिंह को मृत घोषित करने के बाद भी उसकी पत्नी रामप्यारी को यकीन नहीं हुआ कि उसके पति की मौत हो गई है।
वह उसके मृत शरीर को लेकर रामदेवरा चली गई। उसे आस थी कि वहां बाबा के दरबार में जाने से उसके पति की सांसें लौट आएंगी लेकिन ऎसा नहीं हुआ। आखिर भगवान के आगे हार मानकर महिला ने प्रशासन के सहयोग से पति का दाह संस्कार करवा दिया और चिता को खुद ही मुखाग्नि दी ।
यह है मामला
हरियाणा की मूल निवासी व हाल बीकानेर केसमतानगर निवासी रामप्यारी का पति राजसिंह (45) पिछले 13 साल से बीमार चल रहा था। वह पिछले कई दिनों से पीबीएम के टीबी अस्पताल में भर्ती था, जहां सोमवार दोपहर 2 बजे उसकी मौत हो गई, लेकिन उसे अपने पति की मौत पर यकीन नहीं हुआ और एम्बुलेंस किराए पर लेकर उसके मृत शरीर को रामदेवरा ले गई।
महिला मंदिर में धोक लगाने चली गई। इस बीच एम्बुलेंस के चालक को पता चला कि यहां महिला का घर नहीं है वह तो मंदिर में धोक गलाने आई है। वह परेशान हो गया कि महिला व शव को कहां छोड़े। रात करीब दो बजे वह वापस बीकानेर आ गया। महिला रातभर शव के साथ पीबीएम के आगे एम्बुलेंस में बैठी रही।
पहले बच्चों और अब पति ने छोड़ा साथ
रामप्यारी के भरा-पूरा परिवार था। उसके दो बेटे व दो बेटियां थी। 10 साल पहले चारों बच्चे एक के बाद एक भगवान को प्यारे हो गए। उसका पति भी बीमार रहता था। सोमवार को वह भी साथ छोड़ गया।
अब जी कर क्या करूंगी
रामप्यारी की आंखों से आंसू सूख गए है। उसका रो-रोकर बुरा हाल है। वह रूंध गले से कहती है बाबूजी अब मैं भी जी कर क्या करूंगी। मेरा सब कुछ भगवान ने छीन लिया। राज मेरा बहुत ख्याल रखता था।
15 साल पहले बीमार पड़ती तो चार महीने तक इसने खूब सेवा की मेरी। मरे बच्चों की मौत के बाद वह मुझे हमेशा कहता था चिंता मत कर तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
वह बताती है कि पिछले आठ सालों से बाबा रादेव के धोक लगाने पैदल जाती हूं। इतना कुछ करने के बावजूद भगवान ने मरा सब कुछ छीन लिया।
वह उसके मृत शरीर को लेकर रामदेवरा चली गई। उसे आस थी कि वहां बाबा के दरबार में जाने से उसके पति की सांसें लौट आएंगी लेकिन ऎसा नहीं हुआ। आखिर भगवान के आगे हार मानकर महिला ने प्रशासन के सहयोग से पति का दाह संस्कार करवा दिया और चिता को खुद ही मुखाग्नि दी ।
यह है मामला
हरियाणा की मूल निवासी व हाल बीकानेर केसमतानगर निवासी रामप्यारी का पति राजसिंह (45) पिछले 13 साल से बीमार चल रहा था। वह पिछले कई दिनों से पीबीएम के टीबी अस्पताल में भर्ती था, जहां सोमवार दोपहर 2 बजे उसकी मौत हो गई, लेकिन उसे अपने पति की मौत पर यकीन नहीं हुआ और एम्बुलेंस किराए पर लेकर उसके मृत शरीर को रामदेवरा ले गई।
महिला मंदिर में धोक लगाने चली गई। इस बीच एम्बुलेंस के चालक को पता चला कि यहां महिला का घर नहीं है वह तो मंदिर में धोक गलाने आई है। वह परेशान हो गया कि महिला व शव को कहां छोड़े। रात करीब दो बजे वह वापस बीकानेर आ गया। महिला रातभर शव के साथ पीबीएम के आगे एम्बुलेंस में बैठी रही।
पहले बच्चों और अब पति ने छोड़ा साथ
रामप्यारी के भरा-पूरा परिवार था। उसके दो बेटे व दो बेटियां थी। 10 साल पहले चारों बच्चे एक के बाद एक भगवान को प्यारे हो गए। उसका पति भी बीमार रहता था। सोमवार को वह भी साथ छोड़ गया।
अब जी कर क्या करूंगी
रामप्यारी की आंखों से आंसू सूख गए है। उसका रो-रोकर बुरा हाल है। वह रूंध गले से कहती है बाबूजी अब मैं भी जी कर क्या करूंगी। मेरा सब कुछ भगवान ने छीन लिया। राज मेरा बहुत ख्याल रखता था।
15 साल पहले बीमार पड़ती तो चार महीने तक इसने खूब सेवा की मेरी। मरे बच्चों की मौत के बाद वह मुझे हमेशा कहता था चिंता मत कर तुझे छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा।
वह बताती है कि पिछले आठ सालों से बाबा रादेव के धोक लगाने पैदल जाती हूं। इतना कुछ करने के बावजूद भगवान ने मरा सब कुछ छीन लिया।
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