बाड़मेर फर्जी पहचान देने वालों को जेल
बाड़मेर पाक में हो रहे अत्याचार से तंग आकर भारत में शरण लेने वाले एससी के व्यक्ति को भारत में भी सुकून नसीब नहीं हो रहा। सन पैंसठ एवं इकहत्तर में पाक छोड़कर भारत बसने वालों को केंद्र सरकार ने विस्थापितों को बॉर्डर क्षेत्र में जमीन आवंटित की थी, ताकि पाक से होनेवाले खतरे को काफी हद तक कम किया जा सके। पाक विस्थापित हरलाल पुत्र आलम मेघवाल को सरकार ने पचास बीघा आवंटित की थी। इसके बाद उसने अपनी जमीन ठाकराराम जाट को पांती पर खेती करने के लिए दी। इस बीच ठाकराराम ने सरकारी कारिंदों एवं तत्कालीन सरपंच से सांठगांठ कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर खुद के एससी के दस्तावेज बनवाए। फिर खातेदार को पांती लेखान करवाने के नाम से बाड़मेर लाया जहां से उसने जमीन बेचान लिखवाकर रामसर तहसील में रजिस्ट्रेशन करवाया दिया। इसमें फूसाराम एवं आत्माराम ने ठाकराराम के मेघवाल होने के तस्दीक दी थी। जमीन बेचान का नामांतरण तत्कालीन पटवारी सवाई सिंह एवं सरपंच पदमाराम ने म्यूटेशन खोला था।
फर्जी दस्तावेज
इस आशय को लेकर पाक विस्थापित परिवार ने 2013 में पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया।इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने फूसाराम व आत्माराम को एससीएसटी कोर्ट बाड़मेर में पेश किया जहां पर झूठी पहचान देने के गम्भीर आरोप में विशिष्ट न्यायाधीश एमआर सुथार ने जेल भेजने के आदेश दिए। राज्य की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक कमाल खान एवं आरोपी की ओर से महेन्द्र रामावत व दलपत सिसोदिया ने पैरवी की।
ञ्च पाक से विस्थापित एससी के व्यक्ति की जमीन हड़पने का मामला
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