जयपुर। राजस्थान में स्थानीय निकायों के अध्यक्ष एवं महापौर के चुनाव अप्रत्यक्षरूप से पार्षदों द्वारा कराने के फैसले का विरोध शुरू हो गया है।
राज्य में स्थानीय निकायों के चुनेे हुए पार्षदों द्वारा बहुमत के आधार पर अध्यक्ष एवं महापौर के चुनाव कराने संबंधी स्वायत्त शासन विभाग के निर्णय पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सहमति प्रदान कर दी है।
इस अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के फैसले का वर्तमान महापौर एवं कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने भी विरोध व्यक्त करते हुए कहा है कि जनता द्वारा सीधे अध्यक्ष एवं महापौर के चुनाव करने पर उनके प्रति ज्यादा जिम्मेदारी होती है तथा जनता से सीधा संवाद स्थापित होता है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों में वर्ततान चुनाव प्रणाली को बदलने की बजाए इसे और सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है तथा अध्यक्षों एवं महापौर को और अधिकार देने की जरूरत है ताकि वे जनता के कार्यो को समय पर पूरा कर सकें।
स्वायत्त शासन विभाग जल्द ही इसके लिए नियमों में संशोधन कर आदेेश जारी करेगा। वर्तमान में राज्य के अधिकांश निकायों में बोर्ड एक राजनैतिक दल का तथा अध्यक्ष एवं महापौर दूसरी पार्टी के चुने हुए है।
इससे विकास कार्यो को समय पर कराने में कई समस्याएं आई तथा तालमेल का भी अभाव रहा। जिसके कारण निकायों के विकास कार्यो पर असर पड़ा।
अब विभाग ने सीधे चुनाव करने की प्रणाली को बंद कर पुरानी प्रक्रिया द्वारा ही निर्वाचित पार्षदों के बहुमत के आधार पर महापौर एवं अध्यक्षों का चुनाव करने का फैंसला लिया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार ने नियमों में संशोधन कर अध्यक्षों एवं महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा कराने का फैंसला लिया था।
इधर,जयपुर नगर निगम के उपमहापौर मनीष पारीक ने विभाग के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि प्रत्यक्ष रूप से अध्यक्ष एवं महापौर के चुनाव कराने से विकास कार्य कराने में काफी समस्याएं आई है।
प्रत्यक्षरूप से चुने हुए प्रतिनिधि न तो अधिकारियों पर अंकुश रख पाए और न ही सही तालमेल बैठा पाए जिससे विकास कार्य ठप हो गए। इस नए फैसले से सभी पार्षदों के विचारों का समावेश करते हुए मिलजुल कर विकास कार्य समय पर पूरे कराएं जाएंगे।
जयपुर नगर निगम की महापौर ज्योति खण्डेलवाल ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि वर्तमान चुनाव प्रणाली प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा अध्यक्ष एवं महापौर का चुनाव करने में संशोधन करने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।
प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि जनता के प्रति ज्यादा जवाबदेह होता है तथा सीधा लोगों से संवाद कायम रहता है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली को बदलने की बजाए सरकार को अधिक सुदृढ़ बनाने की जरूरत है। अप्रत्यक्ष रूप से चुने हुए अध्यक्ष एवं महापौर कई बार पार्षदों के दबाव में विकास कार्य सही से नहीं कर पाते हैं।
जोधपुर नगर निगम के महापौर रामेश्वर दाधिच ने कहा कि मैंने तो सरकार से पंचायत समिति प्रधान एवं जिला प्रमुखों के चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से जनता से ही कराने का सुझाव दिया था।
जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधियों की लोगों के प्रति ज्यादा जिम्मेदारी है तथा जन मानस से सीधा संपर्क रहता है।
उन्होंने बताया कि ऎसे पदाधिकारियों को और अधिकार प्रदान कर जनहित के कार्य समय पर पूरा कराने के लिये सक्षम बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब काफी फैसले बोर्ड द्वारा लेने होते हैं जबकि जनता का सामना अध्यक्ष एवं महापौर को करना होता है।
राज्य में स्थानीय निकायों के चुनेे हुए पार्षदों द्वारा बहुमत के आधार पर अध्यक्ष एवं महापौर के चुनाव कराने संबंधी स्वायत्त शासन विभाग के निर्णय पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सहमति प्रदान कर दी है।
इस अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव कराने के फैसले का वर्तमान महापौर एवं कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने भी विरोध व्यक्त करते हुए कहा है कि जनता द्वारा सीधे अध्यक्ष एवं महापौर के चुनाव करने पर उनके प्रति ज्यादा जिम्मेदारी होती है तथा जनता से सीधा संवाद स्थापित होता है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों में वर्ततान चुनाव प्रणाली को बदलने की बजाए इसे और सुदृढ़ बनाने की आवश्यकता है तथा अध्यक्षों एवं महापौर को और अधिकार देने की जरूरत है ताकि वे जनता के कार्यो को समय पर पूरा कर सकें।
स्वायत्त शासन विभाग जल्द ही इसके लिए नियमों में संशोधन कर आदेेश जारी करेगा। वर्तमान में राज्य के अधिकांश निकायों में बोर्ड एक राजनैतिक दल का तथा अध्यक्ष एवं महापौर दूसरी पार्टी के चुने हुए है।
इससे विकास कार्यो को समय पर कराने में कई समस्याएं आई तथा तालमेल का भी अभाव रहा। जिसके कारण निकायों के विकास कार्यो पर असर पड़ा।
अब विभाग ने सीधे चुनाव करने की प्रणाली को बंद कर पुरानी प्रक्रिया द्वारा ही निर्वाचित पार्षदों के बहुमत के आधार पर महापौर एवं अध्यक्षों का चुनाव करने का फैंसला लिया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में पिछली कांग्रेस सरकार ने नियमों में संशोधन कर अध्यक्षों एवं महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा कराने का फैंसला लिया था।
इधर,जयपुर नगर निगम के उपमहापौर मनीष पारीक ने विभाग के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि प्रत्यक्ष रूप से अध्यक्ष एवं महापौर के चुनाव कराने से विकास कार्य कराने में काफी समस्याएं आई है।
प्रत्यक्षरूप से चुने हुए प्रतिनिधि न तो अधिकारियों पर अंकुश रख पाए और न ही सही तालमेल बैठा पाए जिससे विकास कार्य ठप हो गए। इस नए फैसले से सभी पार्षदों के विचारों का समावेश करते हुए मिलजुल कर विकास कार्य समय पर पूरे कराएं जाएंगे।
जयपुर नगर निगम की महापौर ज्योति खण्डेलवाल ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि वर्तमान चुनाव प्रणाली प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा अध्यक्ष एवं महापौर का चुनाव करने में संशोधन करने का कोई औचित्य नजर नहीं आ रहा है।
प्रत्यक्ष रूप से चुने गए प्रतिनिधि जनता के प्रति ज्यादा जवाबदेह होता है तथा सीधा लोगों से संवाद कायम रहता है। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली को बदलने की बजाए सरकार को अधिक सुदृढ़ बनाने की जरूरत है। अप्रत्यक्ष रूप से चुने हुए अध्यक्ष एवं महापौर कई बार पार्षदों के दबाव में विकास कार्य सही से नहीं कर पाते हैं।
जोधपुर नगर निगम के महापौर रामेश्वर दाधिच ने कहा कि मैंने तो सरकार से पंचायत समिति प्रधान एवं जिला प्रमुखों के चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से जनता से ही कराने का सुझाव दिया था।
जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधियों की लोगों के प्रति ज्यादा जिम्मेदारी है तथा जन मानस से सीधा संपर्क रहता है।
उन्होंने बताया कि ऎसे पदाधिकारियों को और अधिकार प्रदान कर जनहित के कार्य समय पर पूरा कराने के लिये सक्षम बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब काफी फैसले बोर्ड द्वारा लेने होते हैं जबकि जनता का सामना अध्यक्ष एवं महापौर को करना होता है।
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