शुक्रवार, 27 जून 2014

शास्त्रों में संतोषी माता को कहीं कोई जिक्र नहीं: स्वरूपानंद सरस्वती



जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने अब संतोषी माता को लेकर टिप्पणी की है। साईं बाबा की पर टिप्पणी को पुष्ट करने के लिए मीडिया से बातचीत में कहा गया कि संतोषी माता का चलन भी समझाने पर ही खत्म हुआ था।


मीडिया से बातचीत में शंकराचार्य ने कहा कि एक समय देश में संतोषी माता का भी चलन जमकर था। घर-घर में संतोषी माता हो गई थीं। हर मंदिर और हर पुजारी उनका पूजन करने लगे थे। महिलाओं ने संतोषी माता के नाम से शुक्रवार का व्रत रखना भी शुरू कर दिया था। सिनेमा के जरिये भी संतोषी माता का गुणगान किया जाने लगा। जबकि हमारे शास्त्रों में संतोषी माता का कहीं कोई जिक्र नहीं है। गणेशजी के संतोषी माता नाम की कोई बेटी नहीं हुई। हमने जब इस बारे में लोगों को समझाया, तब बात उनकी समझ में आई और संतोषी माता का चलन बंद हुआ। शंकराचार्य ने कहा कि हमारे देश में अब तक कई ऐसे लोग आ चुके हैं। लेकिन हमारी अविरल धारा हमेशा ऐसी ही बहती रहेगी।

साईं भक्तों के गंगा स्नान का स्वागत
जगदगुरु शंकराचार्य ने सांई भक्तों के 29 जून के सामूहिक गंगा स्नान का स्वागत किया। लेकिन यह भी कहा कि जिसके लिए वे गंगा स्नान कर रहे हैं यदि उसे फिर से दोहराएंगे तो गंगा स्नान का कोई महत्व नहीं रहेगा।
जगद्गुरु शंकराचार्य के साईं बाबा को लेकर दिए बयान ने जहां देशभर में बहस छेड़ दी है। वहीं सांई भक्तों ने विरोध स्वरूप 29 जून को सामूहिक गंगा स्नान का निर्णय लिया है। शंकराचार्य ने सांई भक्तों के इस निर्णय का स्वागत किया है। उन्होंने लिखित रूप से जारी बयान में कहा कि साईं भक्तों का स्नान हाथी स्नान जैसा न हो। हाथी सरोवर में नहाने के बाद बाहर निकलते ही अपनी सूंड से पुन: वहीं मिट्टी डालने लगता है जिसे उसने अभी-अभी स्नान से धोया है। सांई मूर्ति को गंगा स्नान कराने के संबंध में शंकराचार्य ने कहा कि जिस व्यक्ति ने अवसर आने पर यह कहकर गंगा स्नान करने के लिए मना कर दिया कि मुङो गंगा स्नान के झंझट से दूर ही रहने दो। मैं तो एक फकीर हूं। उस व्यक्ति की मूर्ति को गंगास्नान कराने की बात हास्यास्पद है। सांई सच्चरित नामक सांई की प्रमाणिक जीवनी के अध्याय 28 में यह प्रसंग उपलब्ध है।

इंदिरा हृदयेश ने लिया शंकराचार्य का आशीर्वाद
गुरुवार शाम हरिद्वार पहुंची काबिना मंत्री इंदिरा हृदयेश ने जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती से आशीर्वाद लिया। इस दौरान इंदिरा ने कहा कि वह पहले भी कई बार शंकराचार्य का आशीर्वाद ले चुकी हैं। हरिद्वार आने की सूचना पर इस बार भी आशीर्वाद लेने आई हूं। वहीं साईं बाबा को लेकर इंदिरा ने गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य काफी विद्धान हैं। उनके किसी कथन पर मेरा टिप्पणी करना उचित नहीं है।

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