भारत मंदिरों का देश है। यहां के जैसे मंदिर दुनिया के किसी भी कोने में नहीं हैं। साथ ही हमने आपको ये भी बताया था कि आज जब जब दुनिया में भारत की बात होती है तो यहां के बेहतरीन वास्तुकला से सुसज्जित मंदिरों का वर्णन अवश्य होता है। इसी क्रम में आज हम आपको अवगत कराएंगे भारत के एक ऐसे ही मंदिर से जहां मन्दिर के प्रमुख देवता से ज्यादा महत्त्व वहां रहने वाले चूहों को दिया जाता है। अब इसे आस्था कहें या अंध विश्वास लेकिन इस मंदिर में प्रशाद तभी शुद्ध माना जाता है जब वहां मौजूद चूहें उसे जूठा कर दें। तो चलिए हम आपको ले चलते हैं चूहे वाले मंदिर की सैर पर... मूषक मंदिर, या चूहों का ये मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है। इस मंदिर को करणी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर का शुमार देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में है। देवी करणी माता इस मंदिर की प्रमुख देवी हैं और इन्हीं को ये खूबसूरत मंदिर समर्पित किया गया है। करणी माता को हिंदू धर्म में मां दुर्गा का अवतार भी माना गया है। क्षेत्र और यहां के बुजुर्गों द्वारा सुनाई जाने वाली किंवदंतियों के अनुसार, राव बीकाजी,जिन्हें बीकानेर का निर्माता कहा जाता को देवी करणी माता से आशीर्वाद प्राप्त था। तब उस समय देवी को बीकानेर राजवंश के संरक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। बताया जाता है की राजा गंगा सिंह द्वारा 20 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर का शुमार भारत के कुछ चुनिंदा खूबसूरत मंदिरों में किया गया है। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखने लायक है। इस मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार चांदी का है। इस मंदिर के सम्बंध में कहा जाता है कि जैसे ही आप मंदिर का दूसरा गेट पार करेंगे आपको ढ़ेर सारे छोटे बड़े चूहे देखने को मिलेंगे, जिनकी धमा चौकड़ी देखकर आप दंग रह जाएंगे। यहां आने वाले चूहों की बहुतायत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पैदल चलने के लिए अपना अगला कदम उठाकर नहीं, बल्कि जमीन पर घसीटते हुए आगे रखना होता है जिससे यहां के चूहों को कोई कष्ट न पहुंच सके। लोग इसी तरह कदमों को घसीटते हुए करणी मां की मूर्ति के सामने पहुंचते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर पाते हैं। यहां का मुख्य मंदिर चूहों से भरा पड़ा है यहां चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते है। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी भी श्रद्धालु को यहां सफेद चूहे के दर्शन हो जाएं तो बड़ा भाग्यशाली होता है, साथ ही यश धन और वैभव ऐसे व्यक्ति के कदम चूमते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों के बीच सुबह पांच बजे की मंगला आरती और शाम सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस मुख्य आकर्षण है। मां करणी मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको बीकानेर से कई बसें, जीप व टैक्सियां मिल जाएंगी जो आपको बहुत कम समय में यहां पहुंचा देंगी। ट्रेन के माध्यम से भी आप बड़ी आसानी से यहां पहुँच सकते हैं। देश के कई प्रमुख शहरों से यहां आने के लिए ट्रेन मिलती है। यहां वर्ष में दो बार नवरात्र और चैत्र आश्विन माह में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान यहां लोगों की काफी भीड़ रहती है। तब भारी संख्या में लोग यहां पहुंचकर मनौतियां मनाते हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशालाएं भी हैं जहां वो कम पैसे में पूरी सुविधा के साथ रह सकते हैं।
शुक्रवार, 6 जून 2014
करणी माता जहां होती है चूहों की पूजा
भारत मंदिरों का देश है। यहां के जैसे मंदिर दुनिया के किसी भी कोने में नहीं हैं। साथ ही हमने आपको ये भी बताया था कि आज जब जब दुनिया में भारत की बात होती है तो यहां के बेहतरीन वास्तुकला से सुसज्जित मंदिरों का वर्णन अवश्य होता है। इसी क्रम में आज हम आपको अवगत कराएंगे भारत के एक ऐसे ही मंदिर से जहां मन्दिर के प्रमुख देवता से ज्यादा महत्त्व वहां रहने वाले चूहों को दिया जाता है। अब इसे आस्था कहें या अंध विश्वास लेकिन इस मंदिर में प्रशाद तभी शुद्ध माना जाता है जब वहां मौजूद चूहें उसे जूठा कर दें। तो चलिए हम आपको ले चलते हैं चूहे वाले मंदिर की सैर पर... मूषक मंदिर, या चूहों का ये मंदिर राजस्थान के बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा में स्थित है। इस मंदिर को करणी माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म में इस मंदिर का शुमार देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में है। देवी करणी माता इस मंदिर की प्रमुख देवी हैं और इन्हीं को ये खूबसूरत मंदिर समर्पित किया गया है। करणी माता को हिंदू धर्म में मां दुर्गा का अवतार भी माना गया है। क्षेत्र और यहां के बुजुर्गों द्वारा सुनाई जाने वाली किंवदंतियों के अनुसार, राव बीकाजी,जिन्हें बीकानेर का निर्माता कहा जाता को देवी करणी माता से आशीर्वाद प्राप्त था। तब उस समय देवी को बीकानेर राजवंश के संरक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है। बताया जाता है की राजा गंगा सिंह द्वारा 20 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर का शुमार भारत के कुछ चुनिंदा खूबसूरत मंदिरों में किया गया है। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखने लायक है। इस मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार चांदी का है। इस मंदिर के सम्बंध में कहा जाता है कि जैसे ही आप मंदिर का दूसरा गेट पार करेंगे आपको ढ़ेर सारे छोटे बड़े चूहे देखने को मिलेंगे, जिनकी धमा चौकड़ी देखकर आप दंग रह जाएंगे। यहां आने वाले चूहों की बहुतायत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि पैदल चलने के लिए अपना अगला कदम उठाकर नहीं, बल्कि जमीन पर घसीटते हुए आगे रखना होता है जिससे यहां के चूहों को कोई कष्ट न पहुंच सके। लोग इसी तरह कदमों को घसीटते हुए करणी मां की मूर्ति के सामने पहुंचते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर पाते हैं। यहां का मुख्य मंदिर चूहों से भरा पड़ा है यहां चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते है। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी भी श्रद्धालु को यहां सफेद चूहे के दर्शन हो जाएं तो बड़ा भाग्यशाली होता है, साथ ही यश धन और वैभव ऐसे व्यक्ति के कदम चूमते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों के बीच सुबह पांच बजे की मंगला आरती और शाम सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस मुख्य आकर्षण है। मां करणी मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको बीकानेर से कई बसें, जीप व टैक्सियां मिल जाएंगी जो आपको बहुत कम समय में यहां पहुंचा देंगी। ट्रेन के माध्यम से भी आप बड़ी आसानी से यहां पहुँच सकते हैं। देश के कई प्रमुख शहरों से यहां आने के लिए ट्रेन मिलती है। यहां वर्ष में दो बार नवरात्र और चैत्र आश्विन माह में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान यहां लोगों की काफी भीड़ रहती है। तब भारी संख्या में लोग यहां पहुंचकर मनौतियां मनाते हैं। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए मंदिर के पास धर्मशालाएं भी हैं जहां वो कम पैसे में पूरी सुविधा के साथ रह सकते हैं।
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