ऐसे अपने लोक पधारे श्री कृष्ण
प्राचीनकाल में प्रभासपाट्न नाम से प्रसिद्ध सोमनाथ मन्दिर से लगभग पाँच किलोमीटर दूर वेरावल में पवित्र भालका तीर्थ स्थल है। लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। इस कारण इस क्षेत्र का बड़ा महत्त्व है।
कथाओं के अनुसार मद्यपान से चूर यादवों का परस्पर कलह में संहार हुआ। इससे खिन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण ने भालका तीर्थ में पीपल के पेड़ के नीचे अपना बायां पैर दाहिने पैर पर रखकर योग मुद्रा में बैठे थे। उसी समय जरा नामक व्याध (शिकारी) ने भगवान श्रीकृष्ण के चरणकमल को मृग का मुख समझकर तीर मारा।
शिकारी का बाण भगवान श्रीकृष्ण के बाएं पांव के तलवे में लगा। जब व्याध अपने शिकार के समीप पहुंचा, उसने देखा कि उसका शिकार मृग नहीं, बल्कि श्री कृष्ण हैं।
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