मंगलवार, 10 जून 2014

श्रीगंगानगर दुष्कर्म-हत्या के दोषी के मृत्युदंड पर रोक -

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने राजस्थान में चार वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म करने और उसकी हत्या करने के लिए दोषी ठहराए गए कालू खान के मृत्युदंड पर मंगलवार को रोक लगा दी।
stay on rape and killing accused death penalty of shriganganagar 
न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति सी. नागप्पन की पीठ ने खान की याचिका पर राजस्थान सरकार को नोटिस भी जारी किया।

खान ने अपनी सजा को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। खान को 18 जून को फांसी दी जानी थी।

अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए एक विशेष अदालत ने राजस्थान के श्रीगंगानगर में खान को दोषी करार दिया था और उसके अपराध को जघन्यतम करार देते हुए उसे मृत्युदंड सुनाया था।

राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ ने नौ अप्रैल को सजा की पुष्टि कर दी थी।

इस मामले में आरोप लगाया गया था कि खान ने बच्ची को उसके पिता के घर से कथित रूप से बुलाया और बेर देने का वादा करके उसे अपने घर ले गया।

घर ले जाकर उसने अपने किशोर बेटे से कहा कि वह बच्ची के साथ दुष्कर्म करे, और बाद में उसने भी बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। खान ने बाद में बच्ची की हत्या कर दी।

खान के बेटे के खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड में मामला चला। बच्ची का शव उसके दादा को उस समय मिला, जब उन्होंने देखा कि खान का बेटा अपने पिछवाड़े एक गढ्ढे में कुछ गाड़ रहा है।

जब बेटे ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो गढ्ढे को खोदा गया और वहां से बच्ची का शव बरामद हुआ।

खान के वकील ने न्यायालय से कहा कि हो सकता है कि अपराध बेटे ने किया हो और गढ्ढे के पास पकड़े जाने पर उसने अपराध के लिए अपने पिता का नाम बता दिया हो।

मृत्युदंड को स्थगित करते हुए न्यायालय ने कहा कि सिर्फ एक बात हमें परेशान कर रही है कि यदि पिता किसी बच्ची के साथ दुष्कर्म करता है, तो क्या वह अपने बच्चे से भी कहेगा कि वह उसके साथ दुष्कर्म करे? -  

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