जयपुर। अक्सर कहा जाता है कि बीवी-बच्चे बहुत टेंशन देते हैं और खर्चा बढ़ाते हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि टैक्स की बचत के मामले में आपके बीवी-बच्चे बड़े काम के साबित हो सकते हैं?
जी हां, यह सच है। अगर आप कारोबारी हैं, कारोबार में परिवार वालों की मदद लेते हैं और उन्हें सैलरी नहीं देते, तो आज से ही उन्हें सैलरी देनी शुरू कर दीजिए।
उन्हें दी जाने वाली पगार आपके टैक्स में बड़ी बचत कर सकती है। आयकर के जानकारों का कहना है कि अगर आपके परिवार के सदस्य आयकर के दायरे में नहीं आते या आयकर के निचले दायरे में आते हैं, तो उन्हें मासिक वेतन का भुगतान करने से निश्चित तौर पर आयकर में आपको खासी बचत हो सकती है। वैसे, आपको इन कुछ बातों का ध्यान रखना ही होगा।
यह कहता है कानून
फैमिली बिजनेस के मामले में सिर्फ पति, पत्नी, बच्चे, भाई, बहन व खून के रिश्ते को ही आयकर छूट के लिहाज से वैध माना जाता है
पार्टनरशिप कम्पनी में 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले साझीदारों के संबंधियों पर किए गए खर्च में ही आयकर मे छूट मिलेगी
लिमिटेड कंपनी के मामले में कंपनी में 20 फीसदी से ज्यादा वोटिंग अधिकार रखने वालों को ही संबंधियों में गिना जाएगा
अगर बीवी तकनीकी रूप से शिक्षित या योग्य नहीं है, तो उसे दी जाने वाली सैलरी पर टैक्स में छूट मिलने की संभावना कम हो जाती है
अगर आयकर अधिकारी को लगता है कि किया गया खर्च समझ के परे या ज्यादा है, तो वह इस खर्च को नकार भी सकता/सकती है
सैलरी या खर्च हमेशा चेक से किया जाना चाहिए न कि कैश से, तथा टैक्स दायरे में आने वाले कर्मचारी को आयकर रिटर्न भरना चाहिए
लेकिन क्या आपको पता है कि टैक्स की बचत के मामले में आपके बीवी-बच्चे बड़े काम के साबित हो सकते हैं?
जी हां, यह सच है। अगर आप कारोबारी हैं, कारोबार में परिवार वालों की मदद लेते हैं और उन्हें सैलरी नहीं देते, तो आज से ही उन्हें सैलरी देनी शुरू कर दीजिए।
उन्हें दी जाने वाली पगार आपके टैक्स में बड़ी बचत कर सकती है। आयकर के जानकारों का कहना है कि अगर आपके परिवार के सदस्य आयकर के दायरे में नहीं आते या आयकर के निचले दायरे में आते हैं, तो उन्हें मासिक वेतन का भुगतान करने से निश्चित तौर पर आयकर में आपको खासी बचत हो सकती है। वैसे, आपको इन कुछ बातों का ध्यान रखना ही होगा।
यह कहता है कानून
फैमिली बिजनेस के मामले में सिर्फ पति, पत्नी, बच्चे, भाई, बहन व खून के रिश्ते को ही आयकर छूट के लिहाज से वैध माना जाता है
पार्टनरशिप कम्पनी में 20 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखने वाले साझीदारों के संबंधियों पर किए गए खर्च में ही आयकर मे छूट मिलेगी
लिमिटेड कंपनी के मामले में कंपनी में 20 फीसदी से ज्यादा वोटिंग अधिकार रखने वालों को ही संबंधियों में गिना जाएगा
अगर बीवी तकनीकी रूप से शिक्षित या योग्य नहीं है, तो उसे दी जाने वाली सैलरी पर टैक्स में छूट मिलने की संभावना कम हो जाती है
अगर आयकर अधिकारी को लगता है कि किया गया खर्च समझ के परे या ज्यादा है, तो वह इस खर्च को नकार भी सकता/सकती है
सैलरी या खर्च हमेशा चेक से किया जाना चाहिए न कि कैश से, तथा टैक्स दायरे में आने वाले कर्मचारी को आयकर रिटर्न भरना चाहिए
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