नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पार से पाकिस्तानी सेना द्वारा संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को सेना मुख्यालय में जाकर देश की सरहदों की सुरक्षा व्यवस्था का हाल जाना और सेना की तैयारियों एवं तात्कालिक जरूरतों की जानकारी ली।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने सेना के आपरेशनल ब्रीफिंगरूम यानी वाररूम में करीब दो घंटे चली बैठक में रक्षा मंत्री अरूण जेटली, रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में प्रधानमंत्री को वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य से अवगत कराया।
सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को जम्मू कश्मीर एवं पूर्वाेत्तर में अंदरूनी सुरक्षा हालात की भी विस्तार से जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने सेना प्रमुख से किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैयारियों के बारे में जानकारी ली और जनरल बिक्रम सिंह से सेना की तात्कालिक जरूरतों के बारे में भी पूछा। इस बैठक में सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग भी मौजूद थे।
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री देश की रक्षा तैयारियों को लेकर बेहद गंभीर है तथा वह इसे सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय मानते हैं। उल्लेखनीय है कि यह बैठक ऎसे समय हुई है जब पाकिस्तानी सेना की दो दिन से जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पार से इस ओर फायरिंगं जारी है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना चार बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुकी है।
गत 26 मई को मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के समय के भारत पाकिस्तान संबंधों के धागे लेकर आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता जताई थी लेकिन भारत का हमेशा से मानना रहा है कि नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शांति एवं स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये जरूरी है। यह आपसी विश्वास के बहाली की पूर्वशर्त भी है।
भारत की विदेश सचिव सुजाता सिंह ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत की नीति हमेशा से पड़ोसी देशों के साथ सौहाद्रü पूर्ण शांतिपूर्ण एवं वस्तुनिष्ठ हों। सीमा पर गोलाबारी की घटनाओं से आपसी विश्वास बहाली के उपायों पर असर पड़ता है।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने सेना के आपरेशनल ब्रीफिंगरूम यानी वाररूम में करीब दो घंटे चली बैठक में रक्षा मंत्री अरूण जेटली, रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में प्रधानमंत्री को वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य से अवगत कराया।
सेना प्रमुख ने प्रधानमंत्री को जम्मू कश्मीर एवं पूर्वाेत्तर में अंदरूनी सुरक्षा हालात की भी विस्तार से जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने सेना प्रमुख से किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए सेना की तैयारियों के बारे में जानकारी ली और जनरल बिक्रम सिंह से सेना की तात्कालिक जरूरतों के बारे में भी पूछा। इस बैठक में सेना उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग भी मौजूद थे।
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री देश की रक्षा तैयारियों को लेकर बेहद गंभीर है तथा वह इसे सर्वोच्च प्राथमिकता का विषय मानते हैं। उल्लेखनीय है कि यह बैठक ऎसे समय हुई है जब पाकिस्तानी सेना की दो दिन से जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पार से इस ओर फायरिंगं जारी है। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अब तक नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तानी सेना चार बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुकी है।
गत 26 मई को मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के समय के भारत पाकिस्तान संबंधों के धागे लेकर आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता जताई थी लेकिन भारत का हमेशा से मानना रहा है कि नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शांति एवं स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये जरूरी है। यह आपसी विश्वास के बहाली की पूर्वशर्त भी है।
भारत की विदेश सचिव सुजाता सिंह ने संवाददाताओं के सवालों के जवाब में यही बात दोहराई। उन्होंने कहा कि भारत की नीति हमेशा से पड़ोसी देशों के साथ सौहाद्रü पूर्ण शांतिपूर्ण एवं वस्तुनिष्ठ हों। सीमा पर गोलाबारी की घटनाओं से आपसी विश्वास बहाली के उपायों पर असर पड़ता है।
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