बीकानेर। शाही सब्जी मानी जाने वाली और विवाह आदि समारोह में भोजन में "स्टेट्स सिम्बल" सांगरी इस बार प्रकृति की मार झेल रही है। इस बार अप्रेल में मौसम के बदलते तेवर ने सांगरी को लगभग लील लिया है। इससे सांगरी, केर एवं सूखे मेवे की शाही सब्जी बनाना और महंगा सौदा हो सकता है। बीकानेर में केर-सांगरी की सब्जी को चाव से खाया जाता है।
राजस्थान से बाहर सांगरी बादाम से महंगी बिकती है। राज्य वृक्ष खेजड़ी बदले मौसम के कारण सांगरी की बजाय अभी गिलडू से लदा हुआ है। इसे ग्रामीण "जमाने" के कमजोर संकेत के रूप में भी मानते हैं। होली के बाद हरी-भरी खेजडियां अप्रैल आते आते मंजरी (फूलों) से लद गई। अप्रैल माह में मौसम ने इतने रंग बदले की सांगरी की फसल को फूलों से फलों में बदलने ही नहीं दिया। तेज हवा चलने से मंजरी झड़ गई है। इससे सांगरी नहीं लग सकी। सांगरी तेज गर्मी में पकती है। अप्रेल माह में तेजी गर्मी की बजाय बारिश, ओले का मौसम रहा।
सींथल कस्बे सहित आस-पास के क्षेत्र में लगी खेजड़ी में इस वर्ष सांगरी नहीं लगी है। कृषि विभाग के अनुसंधान अधिकारी भंवरदान देथा ने बताया कि क्षेत्र में बड़ी संख्या में खेजड़ी के वृक्ष हैं। इनमें अधिकांश में सांगरी नहीं लगी है। हवा चलने से खेजड़ी के फूल भी झड़ गए हैं। ऎसा पहली बार हुआ है। बज्जू निवासी महिला कृषक शांति देवी का कहना है कि मौसम अनुकूल नहीं होने से खेजड़ी पर सांगरी के स्थान पर गिलडू बन जाते हैं। हरे रंग के गोल-गोल छोटे पत्थरनुमा गिलडू को देखकर ग्रामीणों की मान्यता होती है कि इस बार जमाना कमजोर रह सकता है।
सांगरी का इलाका
बीकानेर-चूरू जिला और इससे सटे इलाके में ही खेजड़ी से सांगरी का सर्वाधिक उत्पादन होता है। एक खेजड़ी में सूखी सांगरी का 10 किलो से ज्यादा उत्पादन होता है। सांगरी का बड़े स्तर पर व्यवसाय होता है। पश्चिमी राजस्थान से सांगरी देशभर में सूखी सब्जी के रूप विक्रय की जाती है। राजस्थान में सूखी सांगरी साढ़े तीन से चार सौ रूपए एवं बाहर हजार रूपए किलो तक बेची जाती है।
60 फीसदी तक नुकसान
सांगरी की फसल को आंधी आने तथा गर्मी नहीं होने के कारण उत्पादन में 60 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। खेजड़ी पर फूल आने के दौरान तेज हवा चली। इससे फूल झड़ गए। वहीं गर्मी नहीं होने से सांगरी पक नहीं पाई।
- प्रो. इन्द्र मोहन वर्मा, कृषि विशेषज्ञ, एसकेआरयू बीकानेर
- गोविंद चेलानी, अध्यक्ष, जयपुर फल थोक विक्रेता संघ
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