शुक्रवार, 2 मई 2014

आखाबीज खीच खाकर मनाई आखाबीज. घर-घर में रखे पंचधान के खळे।



जैसलमेर लोक पर्व आखाबीज का दिन जैसलमेर में पूजा अर्चना एवं उत्साह व उमंग के साथ धूमधाम से मनाया गया। गुरुवार को आखाबीज के दिन महिलाओं ने सुबह जल्दी उठकर पीपल की व घर में खळों की पूजा अर्चना की और आखाबीज का प्रसिद्ध भोजन खीच बनाया। इस दिन खीच के साथ बड़ी व ग्वार फली की सब्जी भी बनाई गई। आखाबीज के दिन पुरुष व बच्चे भी सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर पूजा अर्चना में लग गए और मंदिरों में भी सुबह-सुबह लोगों की टोलियां दिखाई दी। स्थानीय दुर्ग स्थित लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर में सुबह से भीड़ का माहौल रहा। 

आखाबीज के अवसर पर लोगों ने अपने नाते रिश्तेदार व मित्रों के साथ एक-दूसरे के घर जाकर खीच का भोजन किया। शहर की गलियों में मित्रों के समूह एक-दूसरे के घर जाते हुए दिखाई दिए। 
अक्षय आकांक्षा के प्रतीक हैं खळे 




आखाबीज के दिन पारंपरिक रूप से हर घर में पंचधान के खळे बनाए जाते हैं। पूजा के स्थान अथवा अन्य किसी पवित्र एवं निरापद स्थान पर दैनिक जीवन में उपयोगी पंचधान की अलग-अलग ढेरियां बनाई जाती है। बीच की ढेरी के ऊपर तांबे के कलश में पवित्र एवं शुद्ध जल भरा जाता है। इस जल कलश के ऊपर मोली बंधा स्वरूप नारियल रखा जाता है। इस स्थल पर ही अनिवार्य रूप से एक दर्पण रखा जाता है और उपयुक्त पात्र में कुमकुम और चावल रखे जाते हैं। ये खळे घर की बुजुर्ग महिला द्वारा इस अक्षय आकांक्षा के साथ रखे जाते हैं कि जिस प्रकार आखाबीज और आखातीज का त्योहार सर्वदोष रहित त्योहार है और जीवन में अक्षयता की कल्पना को साकार करता है ठीक उसी प्रकार से इन खळों के रूप में रखा गया धान खेत खलिहानों में निरंतर उपजता रहे और घर परिवार की सुख शांति एवं समृद्धि में सहायक बने। 
रामगढ़ में भी मनाई आखी बीज 
रामगढ़. कस्बे में आखा बीज पर्व पारंपरिक रूप से मनाया गया। इस दिन शगुन के तौर पर घरों में धान के खळे बनाए गए। आखा बीज के मौके पर घरों में बाजरे का खींच और ग्वार फली व काचर की सब्जी बनाई गई। सभी समाज के लोगोंने अपने अपने मोहल्लों में एक स्थान पर बैठ कर खींच का आनंद लिया। छोटों ने बड़ो के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। गांव ढाणियों में आखा बीज पर्व का खास महत्व है। 
अनिवार्य रूप से लगाते हैं तिलक 
आखाबीज एवं तीज के दिन खळों के स्थान पर रखे दर्पण एवं कुमकुम अक्षत से परिवार का प्रत्येक सदस्य अनिवार्य रूप से अपने भाल पर तिलक लगाता है। स्नान, ध्यान एवं पूजा पाठ के उपरांत प्रत्येक सदस्य वर्षपर्यंत व्यक्तिगत एवं पारिवारिक संपन्नता के निमित कुमकुम अक्षत का तिलक धारण करता है। 
बच्चों को चांदी के सिक्के पर खिलाया जाता है खीच 
लालन को उसकी दादी व ताई ने चांदी के सिक्के पर खीच रखकर खिलाया। यह परंपरा भी जैसलमेर में उत्साह के साथ मनाई जाती है। पिछले कुछ महीनों में जन्मे बच्चों को आखाबीज के दिन खीच खिलाने की परंपरा है। उत्साह के साथ घर घर में यह परंपरा निभाई गई। 


 खीच खाकर मनाई आखाबीज

आखाबीज के दिन पारंपरिक रूप से हर घर में पंचधान के खळे बनाए जाते हैं। पूजा के स्थान अथवा अन्य किसी पवित्र एवं निरापद स्थान पर दैनिक जीवन में उपयोगी पंचधान की अलग-अलग ढेरियां बनाई जाती है। बीच की ढेरी के ऊपर तांबे के कलश में पवित्र एवं शुद्ध जल भरा जाता है। इस जल कलश के ऊपर मोली बंधा स्वरूप नारियल रखा जाता है। इस स्थल पर ही अनिवार्य रूप से एक दर्पण रखा जाता है और उपयुक्त पात्र में कुमकुम और चावल रखे जाते हैं। ये खळे घर की बुजुर्ग महिला द्वारा इस अक्षय आकांक्षा के साथ रखे जाते हैं कि जिस प्रकार आखाबीज और आखातीज का त्योहार सर्वदोष रहित त्योहार है और जीवन में अक्षयता की कल्पना को साकार करता है ठीक उसी प्रकार से इन खळों के रूप में रखा गया धान खेत खलिहानों में निरंतर उपजता रहे और घर परिवार की सुख शांति एवं समृद्धि में सहायक बने।

रामगढ़ में भी मनाई आखी बीज
रामगढ़. कस्बे में आखा बीज पर्व पारंपरिक रूप से मनाया गया। इस दिन शगुन के तौर पर घरों में धान के खळे बनाए गए। आखा बीज के मौके पर घरों में बाजरे का खींच और ग्वार फली व काचर की सब्जी बनाई गई। सभी समाज के लोगों ने अपने अपने मोहल्लों में एक स्थान पर बैठ कर खींच का आनंद लिया। छोटों ने बड़ो के पांव छूकर आशीर्वाद लिया। गांव ढाणियों में आखा बीज पर्व का खास महत्व है।
अनिवार्य रूप से लगाते हैं तिलक
आखाबीज एवं तीज के दिन खळों के स्थान पर रखे दर्पण एवं कुमकुम अक्षत से परिवार का प्रत्येक सदस्य अनिवार्य रूप से अपने भाल पर तिलक लगाता है। स्नान, ध्यान एवं पूजा पाठ के उपरांत प्रत्येक सदस्य वर्षपर्यंत व्यक्तिगत एवं पारिवारिक संपन्नता के निमित कुमकुम अक्षत का तिलक धारण करता है।
बच्चों को चांदी के सिक्के पर खिलाया जाता है खीच
लालन को उसकी दादी व ताई ने चांदी के सिक्के पर खीच रखकर खिलाया। यह परंपरा भी जैसलमेर में उत्साह के साथ मनाई जाती है। पिछले कुछ महीनों में जन्मे बच्चों को आखाबीज के दिन खीच खिलाने की परंपरा है। उत्साह के साथ घर घर में यह परंपरा निभाई गई।





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