चित्तौड़गढ़।निकटवर्ती घटियावली में गुरूवार रात एक बारात को दुल्हन के बिना ही लौटना पड़ा। चित्तौड़गढ़ के किशनलाल कुमावत के पुत्र कन्हैयालाल की बारात घटियावली निवासी रतनलाल के यहां गई थी। कन्हैयालाल का विवाह ननिहाल पक्ष की ओर से करवाया जा रहा था।
इस कारण विवाह की रस्मे भी ननिहाल में ही हुई थी। बारात भी ननिहाल से ही घटियावली गई थी। शाम को विवाह की रस्में चल रही थी। इस दौरान दूल्हे के पिता किसी बात से नाराज हो गए और दुल्हन पक्ष से विवाद हो गया। इससे दुल्हन पक्ष के लोग नाराज हो गए और विवाह करने से मना कर दिया।
ननिहाल पक्ष की ओर से काफी समझाइश की गई लेकिन दुल्हन पक्ष तैयार नहीं हुआ। दुल्हन पक्ष का कहना था कि दूल्हे के पिता सम्मान नहीं करने की बात कहकर नाराजगी जता रहे थे लेकिन सभी बारातियों का सम्मान एक समान किया था। जाजम पर जिस घर में लगन भेजे, उन्हें तवज्जो दी गई।
ऎसे में दुल्हन के पिता नाराज हो गए। रात्रि में करीब एक बजे बारात बिना दुल्हन के ही लौट गई। इधर, दूल्हे के पिता किशनलाल ने बताया कि उसके पुत्र का विवाह ननिहाल पक्ष के लोग करवा रहे थे। वहां दुल्हन पक्ष की ओर से पिता व अन्य रिश्तेदारों का सम्मान नहीं किया। दूल्हे के बडे दादा का सम्मान करवाने की बात दुल्हन के पिता से कही थी। जिसके लिए वे तैयार नहीं हुए। इस पर दूल्हे के दादा, व अन्य चुपचाप चित्तौड़गढ़ लौट आए। -
इस कारण विवाह की रस्मे भी ननिहाल में ही हुई थी। बारात भी ननिहाल से ही घटियावली गई थी। शाम को विवाह की रस्में चल रही थी। इस दौरान दूल्हे के पिता किसी बात से नाराज हो गए और दुल्हन पक्ष से विवाद हो गया। इससे दुल्हन पक्ष के लोग नाराज हो गए और विवाह करने से मना कर दिया।
ननिहाल पक्ष की ओर से काफी समझाइश की गई लेकिन दुल्हन पक्ष तैयार नहीं हुआ। दुल्हन पक्ष का कहना था कि दूल्हे के पिता सम्मान नहीं करने की बात कहकर नाराजगी जता रहे थे लेकिन सभी बारातियों का सम्मान एक समान किया था। जाजम पर जिस घर में लगन भेजे, उन्हें तवज्जो दी गई।
ऎसे में दुल्हन के पिता नाराज हो गए। रात्रि में करीब एक बजे बारात बिना दुल्हन के ही लौट गई। इधर, दूल्हे के पिता किशनलाल ने बताया कि उसके पुत्र का विवाह ननिहाल पक्ष के लोग करवा रहे थे। वहां दुल्हन पक्ष की ओर से पिता व अन्य रिश्तेदारों का सम्मान नहीं किया। दूल्हे के बडे दादा का सम्मान करवाने की बात दुल्हन के पिता से कही थी। जिसके लिए वे तैयार नहीं हुए। इस पर दूल्हे के दादा, व अन्य चुपचाप चित्तौड़गढ़ लौट आए। -
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