भाजपा की ओर से नए सहयोगियों का स्वागत किए जाने का ऐलान किए जाने की पृष्ठभूमि में टीआरएस ने समर्थन को लेकर अपने विकल्प रखने का फैसला किया तो द्रमुक ने कहा कि वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार को 2002 के दंगों का दाग के कारण समर्थन नहीं करेगी।
उधर, कांग्रेस नेता राशिद अलवी ने एक नया सुझाव दिया कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में सरकार गठित करने के लिए सभी क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष दलों को साथ आना चाहिए।
बीजद और अन्नाद्रमुक की ओर से सभी विकल्प खुले होने का स्पष्ट संकेत दिए जाने के बाद टीआरएस ने भी कुछ ऐसा ही संकेत दिया।
टीआरएस के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रमुख के चंद्रशेखर राव के पुत्र केटी रमा राव ने फोन पर पीटीआई से कहा कि तेलंगाना के नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के साथ हम ऐसी सरकार चाहेंगे जो तेलंगाना का पूरी समर्थन करती हो। कल क्या होगा, हम नहीं जानते। हम काल्पनिक सवालों का जवाब नहीं दे सकते।
उनसे पूछा गया था कि कुछ खबरों में कहा गया है कि टीआरएस राजग का समर्थन कर सकती है। राव ने कहा कि पार्टी की संसदीय और विधायी समिति कल दोपहर 12 बजे के बाद फैसला करेगी।
द्रमुक ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि वह मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी प्रवक्ता टीकेएस एलनगोवन ने कहा कि हमारे यहां अल्पसंख्यक हैं और मोदी पर 2002 के दंगों का दाग है। ऐसे में अपने राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए हम राजग का समर्थन नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि मोदी को समर्थन देना कठिन फैसला होगा, क्योंकि पार्टी केंद्र में सिर्फ धर्मनिरपेक्ष सरकार का साथ देना चाहती है। लोकसभा सीटों की मतगणना की पूर्वसंध्या पर अलवी ने स्वीकार किया कि कांग्रेस के लिए सरकार का गठन कर पाना मुश्किल हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष दलों को साथ आना चाहिए और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नेता चुनना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन को लेकर कभी नहीं हिचकेगी।
अल्वी ने कहा कि चुनाव बाद आए सर्वेक्षणों को मानने से इंकार करते हुए कहा कि कल सच सामने आ जाएगा।
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उधर, कांग्रेस नेता राशिद अलवी ने एक नया सुझाव दिया कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में सरकार गठित करने के लिए सभी क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष दलों को साथ आना चाहिए।
बीजद और अन्नाद्रमुक की ओर से सभी विकल्प खुले होने का स्पष्ट संकेत दिए जाने के बाद टीआरएस ने भी कुछ ऐसा ही संकेत दिया।
टीआरएस के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रमुख के चंद्रशेखर राव के पुत्र केटी रमा राव ने फोन पर पीटीआई से कहा कि तेलंगाना के नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के साथ हम ऐसी सरकार चाहेंगे जो तेलंगाना का पूरी समर्थन करती हो। कल क्या होगा, हम नहीं जानते। हम काल्पनिक सवालों का जवाब नहीं दे सकते।
उनसे पूछा गया था कि कुछ खबरों में कहा गया है कि टीआरएस राजग का समर्थन कर सकती है। राव ने कहा कि पार्टी की संसदीय और विधायी समिति कल दोपहर 12 बजे के बाद फैसला करेगी।
द्रमुक ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि वह मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन नहीं करेगी। पार्टी प्रवक्ता टीकेएस एलनगोवन ने कहा कि हमारे यहां अल्पसंख्यक हैं और मोदी पर 2002 के दंगों का दाग है। ऐसे में अपने राज्य के हित को ध्यान में रखते हुए हम राजग का समर्थन नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा कि मोदी को समर्थन देना कठिन फैसला होगा, क्योंकि पार्टी केंद्र में सिर्फ धर्मनिरपेक्ष सरकार का साथ देना चाहती है। लोकसभा सीटों की मतगणना की पूर्वसंध्या पर अलवी ने स्वीकार किया कि कांग्रेस के लिए सरकार का गठन कर पाना मुश्किल हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष दलों को साथ आना चाहिए और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नेता चुनना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष सरकार के गठन को लेकर कभी नहीं हिचकेगी।
अल्वी ने कहा कि चुनाव बाद आए सर्वेक्षणों को मानने से इंकार करते हुए कहा कि कल सच सामने आ जाएगा।
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