गुरुवार, 22 मई 2014

बिन ब्याहे मां बनी प्रेमिका, डेढ़ साल बाद हुई शादी -



मंडला। सुनने पर ये किसी फिल्म की कहानी की तरह ही लगता है, लेकिन यह हकीकत है। एक युवक ने अपनी प्रेमिका से उस वक्त शादी की जब उसकी बच्ची डेढ़ साल की हो चुकी है। दरअसल, शादी से पहले ही प्रेमिका गर्भवती हो गई, बच्ची के साथ प्रेमिका को स्वीकार करने से प्रेमी के परिजनों ने इंकार कर दिया।

Mother of one and half years old baby now gets marriageगर्भावस्था के दौरान ही युवती के पिता उसके लिए वर तलाशने लगे, अपने प्रेमी के सच्चे प्यार को पाने और उसके बच्चे को जन्म देने के लिए युवती घर से भाग गई और जगह-जगह ठोकरे खाने के बाद आखिरकार उसने ना सिर्फ बच्चे के जन्म दिया, बल्कि परिजनों ने प्रेमी युगलों की शादी भी करा दी।

जानकारी के अनुसार मवई रैयत निवासी 24 वर्षीय चमेली बाई दो साल पहले अपने मामा के पास छिरनाछापा में रहती थी। इसी दौरान छिरनाछापा में ही रहने वाले 22 वर्षीय सरूप सिंह सोयाम से उसके प्रेम संबंध हो गए।

बिना ब्याह रहे साथ

प्रेम संबंध के चलते चमेली गर्भवती हो गई। जब गांव के लोगों को इसकी जानकारी लगी तो गांव में पंचायत बुलाई गई। पंचायत ने फैसला किया कि सरूप सिंह को चमेली को अपने साथ रखना होगा, क्योंकि वह गर्भवती है। इसके बाद वह सरूप और उसके माता-पिता के घर छिरनाछापा में रहने लगी। यह बात सरूप के पिता को नागवार गुजरी। इसके चलते आए दिन चमेली को परिजन प्रताडित करने लगे। करीब डेढ़ माह बाद चमेली के पिता बरतू सिंह सरूप के घर पहुंचे और उसे अपने साथ लेकर मवई रैयत चले गए। उन्होंने दोबारा चमेली को वापस न भेजने का फैसला किया।

शादी के दिन छोड़ा गांव

इसके बाद चमेली के पिता ने उसका विवाह अन्यत्र करने के लिए मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत नाम लिखवाया। इसकी जानकारी चमेली के प्रेमी सरूप को लग गई। सरूप ने चमेली को गांव से भाग जाने की सलाह दी और चमेली ने वैसा ही किया। विवाह के दिन ही चमेली ने गांव छोड़ दिया। इसके कुछ दिन बाद उसने एक बच्ची को जन्म दिया।

परामर्श केंद्र से मिली सीख

बच्ची जब करीब डेढ़ साल की हो गई तो चमेली के पिता परिवार परामर्श केंद्र पहुंचे और टीआई गोदावरी नायक, समाजसेवी पूजा अग्रवाल को जानकारी दी। इसके बाद दोनों के परिजनों को परिवार परामर्श केन्द्र बुलाया गया। परिवार परामर्श केन्द्र में दोनों पक्षों में समझौता कराया गया। यहां मिली सीख पर परिजन ने सहमति जताई और दोनों के विवाह का फैसला किया। परामर्श केंद्र में वरमाला लाई गई और सिंदूर लाया गया। ग्रामीणों और रिश्तेदारों की मौजूदगी में दोनों ने एक दूसरे को माला पहनाई और बरतू ने चमेली को अपनी बहू स्वीकार कर लिया। - 

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