शुक्रवार, 2 मई 2014

"काली रात" के बाद आई मुस्कराती सुबह

जैसलमेर।कहते हैं हर काली रात के बाद मुस्कराती सुबह आती है। सरहद के नियमो पर आखिरकार एक मां की ममता भारी साबित हुई। अल्लाह ने उसके जीवन मे खुशियां तो दे दी थी, लेकिन उनमे उल्लास के रंग अब भरे हैं।
"Black Night", I smile in the morning after
खुदा की रहमत को खता मानने वाले पाक को आखिरकार यह मानना पड़ा कि मां-बेटे की खुशियो के बीच कोई नियम या सियासी खेल आड़े नहीं आ सकता। फातिमा के धैर्य व ममता की आखिरकार जीत हुई है और अब शुक्रवार को वह अपने हमवतन के लिए रवाना होगी।



फातिमा को यहां जन्मे बच्चे को लेकर पिछले दिनों कई परेशानियों का सामना करना पड़ा। दिल्ली यात्रा की लंबी थकावट, कागजी कार्यवाही के चक्कर व सुर्खियो मे रहने की विवशता के बीच आई समस्याओ के बावजूद अब फातिमा को किसी से कोई गिला शिकवा नहीं है।


अब तक हुए कटु अनुभवो को जब फातिमा याद करती है तो उसकी पलकें भीग जाती है, लेकिन अगले ही पल जब वह फूल जैसे बच्चे को देखती है तो चेहरे पर फिर से लौट आती है एक मुस्कान।


गौरतलब है कि गत शुक्रवार को फातिमा नवजात बच्चे के साथ अपने वतन पाकिस्तान जा रही थी, तभी पाकिस्तानी अधिकारियो ने जीरो पॉइंट पर उसे रोक दिया। फातिमा उस समय तो अपने बच्चे के साथ वापस जैसलमेर आ गई, लेकिन यह प्रण ले लिया कि वह बच्चे को साथ लेकर ही जाएगी। जब वह अपने रिश्तेदारों के साथ दिल्ली में स्थित पाक उच्चायोग के पास पहुंची तो वहां उसके नवजात बच्चे को तस्दीक कर उसका फोटो भी पासपोर्ट में लगा दिया गया।


अब तक का घटनाक्रम


23 मार्च को फातिमा अपने भतीजे मीर मोहम्मद, पुत्री शकीना, पुत्र अरशद के साथ पाकिस्तान से भारत आई थी।
गर्भवती होने की वजह से उसने 4 मई तक वीजा आगे बढ़वा दिया था।
गत 14 अप्रेल को उसने जैसलमेर के राजस्थान हॉस्पिटल में बच्चे को जन्म दिया।


25 अप्रेल को वह थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान के लिए रवाना हुई, लेकिन उसके बच्चे को आगे जाने की मंजूरी नहीं मिली।
29 अप्रेल को पाक उच्चायोग के मंजूरी मिलने के बाद बच्चे को पाक ले जाने का रास्ता हुआ साफ।

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