हर ब्लाक पर होगी पेयजल की जांच
-बायतु-बाड़मेर के बाद हर ब्लाक लक्ष्य
-पेयजल की टेस्टिंग का फायदा आम जनता को
बाड़मेर , खारे पानी और भूजल में मौजूद रसायनो से अब तक अनभिज्ञ रहने वाले जिले के हर ग्रामीण को अब उनके गाव में पानी ली पूरी जानकारी मिल पायेगी। जिले के आठ ब्लाक में से अब तक बायतु और बाड़मेर के बाद हर गाव एक नविन पदति से अपने गाव के पानी के हाल को जान पायेगा। सरकार द्वारा हर किसी को अपने गाव के पानी की जानकारी देने के उद्देश्य से आठ ब्लॉक में आठ प्रयोगशाला से ग्रामीणो को जानकारी देता नजर आएगा। इनमेसे अब तक बाड़मेर और बायतु में पानी की प्रयोगशाला की स्थापना की जा चुकी है और बाकी रहे इलाको में काम युद्ध स्तर पर जारी है.
पश्चिमी राजस्थान के रेतीले इलाके बाड़मेर में जितनी पारिस्थिकी को लेकर भिन्नताएं है उतने ही अलग अलग हालत पानी में मौजूदा रसायनो को लेकर भी है। बाड़मेर के आठ ब्लॉक में से महज एक ब्लाक अच्छी स्थिति में है बाकि सात जॉन डार्क जॉन में सुमार कर चुके है और यह की अधिकतर आबादी भूजल पर निर्भर है ऐसे में यह के भूजल की सही रासायनिक स्थित का पता होना बेहद जरुरी है। बाड़मेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हर ग्रामीण को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग अपनी स्वयं की प्रयोगशाला प्रत्येक पंचायत समिति स्तर पर शुरू करने की कवायद शुरू कर चूका है । इस ख़ास योजना के अंतरगर्त जिले के बाड़मेर व बायतु ब्लॉक में लैब स्थापित हो चुकी है। आगामी जून तक जिले की सभी पंचायत समिति स्तर पर लैब में पेयजल की टेस्टिंग शुरू कर दी जाएगी। इसका उद्देश्य पानी से फैलने वाली बीमारियों पर रोक लगाना है। उल्लेखनीय है कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रयोगशाला खोलने के प्रस्ताव भेजे थे। स्वीकृति मिलने से प्रयोगशाला खोलने की विस्तृत तैयारी चल रही है। बाड़मेर जिले में भूजल में फ्लोराइड तथा अन्य घातक रसायन की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती रही है। इसके समाधान के लिए विभाग की ओर से कई प्रकार की योजनाओं का क्रियान्वयन चल रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति माह पेयजल में हो रहे परिवर्तन को मापने के लिए पहले से जिला मुख्यालय पर प्रयोगशाला संचालित हो रही थी। इस प्रयोगशाला में ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल की जांच की कोई विशेष व्यवस्था नहीं थी। सिर्फ जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग से प्राप्त पानी के सैम्पल की जांच की जाती थी। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को परेशानी होती थी। यह प्रयोगशाला के बनने के बाद ग्रामीण हो या शहरवासी सभी को स्वच्छ व शुद्ध पानी मिलने की उम्मीद बंधी है। इन लेबोरेट्री में अत्याधुनिक उपकरणों से पानी में किसी भी प्रकार की बीमारी का पता आसानी से और जल्दी चल पाएगा। चिकित्सालयों को अब तक पानी टेस्ट करवाने के लिए जिला मुख्यालयों पर सैंपल भेजने पड़ते थे। इनकी रिपोर्ट काफी समय बाद उपलब्ध हो पाती थी। ऐसे में बीमारियों की जल्दी रोकथाम नहीं हो पाती थी। अब अधिकतम दो दिन में पानी के सैंपल की रिपोर्ट उपलब्ध हो जाएगी।
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