लखनऊ। बुंदेलखंड के मड़ावरा ब्लॉक के सकरा गांव में सहरिया जाति के कई किसानों ने दो वक्त की रोटी के लिए अपने डेढ़ दर्जन बच्चों को राजस्थान के ऊंट व्यापारियों के पास गिरवी रख देने का मामला सामने आया है।
मीडिया में आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जबाव तलब किया है और जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जबाव मांगा है। आयोग जल्द ही एक टीम मौके पर भेजेगी।
चलाते कई किमी पैदल
इन बच्चों का कहना है कि चिलचिलाती धूप में उन्हें ऊंट और भेड़ों के झुंड को एक से दूसरे इलाके में हांककर ले जाने को कहा जाता है और लापरवाही होने पर उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती हैं।
हाल ही में व्यापारियों को चकमा देकर किसी तरह सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर गांव लौटे ऎसे ही एक बच्चे ब्रजराम ने बताया कि भेड़ो के साथ जंगलों में उन्हें बिना चप्पल चलाया जाता और किसी भेड़ के इधर-उधर चले जाने पर ठेकेदार बेरहमी से उनकी पिटाई करता था।
घास की रोटी खाकर गुजर-बसर
ललितपुर जनपद का मड़ावरा क्षेत्र वर्ष 2003 में सुर्खियों में आया था। बताया जाता है कि यहां के गरीब लोग घास की रोटियां खाकर जीते हैं।
आज 11 साल बाद हालात इतने बदतर हो गए हैं कि यहां के गरीब अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी तक नहीं दे पा रहे हैं।
मीडिया में आने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जबाव तलब किया है और जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जबाव मांगा है। आयोग जल्द ही एक टीम मौके पर भेजेगी।
चलाते कई किमी पैदल
इन बच्चों का कहना है कि चिलचिलाती धूप में उन्हें ऊंट और भेड़ों के झुंड को एक से दूसरे इलाके में हांककर ले जाने को कहा जाता है और लापरवाही होने पर उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी जाती हैं।
हाल ही में व्यापारियों को चकमा देकर किसी तरह सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर गांव लौटे ऎसे ही एक बच्चे ब्रजराम ने बताया कि भेड़ो के साथ जंगलों में उन्हें बिना चप्पल चलाया जाता और किसी भेड़ के इधर-उधर चले जाने पर ठेकेदार बेरहमी से उनकी पिटाई करता था।
घास की रोटी खाकर गुजर-बसर
ललितपुर जनपद का मड़ावरा क्षेत्र वर्ष 2003 में सुर्खियों में आया था। बताया जाता है कि यहां के गरीब लोग घास की रोटियां खाकर जीते हैं।
आज 11 साल बाद हालात इतने बदतर हो गए हैं कि यहां के गरीब अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी तक नहीं दे पा रहे हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें