जयपुर। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और राजस्थानी लेखिका पद्मश्री लक्ष्मीकुमारी चूंडावत का शनिवार को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल में निधन हो गया। वह 98 वर्ष की थी। चूंडावत का रविवार को लालकोठी स्थित श्मशान में अंतिम संस्कार किया जाएगा। चूंडावत के निधन पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने गहरा दुख जताया हैं।
राजे ने अपने शोक संदेश में कहा कि उन्होंने राजस्थानी साहित्य, लोक जीवन एवं रीति रिवाजों को अपने लेखन के माध्यम से नई ऊंचाइयां प्रदान की। साहित्य एवं सार्वजनिक जीवन में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत की आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों को यह दुख सहन करने की शकित प्रदान करने की प्रार्थना की।
विधायक से राजस्थान रत्न तक
चूंडावत 1962, 1967 और 1980 के चुनाव में भीलवाड़ा के भीम से विधायक बनी। साल 1971 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। इसके बाद 1972 में राज्यसभा सदस्य चुनी गई। चूंडावत को 1984 में पद्मश््री अलंकरण से विभूषित किया गया था। वह हिन्दी और राजस्थानी की विख्यात साहित्यकार थी। 2012 में उन्हें राजस्थान रत्न से भी नवाजा गया। उन्हें वर्ष 1965 में उनके साहित्य पर सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार तथा राजस्थानी पुस्तक पर मारवाड़ी सम्मेलन का प्रथम पुरस्कार मिला। चूंडावत ने राजस्थानी भाषा में कई किताबें लिखीं। इसके तहत उन्होंने राजस्थानी लोककथाओं को संकलित किया और फिर इन्हें प्रकाशित किया।
चूंडावत की लिखी किताबें
मुमल, देवनारायण बगड़ावत महागाथा, राजस्थान के रीति-रिवाज, अंतरध्वनि, लेनिन री जीवनी, हिंदुकुश के उस पार
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