बुधवार, 7 मई 2014

पाक में हिंदुओं का जीना दुश्वार

मोहम्मद अली जिन्ना का पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को अपने धर्म को मानने की आजादी और बिना भेदभाव से जीने के अधिकार का वादा जुबानी जमा खर्च ही साबित हुआ।
life difficult for hindus in pakistanपाक में आज हालात इतने बदतर हैं कि हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचार आए दिन की बात है। मंदिरों व अन्य अल्पसंख्यक धार्मिक स्थलों पर हमले हो रहे हैं।

ईश निंदा के आरोप जड़ अल्पसंख्यकों पर जुल्म किए जाते हैं। अल्पसंख्यकों का कहना है, उनकी सुरक्षा में विफल सरकार तालिबानियों से बात में जुटी है। अत्याचारों पर आंखें मूंदे हुए है।

20 साल का भयावह
मार्च में हिंदुओं पर 20 साल के दौरान सबसे ज्यादा हमले हुए। पांच मंदिरों को आग लगा दी गई। मूर्तियां खंडित कर आभूषण लूट लिए गए। वर्ष 2013 में इस प्रकार की 13 घटनाएं हुई। इसमें हिन्दु लड़कियों से बलात्कार व जबरन शादियां शामिल हैं।

ईश निंदा के नाम पर
पाक में कट्टरपंथियों के इन हमलों में अल्पसंख्यक समुदाय हिन्दु, ईसाई, अहमदिया व शियाओं को ईश निंदा के नाम पर निशाना बनाया जाता है। लाइफ फॉर ऑल नामक पाक मानवाधिकार संगठन का कहना है कि अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं।

शरीफ सरकार और बुरी
अधिकांश विशेषज्ञों का यह कहना है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के मसले पर वर्तमान नवाज शरीफ सरकार पिछली सभी सरकारों से बदतर है। रूढ़ीवादी रूझान वाली इस सरकार की कट्टरपंथियों से सांठगांठ है। शरीफ सरकार से अल्पसंख्यकों को उम्मीद कम है।

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