बाड़मेर मतदान और मतगणना के आंकड़ों में आखिर फर्क कैसे आया ?
बाड़मेर लोकसभा चुनाव के परिणामों में जारी किए गए आंकड़ों और वोटिंग के बाद जारी किए गए आंकड़ों में 13 मतों का अंतर पाया गया है। आखिर ये 13 वोट कहां से आएं? मतों में इतना फर्क कहां से और कैसे आया, क्योंकि एक वोट के अंतर से ही कोई नेता विधायक बनने से रह सकता है तो 13 वोट तो काफी बड़ी संख्या है। हालांकि बाड़मेर संसदीय क्षेत्र में जारी परिणाम में जीत का अंतर काफी है, ऐसे में ये 13 वोट मायने नहीं रखते, लेकिन सांख्यिकीय भूल अवश्य है। इस संबंध में जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर के साथ निर्वाचन विभाग के अधिकारी भी इसे मात्र लिपिकीय भूल बता रहे हैं। उनके अनुसार मतदान के बाद मतदान अधिकारी (प्रिजाइडिंग ऑफिसर) की ओर से दी जाने वाली सूचना में फर्क के कारण हो सकता है।
मतदान के बाद जिला निर्वाचन अधिकारी की ओर से जारी संख्या और निर्वाचन विभाग की वेबसाइट के अनुसार 12,15,9९1 वोट डाले गए। वहीं, मतगणना में 12,16,004 मतों की गिनती की गई। इस प्रकार 13 मतों का अंतर सामने आया। विधानसभावार के आंकड़ों में भी यह फर्क आ रहा है। बायतु विधानसभा क्षेत्र में 3, सिवाना में 9 और चौहटन में 3 वोट बढ़ें हैं, जबकि पचपदरा में 2 वोट कम पाए गए हैं।
यह भी संभव
कलेक्टर भानु प्रकाश एटुरू के अनुसार इस तरह के फर्क प्रिजाइडिंग ऑफिसर की ओर से दी जाने वाली सूचना में आ सकता है। इस अंतर को लेकर अगर निर्वाचन अधिकारी (आर ओ) और ऑब्जर्वर संतुष्ट है तो इसे मान्य किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मतदान के बाद प्रिजाइडिंग ऑफिसर के दो तरह के फार्म भरने होते हैं, पहला परफॉर्मा पीएस05 और दूसरा नियम 17 सी पार्ट फस्र्ट। वोटिंग के बाद परफॉर्मा पीएस05 के आधार पर आंकड़े जारी किए गए हैं, इसमें लिपिकीय त्रुटी संभव है। गणना मशीन में उपलब्ध वोटों के आधार पर की गई है, जिसमें त्रुटी नहीं हो सकती है। नियम 17 सी पार्ट फस्र्ट और पार्ट सेकंड के प्रावधानों के अनुसार आरओ और ऑब्जर्वर के संतुष्ट होने पर ऐसे आंकड़े मान्य किए जा सकते हैं।
विधानसभा मतदान मतगणना अंतर
जैसलमेर 150956 150956 0
शिव 177071 177071 0
बाड़मेर 161542 161542 0
बायतु 148289 148292 3
पचपदरा 136446 136444 -2
सिवाना 130302 130311 9
गुड़ामालानी 144910 144910 0
चौहटन 166475 166478 3
कुल 1215991 1216004 13
निर्वाचन विभाग के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी पी.सी. गुप्ता के अनुसार ऐसा कोई आंकड़ों का अंतर है तो उसे आरओ और ऑब्जर्वर की सहमति से मान्य किया जा सकता है। कई बार प्रिजाइडिंग ऑफिसर पोलिंग बूथ के मतदाताओं की संख्या के आधार पर संख्या को लिख देते हैं, उसमें ईडीएस (निर्वाचन ड्यूटी प्रमाण पत्र) वाले मतों को शामिल नहीं कर पाते या सांख्यिकी वालों से भी कोई त्रुटी रह सकती है। ऐसे में आरओ की ओर से मान्य आंकड़े ही अंतिम माने जाते हैं।
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