इस्लामाबाद । पाकिस्तान में एक इस्लामिक संगठन ने एक हैरान कर देने वाला फैसला लिया है , पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडिओलॉजी ने नौ साल की बच्ची को भी निकाह के काबिल मान लिया है मगर उसके लिए शर्त रखी है की लड़की में ं कौमार्य के लक्षण दिखने लगे हों।
हांलाकी काउंसिल को अपने सदस्यों का ही विरोध झेलना पड़ा है । जमात उलेमा ए इस्लाम फजल के मौलाना मोहम्मद खान शीरानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। शीरानी ने स्पष्टीकरण दिया, निकाह किसी भी उम्र में किया जा सकता है, लेकिन बीवी को शौहर के साथ कौमार्य हासिल करने केबाद ही रहना चाहिए। बैठक में मौजूदा मुस्लिम लीग कानून 1961 के ज्यादातर उपबंधों को गैर-इस्लामिक भी बताया गया।
निकाह की उम्र तय करने वाले कानून गैर-इस्लामिक हैं। यहां तक कि पुरूष का दूसरे निकाह से पहले अपनी पत्नी से मंजूरी लेना भी गैर-इस्लामिक है। दो दिन की काउंसिल बैठक के बाद मौलाना शीरानी ने काउंसिल के फैसलों को गंभीरता से न लेने के लिए सिंध असेंबली, मीडिया और समाज के कुछ हिस्सों की आलोचना भी की। 31 मार्च को सिंध असेंबली में प्रस्ताव पारित कर सीआईआई को भंग करने की मांग की गई थी। 28 अप्रेल, 2013 को बिल पारित कर बाल विवाह पर रोक लगाई थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें