अजमेर। चांद रात में चांद दिखने की उम्मीद में सूफी संत ख्वाजा मोईनुददीन चिश्ती दरगाह में बुधवार तड़के जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। ख्वाजा साहब के 802वें सालाना उर्स के तहत सवेरे की खिदमत के बाद खोले गए जन्नती दरवाजे में प्रवेश करने के लिए जायरीन में होड़ लग गई।
दरगाह परिसर में लोग मंगलवार रात से ही दरवाजे में प्रवेश के लिए लाइन लगाकर खडे थे। दरवाजे खुलते ही दरवाजे में प्रवेश के लिए जायरीन में धक्का मुक्की शुरू हो गई।
अंजुमन के उपाध्यक्ष सैयद कलीमुद्दीन ने बताया कि बुधवार को चांद रात है शाम को रजब माह का चांद दिखने की उम्मीद में आज आस्ताना खुलने के साथ ही जन्नती दरवाजा खोल दिया गया।
शाम को असर की नमाज के बाद यदि चांद दिखने की पुष्टि हिलाल कमेटी द्वारा कर दी जाती है तो ख्वाजा साहब के सालाना उर्स की रस्में शुरू हो जाएगी अन्यथा दरवाजा वापस बंद कर दिया जाएगा और गुरूवार को पुन: सवेरे जायरीन के लिए खोल दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि चांद नहीं दिखा तो उर्स की पहली महफिल और ख्वाजा साहब की मजार का पहला गुसल गुरूवार की रात से शुरू होगा। उर्स की पहली महफिल और मजार के पहले गुसल की सदारत दरगाह दीवान जेनुल आबेदी की सदारत में होगा। ख्वाजा साहब का जन्नती दरवाजा जायरीन के लिए रजब माह की 6 रजब तक खुला रहेगा।
इससे पूर्व मंगलवार रात दस बजे बाद ख्वाजा साहब की खिदमत में खादिमों ने मजार पर साल भर पेश किए गए संदल को उतारने की रस्म शुरू की गई। खादिमों ने मजार से उतारे गए संदल को आस्ताने शरीफ में ही थैलियों में पैक किया गया।
ख्वाजा साहब की मजार से उतारे गए संदल को जायरीन में तवरूख के तौर पर वितरित किया जाता है। इस संदल को लेने के लिए जायरीन में होड़ देखी गई।
उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब की मजार पर पूरे वर्ष संदल पेश किया जाता है जो सालाना उर्स शुरू होने के एक दिन पूर्व ही उतारा जाता है। जायरीन में संदल के प्रति विशेष उत्साह रहता है। जायरीन में यह धारणा है कि संदल के सेवन से कई तरह की बीमारियों से निजात मिली है।
दरगाह परिसर में लोग मंगलवार रात से ही दरवाजे में प्रवेश के लिए लाइन लगाकर खडे थे। दरवाजे खुलते ही दरवाजे में प्रवेश के लिए जायरीन में धक्का मुक्की शुरू हो गई।
अंजुमन के उपाध्यक्ष सैयद कलीमुद्दीन ने बताया कि बुधवार को चांद रात है शाम को रजब माह का चांद दिखने की उम्मीद में आज आस्ताना खुलने के साथ ही जन्नती दरवाजा खोल दिया गया।
शाम को असर की नमाज के बाद यदि चांद दिखने की पुष्टि हिलाल कमेटी द्वारा कर दी जाती है तो ख्वाजा साहब के सालाना उर्स की रस्में शुरू हो जाएगी अन्यथा दरवाजा वापस बंद कर दिया जाएगा और गुरूवार को पुन: सवेरे जायरीन के लिए खोल दिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि चांद नहीं दिखा तो उर्स की पहली महफिल और ख्वाजा साहब की मजार का पहला गुसल गुरूवार की रात से शुरू होगा। उर्स की पहली महफिल और मजार के पहले गुसल की सदारत दरगाह दीवान जेनुल आबेदी की सदारत में होगा। ख्वाजा साहब का जन्नती दरवाजा जायरीन के लिए रजब माह की 6 रजब तक खुला रहेगा।
इससे पूर्व मंगलवार रात दस बजे बाद ख्वाजा साहब की खिदमत में खादिमों ने मजार पर साल भर पेश किए गए संदल को उतारने की रस्म शुरू की गई। खादिमों ने मजार से उतारे गए संदल को आस्ताने शरीफ में ही थैलियों में पैक किया गया।
ख्वाजा साहब की मजार से उतारे गए संदल को जायरीन में तवरूख के तौर पर वितरित किया जाता है। इस संदल को लेने के लिए जायरीन में होड़ देखी गई।
उल्लेखनीय है कि ख्वाजा साहब की मजार पर पूरे वर्ष संदल पेश किया जाता है जो सालाना उर्स शुरू होने के एक दिन पूर्व ही उतारा जाता है। जायरीन में संदल के प्रति विशेष उत्साह रहता है। जायरीन में यह धारणा है कि संदल के सेवन से कई तरह की बीमारियों से निजात मिली है।
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