रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर में अक्षय तृतीया यानी 2 मई को जहां हजारों युवक-युवतियां विवाह बंधन में बंधेंगे, वहीं यह दिन कई विधवाओं की जिंदगी में भी बहार लेकर आने वाला है। अक्षय तृतीया पर उनका पुनर्विवाह होने जा रहा है।
अपने पति को खोने के बाद निराशामय जीवन व्यतीत कर रहीं विधवाएं अब नए जीवनसाथी के साथ खुशहाल जीवन जीने के लिए फिर से फेरे लेंगी। विधवाओं का पुनर्विवाह करवाकर उनके जीवन में नई रोशनी बिखेरने के लिए "नेचर्स केयर एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी" के सदस्य जोरशोर से तैयारी में जुटे हैं।
सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. विनीता पांडेय का कहना है कि प्रत्येक समाज में युवक-युवतियों का परिचय सम्मेलन आयोजित किया जाता है, लेकिन असमय विधवा हो चुकीं महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया जाता। इसलिए उनके संगठन ने यह कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि विधवाएं जिंदगीभर परिवार के दूसरे सदस्यों पर निर्भर रहकर जैसे-तैसे जीवन गुजारती हैं। परिवार के लोग ही उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करते हैं। विवाह, जन्मदिन, हवन, यज्ञ जैसे उत्सवों में विधवाओं को शामिल नहीं किया जाता। पारिवारिक व सामाजिक बंधनों के चलते विधवाएं भी मांगलिक उत्सवों से दूरी बनाकर चलती हैं और जीवनभर घुटती रहती हैं। विधवाओं के जीवन में फिर से रंग भरने के लिए पहली बार कोशिश की जा रही है।
डॉ. विनीता ने बताया कि इससे पहले नौ मार्च को यहां की चौबे कॉलोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल भवन में परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा से लगभग 175 लोगों ने परिचय दिया था। इसमें 40 महिलाएं और 135 विधुर, तलाकशुदा सहित कुंवारे भी शामिल हुए थे।
सम्मेलन के बाद उन लोगों ने आपस में विचार-विमर्श किया और कई रिश्ते तय हुए। उनका विवाह अब अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में कालीबाड़ी स्थित रवींद्र मंच में कराया जाएगा। विवाह के लिए पंजीयन 30 अप्रेल तक किया जाएगा। साथ ही इसी दिन विधवा, विधुर, तलाकशुदा व कुंवारों का परिचय सम्मेलन भी होगा।
डॉ. विनीता ने कहा कि हिंदुओं के अलावा यदि मुस्लिम, ईसाई और सिख समाज की विधवाएं विवाह के लिए पंजीयन कराती हैं तो उनके धर्म के अनुसार ही उनका ब्याह संपन्न कराया जाएगा। इसके लिए पादरी, पंडित, मौलवी की भी व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि विधवा पुनर्विवाह करने वालों को सरकारी नौकरी या स्वरोजगार के लिए सरकार से मदद दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही विधवा विवाह के लिए प्रदेशभर में जागरूकता फैलाने में उनकी संस्था के लोग जुटे हुए हैं।
अपने पति को खोने के बाद निराशामय जीवन व्यतीत कर रहीं विधवाएं अब नए जीवनसाथी के साथ खुशहाल जीवन जीने के लिए फिर से फेरे लेंगी। विधवाओं का पुनर्विवाह करवाकर उनके जीवन में नई रोशनी बिखेरने के लिए "नेचर्स केयर एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी" के सदस्य जोरशोर से तैयारी में जुटे हैं।
सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. विनीता पांडेय का कहना है कि प्रत्येक समाज में युवक-युवतियों का परिचय सम्मेलन आयोजित किया जाता है, लेकिन असमय विधवा हो चुकीं महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया जाता। इसलिए उनके संगठन ने यह कदम उठाया है।
उन्होंने कहा कि विधवाएं जिंदगीभर परिवार के दूसरे सदस्यों पर निर्भर रहकर जैसे-तैसे जीवन गुजारती हैं। परिवार के लोग ही उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करते हैं। विवाह, जन्मदिन, हवन, यज्ञ जैसे उत्सवों में विधवाओं को शामिल नहीं किया जाता। पारिवारिक व सामाजिक बंधनों के चलते विधवाएं भी मांगलिक उत्सवों से दूरी बनाकर चलती हैं और जीवनभर घुटती रहती हैं। विधवाओं के जीवन में फिर से रंग भरने के लिए पहली बार कोशिश की जा रही है।
डॉ. विनीता ने बताया कि इससे पहले नौ मार्च को यहां की चौबे कॉलोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल भवन में परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, ओडिशा से लगभग 175 लोगों ने परिचय दिया था। इसमें 40 महिलाएं और 135 विधुर, तलाकशुदा सहित कुंवारे भी शामिल हुए थे।
सम्मेलन के बाद उन लोगों ने आपस में विचार-विमर्श किया और कई रिश्ते तय हुए। उनका विवाह अब अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में कालीबाड़ी स्थित रवींद्र मंच में कराया जाएगा। विवाह के लिए पंजीयन 30 अप्रेल तक किया जाएगा। साथ ही इसी दिन विधवा, विधुर, तलाकशुदा व कुंवारों का परिचय सम्मेलन भी होगा।
डॉ. विनीता ने कहा कि हिंदुओं के अलावा यदि मुस्लिम, ईसाई और सिख समाज की विधवाएं विवाह के लिए पंजीयन कराती हैं तो उनके धर्म के अनुसार ही उनका ब्याह संपन्न कराया जाएगा। इसके लिए पादरी, पंडित, मौलवी की भी व्यवस्था की गई है।
उन्होंने बताया कि विधवा पुनर्विवाह करने वालों को सरकारी नौकरी या स्वरोजगार के लिए सरकार से मदद दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही विधवा विवाह के लिए प्रदेशभर में जागरूकता फैलाने में उनकी संस्था के लोग जुटे हुए हैं।
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