हिन्दू धर्म में कामदेव को प्रेम का देवता माना गया है। यही मनुष्य के हृदय के बस कर काम और प्रेम भावना को बढ़ते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने दांपत्य जीवन में प्रेम और तालमेल बनाए रखना चाहते हैं उन्हें चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन काम देव और उनकी पत्नी रति के साथ शिव पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
शास्त्रों में इस दिन को अनंग त्रयोदशी कहा गया है। इस संदर्भ में एक बड़ी ही रोचक कथा है।
इसके बाद कामदेव की पत्नी विलाप करने लगी। इससे भगवान शिव ने कहा कि तुम्हारे पति कामदेव का सिर्फ शरीर खत्म हुआ है वह अब भी बिना अंग के यानी अनंग रहकर तुम्हारे साथ रहेंगे और तुम दोनों मनुष्य के हृदय में प्रवेश करके काम और प्रेम बढ़ाने का काम करोगे जिससे सृष्टि चक्र चलता रहेगा।
इसी समय शिव जी ने कामदेव और रति को आशीर्वाद दिया कि जो व्यक्ति चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति के साथ शिव और पार्वती की पूजा करेगा उसने दांपत्य जीवन में प्रेम और सद्भाव बना रहेगा।
शास्त्रों में इस दिन को अनंग त्रयोदशी कहा गया है। इस संदर्भ में एक बड़ी ही रोचक कथा है।
इसके बाद कामदेव की पत्नी विलाप करने लगी। इससे भगवान शिव ने कहा कि तुम्हारे पति कामदेव का सिर्फ शरीर खत्म हुआ है वह अब भी बिना अंग के यानी अनंग रहकर तुम्हारे साथ रहेंगे और तुम दोनों मनुष्य के हृदय में प्रवेश करके काम और प्रेम बढ़ाने का काम करोगे जिससे सृष्टि चक्र चलता रहेगा।
इसी समय शिव जी ने कामदेव और रति को आशीर्वाद दिया कि जो व्यक्ति चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति के साथ शिव और पार्वती की पूजा करेगा उसने दांपत्य जीवन में प्रेम और सद्भाव बना रहेगा।
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