इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) के राजस्थान मॉड्यूल का सदस्य बरकत अली बाड़मेर में सीमा पार कर पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहा था। इस काम के लिए शाकिब अंसारी के साथ घुसपैठ के लिए उचित मार्ग तलाशने बाड़मेर भी गया था। स्पेशल सेल की गिरफ्त में मौजूद शाकिब अंसारी ने यह खुलासा किया है।
जांच अधिकारियों के अनुसार, बरकत को पाकिस्तान में बैठा आइएम आतंकी अफीफ उर्फ अता अपने पास बुलाना चाहता था। सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ में शाकिब ने बताया है कि बरकत की जेहाद में दिलचस्पी के विषय में उसने अता को बताया था। जिसके बाद अता ने कई बार बरकत से बात की। आइएम संस्थापक रियाज भटकल से भी उसकी बात करवाई गई। बरकत की बातों से प्रभावित अता ने उसे अफगानिस्तान में जेहाद के लिए जंग लड़ने के लिए आमंत्रित किया था।
जामा मस्जिद, लालकिला की थी रेकी
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, शाकिब अंसारी के साथ बरकत अली 8 मार्च, 2013 को दिल्ली भी आया था। अता के निर्देश पर दोनों ने पालिका बाजार, जामा मस्जिद, लालकिला समेत निजामुद्दीन इलाके की रेकी की थी। उन्होंने फोटो भी खींचे थे। जिसके बाद दोनों बाड़मेर गए। अता ने बताया था कि एक बार सीमापार करने के बाद बरकत को कोई दिक्कत नहीं होगी। माना जा रहा है कि पाकिस्तानी सैनिकों की मदद से बरकत को कराची में बैठे अता के पास तक पहुंचा दिया जाता।
आइएम होने के बाद भी एकदूसरे से थे अपरिचित
जांच में सामने आया है कि जोधपुर निवासी शाकिब अंसारी को वकार अजहर के आइएम से जुड़े होने की काफी समय तक जानकारी ही नहीं थी। दोनों मिलते तो थे, लेकिन बातचीत में एकदूसरे के सामने कभी असलियत बयान नहीं करते थे। जयपुर के इंजीनियरिंग छात्र महरूफ से मुलाकात के करीब दो महीने बाद शाकिब की मुलाकात एक आफिस में वकार से हुई थी। उस समय वहां महरूफ भी मौजूद था। वकार से उसकी दूसरी मुलाकात जयपुर में हुई। एक बार वकार जोधपुर भी आया था। लेकिन शाकिब ने उससे खास बातचीत नहीं की। बाद में जब महरूफ ने बताया कि वकार भी आइएम का सदस्य है, तब शाकिब ने उससे मेलजोल बढ़ाया था।
आइडी के जरिए होती थी बातचीत
शाकिब ने वकार को मोबाइल फोन व सिमकार्ड भी मुहैया कराया था। स्पेशल सेल सूत्रों के अनुसार, शाकिब फ्री मैसेजिंग एप्लीकेशन निंबज पर 'रेजी' नाम से बनाई गई आइडी से चैट करता था। इसी आइडी के जरिए रियाज भटकल व अता से उसकी बातचीत होती थी।
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