अजमेर। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 802वें सालाना उर्स के मौके पर इस बार दरगाह परिसर में स्थित बादशाह अकबर और जहांगीर द्वारा पेश की गई बड़ी और छोटी देग का ठेका तीन करोड़ आठ लाख 100 रूपए में छूटा है।
उर्स का झण्डा 26 अप्रेल को चढ़ाया जाएगा और चांद दिखाई देने पर एक मई को अन्यथा दो मई से उर्स का आगाज हो जाएगा। उर्स के मौके पर बादशाह अकबर द्वारा पेश की गई बड़ी देग में 320 किलो चावल तथा जहांगीर की छोटी देग में 240 किलोग्राम सूखे मेवे युक्त चावल पका कर देश विदेश से ख्वाजा की चौखट को चूमने आए हजारों जायरीन को वितरित किया जाता है।
दरगाह में आने वाले जायरीन ख्वाजा साहब से मन्नत मांगते हैं और पूरी होने पर देग पकवाते हैं जिसे जायरीन को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। दोनों देगों में साल भर ख्वाजा के दरबार में आने वाले जायरीन श्रद्धा के अनुसार अनाज, नकदी और सोने चांदी के आभूषण चढ़ाते हैं। इन देगों के चढ़ावे के लिए खादिम ठेका लेते हैं। ठेके के लिए खादिमों की संस्था अंजुमन फखरिया चिश्तियां बोली लगवाती है, जिसमें सबसे अधिक बोली लगाने वाले खादिम के नाम ठेका छूटता है।
सालाना उर्स तथा अजमेर के पास स्थित सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्माजी की पवित्र तीर्थ स्थली पुष्कर में लगने वाले मेले के लिए अलग से दोनों देगों का ठेका होता है। इस बार उर्स के मुबारक मौके पर गत रविवार को बोली की प्रक्रिया शुरू हुई जो 72 घंटे में पूरी हुई। दोनों देगों का ठेका तीन करोड़ 8 लाख 100 रूपए में छूटा है। खदिमों की संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि उर्स के मौके पर देगों के ठेके से प्राप्त रूपयों का इस्तेमाल जायरीन की सुविधा, लंगर और दरगाह परिसर में होने वाले कई अन्य कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। -
उर्स का झण्डा 26 अप्रेल को चढ़ाया जाएगा और चांद दिखाई देने पर एक मई को अन्यथा दो मई से उर्स का आगाज हो जाएगा। उर्स के मौके पर बादशाह अकबर द्वारा पेश की गई बड़ी देग में 320 किलो चावल तथा जहांगीर की छोटी देग में 240 किलोग्राम सूखे मेवे युक्त चावल पका कर देश विदेश से ख्वाजा की चौखट को चूमने आए हजारों जायरीन को वितरित किया जाता है।
दरगाह में आने वाले जायरीन ख्वाजा साहब से मन्नत मांगते हैं और पूरी होने पर देग पकवाते हैं जिसे जायरीन को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। दोनों देगों में साल भर ख्वाजा के दरबार में आने वाले जायरीन श्रद्धा के अनुसार अनाज, नकदी और सोने चांदी के आभूषण चढ़ाते हैं। इन देगों के चढ़ावे के लिए खादिम ठेका लेते हैं। ठेके के लिए खादिमों की संस्था अंजुमन फखरिया चिश्तियां बोली लगवाती है, जिसमें सबसे अधिक बोली लगाने वाले खादिम के नाम ठेका छूटता है।
सालाना उर्स तथा अजमेर के पास स्थित सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्माजी की पवित्र तीर्थ स्थली पुष्कर में लगने वाले मेले के लिए अलग से दोनों देगों का ठेका होता है। इस बार उर्स के मुबारक मौके पर गत रविवार को बोली की प्रक्रिया शुरू हुई जो 72 घंटे में पूरी हुई। दोनों देगों का ठेका तीन करोड़ 8 लाख 100 रूपए में छूटा है। खदिमों की संस्था के पदाधिकारियों का कहना है कि उर्स के मौके पर देगों के ठेके से प्राप्त रूपयों का इस्तेमाल जायरीन की सुविधा, लंगर और दरगाह परिसर में होने वाले कई अन्य कार्यक्रमों के लिए किया जाता है। -
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