नई दिल्ली। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने नाम नहीं ले रही है। अन उनकी विधायकी भी खतरे में आ गई हैं। विधानसभा चुनाव के लिए तय सीमा से ज्यादा खर्च करने के मामले में केजरीवाल घिर गए हैं। पूरा मामला चुनाव आयोग में विचाराधीन है। ऎसे में माना जा रहा है कि जल्द ही आयोग फैसला लेने वाला है। ऎसे में केजरीवाल को अपनी विधायकी से हाथ धोना पड़ सकता है।
दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में विधायक प्रत्याशी के लिए खर्च की सीमा 14 लाख रूपए निर्घारित है। केजरीवाल ने जो अपना खर्च आयोग को भेजा था, वह इसी के आसपास था। लेकिन एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का खर्च भी केजरीवाल के खाते में जोड़ने की मांग दूसरी पार्टियां कर रही थीं। यह कार्यक्रम आचार संहिता के बाद हुआ था।
इस मामले को आयोग ने संज्ञान लिया था और पूरे मामले की जांच जारी थी। आयोग ने अपने पर्यवेक्षक से भी पूरा खर्च ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे। उसी के तहत कल बुधवार को पर्यवेक्षक ने देर शाम को अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप दी है।
इसमें पर्यवेक्षक ने केजरीवाल पर चुनाव में 21 लाख रूपए खर्च करने का ब्यौरा दिया है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का खर्च आप पार्टी के तीन विधायकों के खाते में बराबर-बराबर डाल दिया गया है। तय सीमा से ऊपर खर्च के मामले में केजरीवाल अब पूरी तरह से घिर गए हैं। दरअसल, आयोग अपने पर्यवेक्षक की रिपोर्ट को ही मानता है।
जाएगी विधायकी
अगर जानकारों की मानें तो आयोग की कार्रवाई में सबसे पहले केजरीवाल की विधायकी जाना तय है। इसके बाद आयोग चाहे तो केजरीवाल को छह साल तक किसी भी तरह का चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है। अगर ऎसा होता है तो केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। खासकर तब जब वह मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के बारे में सोच रहे हैं। -
दरअसल, दिल्ली विधानसभा चुनाव में विधायक प्रत्याशी के लिए खर्च की सीमा 14 लाख रूपए निर्घारित है। केजरीवाल ने जो अपना खर्च आयोग को भेजा था, वह इसी के आसपास था। लेकिन एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का खर्च भी केजरीवाल के खाते में जोड़ने की मांग दूसरी पार्टियां कर रही थीं। यह कार्यक्रम आचार संहिता के बाद हुआ था।
इस मामले को आयोग ने संज्ञान लिया था और पूरे मामले की जांच जारी थी। आयोग ने अपने पर्यवेक्षक से भी पूरा खर्च ब्यौरा देने के निर्देश दिए थे। उसी के तहत कल बुधवार को पर्यवेक्षक ने देर शाम को अपनी रिपोर्ट चुनाव आयोग को सौंप दी है।
इसमें पर्यवेक्षक ने केजरीवाल पर चुनाव में 21 लाख रूपए खर्च करने का ब्यौरा दिया है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का खर्च आप पार्टी के तीन विधायकों के खाते में बराबर-बराबर डाल दिया गया है। तय सीमा से ऊपर खर्च के मामले में केजरीवाल अब पूरी तरह से घिर गए हैं। दरअसल, आयोग अपने पर्यवेक्षक की रिपोर्ट को ही मानता है।
जाएगी विधायकी
अगर जानकारों की मानें तो आयोग की कार्रवाई में सबसे पहले केजरीवाल की विधायकी जाना तय है। इसके बाद आयोग चाहे तो केजरीवाल को छह साल तक किसी भी तरह का चुनाव लड़ने पर रोक लगा सकता है। अगर ऎसा होता है तो केजरीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। खासकर तब जब वह मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के बारे में सोच रहे हैं। -
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें