बाडमेर। राजस्थान के सीमावर्ती बाडमेर में लोकसभा चुनाव के दौरान डोडा पोस्त का मुद्दा भी चुनावी मुद्दा बन रहा है। बाडमेर में डोडा पोस्त खाने वालों की संख्या काफी है जिस तुलना में आपूर्ति नहीं हो पाती। सरकारी दुकानों की संख्या भी कम है जहां पर डोडा पोस्त के शौकीनों की लम्बी लम्बी कतारें लग जाती है।
बाडमेर जिले में डोडा पोस्त की कमी नशेडियों के लिए परेशानी बनी हुई है। पिछले कई दिनों से अधिकांश दुकानें या तो बंद हो गई है या फिर डोडा पोस्त पर भी राशनिंग हो गई है। जिससे तलबगारों की जरूरत पूरी नही हो रही है।
कहीं कहींं 100 ग्राम तो कहीं 200 ग्राम डोडा मिल रहा है। जो नशेडियों के लिए नकाफी सिद्ध हो रहा है। पहले जहां एक तलबगार को दो किलो तक डोडा मिलता था अब उसके स्थान पर मात्र दो सौ ग्राम मिल रहा है। जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।
बाडमेर जिले में डोडा पोस्त की कमी नशेडियों के लिए परेशानी बनी हुई है। पिछले कई दिनों से अधिकांश दुकानें या तो बंद हो गई है या फिर डोडा पोस्त पर भी राशनिंग हो गई है। जिससे तलबगारों की जरूरत पूरी नही हो रही है।
कहीं कहींं 100 ग्राम तो कहीं 200 ग्राम डोडा मिल रहा है। जो नशेडियों के लिए नकाफी सिद्ध हो रहा है। पहले जहां एक तलबगार को दो किलो तक डोडा मिलता था अब उसके स्थान पर मात्र दो सौ ग्राम मिल रहा है। जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।
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