नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी के खुले विरोध के बाद पार्टी ने जनता दल (यू) से निकाले गए और शुक्रवार को पार्टी में शामिल साबिर अली की सदस्यता शनिवार को रद्द कर दी।
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अली की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है।
उन्होंने कहा कि सिंह ने पार्टी नेताओं को अंदरूनी मामलों को लेकर सार्वजनिक विरोध नहीं करने की हिदायत भी दी है। उल्लेखनीय है कि अली को शुक्रवार को भाजपा में शामिल किए जाने का पार्टी में कड़ा विरोध हुआ था।
नकवी ने टि्वटर पर साबिर को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सरगना यासीन भटकल का दोस्त बताते हुए कहा कि अब माफिया डॉन दाऊद इब्राहीम को भी भाजपा में स्वीकार किया जाएगा।
उन्होंने अंग्रेजी में लिखा "टेररिस्ट भटकल फ्रेंड हैस ज्वाइनड बीजेपी। सून एक्सपेकप्टिंग दाऊद। मृदुभाषी और मैत्री संबंधों के लिए मशहूर नकवी ने संभवत: पहली बार पार्टी के किसी फैसले पर इतनी कड़ी टिप्पणी की है।
यही नहीं, आरएसएस ने भी नकवी के विरोध का समर्थन करते हुए अली को पार्टी में शामिल किए जाने पर नाराजगी जाहिर की थी।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि अली के ऊपर कोई केस नहीं है और सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना से लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि जिस तहर नकवी ने साबिर को पार्टी मे लिए जाने के बाद जिस तरह विरोध किया है, उन्हें ऎसा नहीं करना चाहिए था। नकवी द्वारा साबिर की तुलना दाऊद इब्राहिम से किए जाने के बाद पार्टी उनपर भी कार्रवाई करने का मन बना रही है।
गौरतलब है कि साबिर अली के पार्टी मे शामिल होने के बाद शुक्रवार को नकवी ने ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने अली को आतंकियों का दोस्त करार दिया। उन्होंने कहा, जिस तरह आईएम सरगना के दोस्त साबिर को पार्टी में शामिल किया गया है, उसके बाद देश के वांछित अपराधी दाऊद इब्राहिम को भी पार्टी में शामिल कर लिया जाएगा।
उधर, यह भी खबरें आ रही है कि जिस ट्वीट में मुख्तार अब्बास नकवी ने साबिर को आतंकियों का दोस्त बताया था, उस ट्वीट को हटा लिया गया है। ट्वीट में नकवी ने पार्टी का नाता दाऊद से जोड़ दिया था। इससे पार्टी नाखुशी थी।
साबिर ने खारिज किए आरोप
वहीं, साबिर ने कहा है कि आतंकी भटकल को लेकर अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। साबिर ने कहा कि भटकल से उनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है और उसके साथ संबंध साबित होने पर वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। मीडिया से खास बातचीत में साबिर अली ने कहा, मुझ पर लगे आरोप गलत हैं। भटकल से मेरा दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। भटकल के साथ किसी तरह का रिश्ता साबित होने पर मैं राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लूंगा। साबिर ने भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
अगर लोगों को लगता है कि मेरे आतंककारियों से संबंध हैं तो मेरी सदस्यता को होल्ड पर रखा जाए। एक समिति बनाकर आरोपों की जांच कर ली जाए और अगर आरोप सही पाए गए तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। इस मामले में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव धर्मेद्र प्रधान को पत्र भी लिखा है।
साबिर ने कहा कि इस मामले में बैठकर बात करने और बेदाग साबित होने तक इंतजार करने तक तैयार हूं।
आरएसएस ने भी किया साबिर को पार्टी में लेने का विरोध
अली को पार्टी में शामिल करने के फैसले को लेकर जहां वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी टि्वटर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं, वहीं आरएसएस ने नकवी के विरोध का समर्थन किया है।
संघ नेता राम माधव ने ट्वीट कर कहा कि अली को पार्टी में शामिल करने को लेकर काफी आक्रोश है। वरिष्ठ नेताओं को इस नाराजगी के बारे में अवगत करवा दिया गया है। माधव ने कहा, भाजपा ने काडर के खिलाफ जाकर यह फैसला लिया है। बढ़ते विरोध के बीच, सूत्रों ने बताया कि पार्टी साबिर की सदस्यता रद्द करने पर विचार कर रही है।
नकवी पर भी हो सकती है कार्रवाई
सूत्रों का यह भी कहना है कि सरेआम साबिर को पार्टी में शामिल करने पर नाराजगी जाहिर करने वाले नकवी पर भी पार्टी कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।
इससे पहले, अली के पार्टी में एंट्री करने से पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भाजपा से नाराज हैं। भाजपा वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्वीटर पर पार्टी के फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की है। अली का नाम लिए बिना नकवी ने ट्वीट किया है कि "आतंकी भटकल के दोस्त ने पार्टी ज्वाइन कर ली है...जल्द ही दाउद भी जुड़ेंगे।"
शुरू में मीडिया को लगा कि नकवी का टि्वटर अकाउंट हैक हो गया है। किसी ने इसे हैक कर ऎसा लिखा होगा। मगर नकवी से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने साफ किया कि उनका अकाउंट हैक नहीं हुआ है। उन्होंने साफ किया कि वे साबिर को भाजपा में लिए जाने के सख्त खिलाफ थे और विरोध स्वरूप ही यह ट्वीट किया है। नकवी ने कहा कि साबिर अली का भाजपा में शामिल होना पार्टी के उस स्टैंड को कमजोर करना है जो कि जिसमें वह आतंकी हरकत करने वालों का विरोध करती है।
साबिर को भाजपा में लिए जाने पर जद-यू ने भी नकवी की जैसी भाष्ाा का इस्तेमाल किया। जद-यू नेता केसी त्यागी बोले-भाजपा तो दाऊद को भी शामिल कर सकती है। हमें अफसोस है कि साबिर हमारी पार्टी में थे।
पहले भी हो चुका है ऎसा विरोध
भाजपा में शामिल हो रहे नए लोगों को लेकर भाजपा में वरिष्ठों के विरोध करने की यह ताजा घटना है। पहले भी कई नेता नए लोगों के पार्टी में शामिल होने का विरोध कर चुके हैं। इनसे पहले पार्टी वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने बीएसआर चीफ बी श्रीरामालु के दोबारा से पार्टी में शामिल होने का विरोध किया था।
मोदी की तारीफ करने पर निकाले गए थे
साबिर अली कुछ दिन पहले तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र और जदयू के सदस्य थे। जब अली ने भाजपा प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की तारिफ की तो उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। मोदी के साथ नीतीश का काफी दिनों से विवाद चल रहा था।
मोदी की तारीफ को ही उनके पार्टी से निकाले जाने की वजह बताई जा रही है। अली उन तीन नेताओं के साथ हैं जिन्हें पार्टी ने दोबारा से राज्यसभा के लिए नामित नहीं किया। जिनका कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है। साबिर अली इससे भी खासे नाराज थे।
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने अली की सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है।
उन्होंने कहा कि सिंह ने पार्टी नेताओं को अंदरूनी मामलों को लेकर सार्वजनिक विरोध नहीं करने की हिदायत भी दी है। उल्लेखनीय है कि अली को शुक्रवार को भाजपा में शामिल किए जाने का पार्टी में कड़ा विरोध हुआ था।
नकवी ने टि्वटर पर साबिर को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सरगना यासीन भटकल का दोस्त बताते हुए कहा कि अब माफिया डॉन दाऊद इब्राहीम को भी भाजपा में स्वीकार किया जाएगा।
उन्होंने अंग्रेजी में लिखा "टेररिस्ट भटकल फ्रेंड हैस ज्वाइनड बीजेपी। सून एक्सपेकप्टिंग दाऊद। मृदुभाषी और मैत्री संबंधों के लिए मशहूर नकवी ने संभवत: पहली बार पार्टी के किसी फैसले पर इतनी कड़ी टिप्पणी की है।
यही नहीं, आरएसएस ने भी नकवी के विरोध का समर्थन करते हुए अली को पार्टी में शामिल किए जाने पर नाराजगी जाहिर की थी।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि अली के ऊपर कोई केस नहीं है और सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाना से लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि जिस तहर नकवी ने साबिर को पार्टी मे लिए जाने के बाद जिस तरह विरोध किया है, उन्हें ऎसा नहीं करना चाहिए था। नकवी द्वारा साबिर की तुलना दाऊद इब्राहिम से किए जाने के बाद पार्टी उनपर भी कार्रवाई करने का मन बना रही है।
गौरतलब है कि साबिर अली के पार्टी मे शामिल होने के बाद शुक्रवार को नकवी ने ट्वीट कर नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने अली को आतंकियों का दोस्त करार दिया। उन्होंने कहा, जिस तरह आईएम सरगना के दोस्त साबिर को पार्टी में शामिल किया गया है, उसके बाद देश के वांछित अपराधी दाऊद इब्राहिम को भी पार्टी में शामिल कर लिया जाएगा।
उधर, यह भी खबरें आ रही है कि जिस ट्वीट में मुख्तार अब्बास नकवी ने साबिर को आतंकियों का दोस्त बताया था, उस ट्वीट को हटा लिया गया है। ट्वीट में नकवी ने पार्टी का नाता दाऊद से जोड़ दिया था। इससे पार्टी नाखुशी थी।
साबिर ने खारिज किए आरोप
वहीं, साबिर ने कहा है कि आतंकी भटकल को लेकर अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। साबिर ने कहा कि भटकल से उनका दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है और उसके साथ संबंध साबित होने पर वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे। मीडिया से खास बातचीत में साबिर अली ने कहा, मुझ पर लगे आरोप गलत हैं। भटकल से मेरा दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है। भटकल के साथ किसी तरह का रिश्ता साबित होने पर मैं राजनीतिक जीवन से संन्यास ले लूंगा। साबिर ने भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
अगर लोगों को लगता है कि मेरे आतंककारियों से संबंध हैं तो मेरी सदस्यता को होल्ड पर रखा जाए। एक समिति बनाकर आरोपों की जांच कर ली जाए और अगर आरोप सही पाए गए तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। इस मामले में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव धर्मेद्र प्रधान को पत्र भी लिखा है।
साबिर ने कहा कि इस मामले में बैठकर बात करने और बेदाग साबित होने तक इंतजार करने तक तैयार हूं।
आरएसएस ने भी किया साबिर को पार्टी में लेने का विरोध
अली को पार्टी में शामिल करने के फैसले को लेकर जहां वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी टि्वटर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं, वहीं आरएसएस ने नकवी के विरोध का समर्थन किया है।
संघ नेता राम माधव ने ट्वीट कर कहा कि अली को पार्टी में शामिल करने को लेकर काफी आक्रोश है। वरिष्ठ नेताओं को इस नाराजगी के बारे में अवगत करवा दिया गया है। माधव ने कहा, भाजपा ने काडर के खिलाफ जाकर यह फैसला लिया है। बढ़ते विरोध के बीच, सूत्रों ने बताया कि पार्टी साबिर की सदस्यता रद्द करने पर विचार कर रही है।
नकवी पर भी हो सकती है कार्रवाई
सूत्रों का यह भी कहना है कि सरेआम साबिर को पार्टी में शामिल करने पर नाराजगी जाहिर करने वाले नकवी पर भी पार्टी कार्रवाई करने पर विचार कर रही है।
इससे पहले, अली के पार्टी में एंट्री करने से पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भाजपा से नाराज हैं। भाजपा वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्वीटर पर पार्टी के फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की है। अली का नाम लिए बिना नकवी ने ट्वीट किया है कि "आतंकी भटकल के दोस्त ने पार्टी ज्वाइन कर ली है...जल्द ही दाउद भी जुड़ेंगे।"
शुरू में मीडिया को लगा कि नकवी का टि्वटर अकाउंट हैक हो गया है। किसी ने इसे हैक कर ऎसा लिखा होगा। मगर नकवी से इस संबंध में पूछा तो उन्होंने साफ किया कि उनका अकाउंट हैक नहीं हुआ है। उन्होंने साफ किया कि वे साबिर को भाजपा में लिए जाने के सख्त खिलाफ थे और विरोध स्वरूप ही यह ट्वीट किया है। नकवी ने कहा कि साबिर अली का भाजपा में शामिल होना पार्टी के उस स्टैंड को कमजोर करना है जो कि जिसमें वह आतंकी हरकत करने वालों का विरोध करती है।
साबिर को भाजपा में लिए जाने पर जद-यू ने भी नकवी की जैसी भाष्ाा का इस्तेमाल किया। जद-यू नेता केसी त्यागी बोले-भाजपा तो दाऊद को भी शामिल कर सकती है। हमें अफसोस है कि साबिर हमारी पार्टी में थे।
पहले भी हो चुका है ऎसा विरोध
भाजपा में शामिल हो रहे नए लोगों को लेकर भाजपा में वरिष्ठों के विरोध करने की यह ताजा घटना है। पहले भी कई नेता नए लोगों के पार्टी में शामिल होने का विरोध कर चुके हैं। इनसे पहले पार्टी वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने बीएसआर चीफ बी श्रीरामालु के दोबारा से पार्टी में शामिल होने का विरोध किया था।
मोदी की तारीफ करने पर निकाले गए थे
साबिर अली कुछ दिन पहले तक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र और जदयू के सदस्य थे। जब अली ने भाजपा प्रधानमंत्री प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की तारिफ की तो उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। मोदी के साथ नीतीश का काफी दिनों से विवाद चल रहा था।
मोदी की तारीफ को ही उनके पार्टी से निकाले जाने की वजह बताई जा रही है। अली उन तीन नेताओं के साथ हैं जिन्हें पार्टी ने दोबारा से राज्यसभा के लिए नामित नहीं किया। जिनका कार्यकाल अगले महीने खत्म हो रहा है। साबिर अली इससे भी खासे नाराज थे।
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