जयपुर। भाजपा के बड़े नेताओं में खींचतान के चलते करीब नौ लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी तय करना पार्टी के लिए मुश्किल साबित हो रहा है। इन बड़े नेताओं के कारण स्थानीय स्तर पर प्रत्याशी चयन को लेकर गुटबाजी हो गई है। बताया जा रहा है कि इनमें से कुछ सीटों पर तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दखल देना पड़ा है।
सूत्रों के मुताबिक राजसमंद, भरतपुर, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, कोटा, नागौर, सीकर, झुंझुनंू ऎसी सीटें हैं, जहां नेताओं में आपसी खींचतान बहुत अधिक है। पार्टी यहां सबको एकजुट करने में लगी हुई है। जिन सीटों पर विवाद नहीं सुलझेगा वहां पार्टी किसी नए चेहरे को भी टिकट दे सकती है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन सीटों में प्रदेश के कई बड़े नेता शामिल हैं। चूरू सीट को लेकर भी विवाद है, लेकिन वर्तमान सांसद को टिकट देने के निर्णय के चलते विवाद का विषय ही समाप्त हो गया है। ऎसा ही विवाद बीकानेर सीट पर भी है। वहां भी देवी सिंह भाटी गुट वर्तमान सांसद अर्जुन राम मेघवाल का विरोध कर रहा है। ऎसे में मेघवाल श्रीगंगानगर से भी टिकट मिलने पर जीतने की संभावना तलाश रहे हैं।
कहां क्या स्थिति
नागौर
इस सीट पर घर की लड़ाई भारी पड़ रही है। पहले चुनाव लड़ चुकी बिंदु चौधरी और लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी.आर. चौधरी रिश्तेदार हैं। बिंदु चौधरी चाहती हैं कि उन्हें टिकट दिया जाए और सी.आर. चौधरी ने भी दावेदारी कर रखी है। अल्पसंख्यक के लिहाज से भी पार्टी ने इस सीट पर चर्चा की है।
राजसमंद
परिसीमन के बाद बनी इस नई सीट पर गुलाब चंद कटारिया किसी राजपूत नेता को टिकट दिलवाने के प्रयास में जुटे हैं। वहीं, उनकी धुर विरोधी विधायक और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरण माहेश्वरी यहां से ब्राह्मण या रावत को टिकट दिलवाने की कोशिश में हैं।
जयपुर
यह सीट इस बार सबसे ज्यादा विवादित नजर आ रही है। यहां से घनश्याम तिवाड़ी चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री राजे से उनकी दूरियों के कारण उनके पक्ष में कोई खुल कर नहीं आ रहा है। तिवाड़ी खुद ही अपने टिकट के लिए दिल्ली में लॉबिंग कर रहे हैं।
जयपुर ग्रामीण
यहां से पार्टी का एक बड़ा धड़ा दिगम्बर सिंह के पक्ष में है, लेकिन सतीश पूनिया और राव राजेन्द्र सिंह भी इस सीट से दावेदारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि सतीश पूनिया और राव राजेन्द्र सिंह में से किसी एक को टिकट मिलता है तो दोनों एक दूसरे का समर्थन करने को भी तैयार हो गए हैं।
झुंझुनंू
यहां के तीन विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ चुके दशरथ सिंह के साथ नहीं हैं। इसलिए उन्होंने शिवपाल सिंह नांगल और विधायक संतोष अहलावत का नाम आगे कर रखा है।
सीकर
ज्यादातर विधायक यहां हरिराम रिणवा के पक्ष में हैं, जबकि वसुंधरा राजे गुट के सुभाष महरिया यहां से चुनाव लड़ने के लिए जोर लगा रहे हैं। इस सीट पर विवाद इतना बढ़ गया है कि पार्टी यहां से नया उम्मीदवार भी ढूंढ़ रही है।
भरतपुर
कई विधायक बहादुर सिंह कोली को चुनाव लड़वाने के पक्ष में हैं, लेकिन दिगम्बर सिंह यहां से किसी अन्य को टिकट दिलवाने के लिए प्रयासरत हैं।
दौसा
यहां से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हरीश मीणा को पार्टी चुनाव लड़वाना चाहती है, लेकिन जिले के नेता इस फैसले से खुश नहीं हैं। वहीं, किरोड़ी लाल मीणा फैक्टर भी इस सीट को प्रभावित कर रहा है। ऎसे में दौसा के नेता चाहते हैं कि किसी स्थानीय नेता को ही टिकट दिया जाए।
कोटा
यहां से पिछला चुनाव लड़े श्याम शर्मा को लेकर पार्टी में एक राय नहीं है। यहां से शहर के दो विधायकों से चुनाव लड़ने के बारे में चर्चा की गई है, लेकिन दोनों ही नेता चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। दोनों विधायक एक-दूसरे को चुनाव लड़वाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक राजसमंद, भरतपुर, जयपुर, जयपुर ग्रामीण, दौसा, कोटा, नागौर, सीकर, झुंझुनंू ऎसी सीटें हैं, जहां नेताओं में आपसी खींचतान बहुत अधिक है। पार्टी यहां सबको एकजुट करने में लगी हुई है। जिन सीटों पर विवाद नहीं सुलझेगा वहां पार्टी किसी नए चेहरे को भी टिकट दे सकती है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक इन सीटों में प्रदेश के कई बड़े नेता शामिल हैं। चूरू सीट को लेकर भी विवाद है, लेकिन वर्तमान सांसद को टिकट देने के निर्णय के चलते विवाद का विषय ही समाप्त हो गया है। ऎसा ही विवाद बीकानेर सीट पर भी है। वहां भी देवी सिंह भाटी गुट वर्तमान सांसद अर्जुन राम मेघवाल का विरोध कर रहा है। ऎसे में मेघवाल श्रीगंगानगर से भी टिकट मिलने पर जीतने की संभावना तलाश रहे हैं।
कहां क्या स्थिति
नागौर
इस सीट पर घर की लड़ाई भारी पड़ रही है। पहले चुनाव लड़ चुकी बिंदु चौधरी और लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष सी.आर. चौधरी रिश्तेदार हैं। बिंदु चौधरी चाहती हैं कि उन्हें टिकट दिया जाए और सी.आर. चौधरी ने भी दावेदारी कर रखी है। अल्पसंख्यक के लिहाज से भी पार्टी ने इस सीट पर चर्चा की है।
राजसमंद
परिसीमन के बाद बनी इस नई सीट पर गुलाब चंद कटारिया किसी राजपूत नेता को टिकट दिलवाने के प्रयास में जुटे हैं। वहीं, उनकी धुर विरोधी विधायक और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरण माहेश्वरी यहां से ब्राह्मण या रावत को टिकट दिलवाने की कोशिश में हैं।
जयपुर
यह सीट इस बार सबसे ज्यादा विवादित नजर आ रही है। यहां से घनश्याम तिवाड़ी चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री राजे से उनकी दूरियों के कारण उनके पक्ष में कोई खुल कर नहीं आ रहा है। तिवाड़ी खुद ही अपने टिकट के लिए दिल्ली में लॉबिंग कर रहे हैं।
जयपुर ग्रामीण
यहां से पार्टी का एक बड़ा धड़ा दिगम्बर सिंह के पक्ष में है, लेकिन सतीश पूनिया और राव राजेन्द्र सिंह भी इस सीट से दावेदारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि सतीश पूनिया और राव राजेन्द्र सिंह में से किसी एक को टिकट मिलता है तो दोनों एक दूसरे का समर्थन करने को भी तैयार हो गए हैं।
झुंझुनंू
यहां के तीन विधायक लोकसभा का चुनाव लड़ चुके दशरथ सिंह के साथ नहीं हैं। इसलिए उन्होंने शिवपाल सिंह नांगल और विधायक संतोष अहलावत का नाम आगे कर रखा है।
सीकर
ज्यादातर विधायक यहां हरिराम रिणवा के पक्ष में हैं, जबकि वसुंधरा राजे गुट के सुभाष महरिया यहां से चुनाव लड़ने के लिए जोर लगा रहे हैं। इस सीट पर विवाद इतना बढ़ गया है कि पार्टी यहां से नया उम्मीदवार भी ढूंढ़ रही है।
भरतपुर
कई विधायक बहादुर सिंह कोली को चुनाव लड़वाने के पक्ष में हैं, लेकिन दिगम्बर सिंह यहां से किसी अन्य को टिकट दिलवाने के लिए प्रयासरत हैं।
दौसा
यहां से वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हरीश मीणा को पार्टी चुनाव लड़वाना चाहती है, लेकिन जिले के नेता इस फैसले से खुश नहीं हैं। वहीं, किरोड़ी लाल मीणा फैक्टर भी इस सीट को प्रभावित कर रहा है। ऎसे में दौसा के नेता चाहते हैं कि किसी स्थानीय नेता को ही टिकट दिया जाए।
कोटा
यहां से पिछला चुनाव लड़े श्याम शर्मा को लेकर पार्टी में एक राय नहीं है। यहां से शहर के दो विधायकों से चुनाव लड़ने के बारे में चर्चा की गई है, लेकिन दोनों ही नेता चुनाव लड़ने के इच्छुक नहीं हैं। दोनों विधायक एक-दूसरे को चुनाव लड़वाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
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