बाड़मेर।पश्चिमी क्षेत्र में तैनात हजारों सैन्यकर्मी और उनके परिवारजन लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं कर पाएंगे। भारतीय सेना के अधिकारियों व जवानों को "सर्विस वोटर" मानते हुए उनके नियुक्तिस्थल पर भी वोट देने का अधिकार दिया गया है, लेकिन इसकी पालना लंबे समय से नहीं हो रही है। सोलहवीं लोकसभा में भी ये वोट देेने के इच्छुक हैं लेकिन अभी तक नाम जोड़ने की प्रक्रिया नहीं हुई है।
पश्चिमी क्षेत्र में वायुसेना व थलसेना के अधिकारी और उनके परिवार के सदस्य हजारों की संख्या में निवास कर रहे हैं।इन लोगों के नाम अपने अपने मूलनिवास स्थल पर मतदाता सूची में दर्ज हैं। पर डयूटी पर रहने के कारण मतदान के वक्त पहुंच नहीं पाते हैं।
इनके लिए दूसरा विकल्प "सर्विस वोटर्स"का है। इसके तहत पोस्टल बैलेट पेपर जारी किए जाते हैं जो मूल निवास से यहां पहुंचने और वापिस मतगणना के दिन से पहले पहुंचाने का नियम है। यह प्रक्रिया ऎसी अव्यवस्था की शिकार है कि नब्बे फीसदी मतदाता मतदान नहीं कर पाते हैं। इस बारे मेे उच्चतम न्यायालय ने एक निर्णय किया था कि इन सर्विस वोटर्स को अपने नियुक्ति स्थल परभी वोटिंग का विकल्प दिया जाए।
इसके तहत निर्वाचन अधिकारी फार्म नंबर छह के साथ एक घोषणा पत्र भी भरवाएगा जिसमें संबंधित की ओर से यह उल्लेख किया जाता है कि उसकी नियुक्ति संबंधित क्षेत्र में है और मतदान के लिए इच्छुक है। इस पर नियुक्ति स्थल के मतदान केन्द्र पर नाम जुड़वाकर मतदान किया जा सकता है।
नहीं हो रही कार्रवाई
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भी यह नियम लागू था लेकिन उसके बाद हुए चुनावों में इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इस बार भी अब तक थल और वायुसेना के सैनिकों के नाम यहां की मतदात सूचियों में नहीं जोड़े गए हैं।
स्वीप पर सवाल
एक तरफ निर्वाचन आयोग स्वीप कार्यक्रम के जरिए सभी मतदाताओं को जागरूक कर रहा है, वहीं सीमावर्ती क्षेत्र में हजारों मतदाताओ को मतदान का अवसर ही नहीं मिल रहा है।
कर सकते हैं आवेदन
सैन्यकर्मी यहां की मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए अभी आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद नियमानुसार नाम जोड़ उन्हें मतदान का अवसर दिया जा सकता है।- राकेश शर्मा, उपखण्ड अधिकारी बाड़मेर
देना चाहते हैं वोट
कई वायु सैनिक व अधिकारी लोकसभा चुनावों में वोट देना चाहते हैं। यहीं पर मतदाता सूची में नाम दर्ज हो तो अच्छा है।- आशुतोष्ा दीक्षित,
एयर कमोडोर -
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