शुक्रवार, 28 मार्च 2014

शहीद जयसिंह भाटी की स्मृति में बलिदान दिवस आयोजित, देश भक्तों को किया याद


राष्ट्रभाव की भावना से कुरीतियों का मुकाबला कर पाएंगे
जैसलमेर. बलिदान दिवस पर उमड़ा जनसमूह।
:जैसलमेर. बलिदान दिवस पर शहीद की वीरांगनाओं को सम्मानित करते हुए।
शहीद जयसिंह भाटी की स्मृति में बलिदान दिवस आयोजित, देश भक्तों को किया याद 


जैसलमेर



जिले के देवड़ा गांव निवासी शहीद जयसिंह भाटी के बलिदान दिवस पर गुरुवार को श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि क्षत्रिय युवक संघ के प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर ने कहा कि क्षत्रिय का कोई कोई धर्म या जाति नहीं होती, अन्याय का प्रतिकार करें और कमजोर की जो रक्षा करें, वही सही मायनों में क्षत्रिय है। श्रीमद् भागवत गीता के 18वें अध्याय का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आत्म बलिदान करने वाले मर कर भी अमर रहते हैं। रोलसाहबसर ने हनुमान चौराहा पर शहीद जयसिंह भाटी स्मृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में जिले के 21 शहीदों की वीरांगनाओं का भी सम्मान किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित सीमाजन कल्याण समिति के प्रदेश संगठन मंत्री नीम्बसिंह ने कहा कि जैसलमेर की वीर प्रसूता भूमि पर शहादत की श्रेष्ठ परंपरा रही है। जो हमें राष्ट्रवाद की प्रेरणा देती है। उन्होंने उपस्थित जन समुदाय से कहा कि हमारा जिला सीमावर्ती है, आतंकवाद की काली छाया हम तक भी पहुंच सकती है इसलिए सीमावर्ती नागरिक सतर्क रहें। सीमाजन कल्याण समिति सीमा और आंतरिक सुरक्षा को लेकर जन जागरण के कार्य में जुटी है। पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने स्मृति संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि मौजूदा हालात में व्यक्ति को नहीं बल्कि उसके बलिदान और चरित्र को याद करने की जरूरत है। शहीद जयसिंह शहादत की चुनौती को स्वीकारते हुए मरकर भी जीवन की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत सहबौद्धिक प्रमुख गंगाविशन ने कहा कि सैनिक और संत की कोई जाति नहीं होती है। दलगत राजनीति और जातिगत विद्रूपता से स्वदेश की भावना आहत हो रही है। राष्ट्रवाद की भावना से ही हम कुरीतियों का मुकाबला कर जाएंगे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजियत ने हमारी संयुक्त परिवार की परंपरा को चोट पहुंचाई है। मर्यादाओं का पालन करने से ही हम एक परिवार के रूप में रह सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्वदेशी वस्तुओं का नहीं विचारों का नाम है। वस्तुओं के उपयोग से विचार, आचार और व्यवहार की जांच की जा सकती है। भारत ने ही पूरे विश्व को शक्ति और शास्त्रों का विचार दिया है। स्मृति संस्थान के सवाईसिंह देवड़ा ने संस्थान का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। सचिव डॉ. जालम सिंह रावलोत ने शहीद जयसिंह भाटी स्मृति संस्थान के गठन और इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। अध्यक्ष किशन सिंह भाटी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम संयोजक डॉ. वीरेंद्रसिंह बैरसियाला ने किया। इस अवसर पर विधायक छोटू सिंह भाटी, पूर्व विधायक डॉ. जितेंद्रसिंह, पूर्व चिकित्सा अधिकारी डॉ. अर्जुनसिंह सहित सीमाजन कल्याण समिति के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में जिले भर के लोग उपस्थित थे। मंच संचालन वार्डन गणपतसिंह ने किया। समारोह के दौरान शहीदों की वीरांगनाओं को सम्मानित भी किया गया।
:









 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें